SAHARSA: BCA के छात्र का फंदे से लटका मिला शव, परिजनों ने जताई हत्या की आशंका Bihar Police Constable Recruitment 2025: बिहार पुलिस सिपाही भर्ती लिखित परीक्षा 2025 का शेड्यूल जारी, जानें.. कब होगा एग्जाम? Bihar Police Constable Recruitment 2025: बिहार पुलिस सिपाही भर्ती लिखित परीक्षा 2025 का शेड्यूल जारी, जानें.. कब होगा एग्जाम? Bihar Teacher News: बिहार के इस जिले में हजारों शिक्षक वेतन विसंगति से परेशान, नहीं मिल रहा यह लाभ Bihar News: बिहार में सामने आया ज्योति मौर्य जैसा मामला, मां के गहने बेचकर पत्नी को पढ़ाया; नौकरी लगते ही पति से तोड़ा नाता Bihar News: बिहार में सामने आया ज्योति मौर्य जैसा मामला, मां के गहने बेचकर पत्नी को पढ़ाया; नौकरी लगते ही पति से तोड़ा नाता Success Story: चाट-समोसा बेचने वाले की बेटी बनी IAS अधिकारी, सॉफ्टवेयर कंपनी की नौकरी छोड़ हासिल किया मुकाम BIHAR: आपत्तिजनक स्थिति में पकड़े गये नाबालिग प्रेमी युगल, ग्रामीणों ने करवा दी जबरन शादी Virat Kohli और Rohit Sharma को सम्मानित करेगा इस देश का क्रिकेट बोर्ड, फैंस ने BCCI से कहा "सीखो कुछ" Patna News: क्राइम कंट्रोल के लिए पटना पुलिस ने बनाई खास रणनीति, अपराधियों की अब खैर नहीं
1st Bihar Published by: Updated Wed, 03 Nov 2021 06:19:54 PM IST
- फ़ोटो
PATNA: बिहार में विधानसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव का परिणाम आने के बाद जश्न मना रहे एनडीए नेता राजद औऱ तेजस्वी का सफाया हो जाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन जश्न के शोर में वे उपचुनाव के परिणाम से बजी खतरे की घंटी को नहीं सुन पा रहे हैं। उपचुनाव का निष्कर्ष यही है कि भले ही तेजस्वी यादव हार गये लेकिन उन्हें ढेर सारे फायदे हुए हैं। आंकड़े बता रहे हैं कि तेजस्वी ने भविष्य की सियासत की राह तैयार कर ली है।
हार कर भी जीते तेजस्वी
दरअसल इस उपचुनाव के एलान के तत्काल बाद तेजस्वी ने वो काम किया जो लालू पिछले तीन दशकों से नहीं कर पाये थे. तीन दशकों में लालू कभी अकेले चुनाव मैदान में नहीं उतरे थे. ज्यादातर चुनाव कांग्रेस के साथ लडा. एक चुनाव में कांग्रेस अलग हुई तो लालू प्रसाद यादव लोक जनशक्ति पार्टी के साथ मैदान में उतरे थे. लिहाजा ये पहला मौका था जब तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में राजद अकेले चुनाव में उतर गयी. दशकों से राजद की साझीदार रही कांग्रेस ऐसे हमले कर रही थी जैसे बीजेपी-जेडीयू भी नहीं कर पा रहे थे.
राजद का वोट बढ़ गया
अब दोनों विधानसभा क्षेत्रों में राजद के प्रदर्शन पर नजर डालते हैं. उप चुनाव में तारापुर सीट पर राजद के उम्मीदवार अरूण कुमार साह बेहद कम यानि तकरीबन 3800 वोटों से चुनाव हारे. इसी सीट पर 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद की उम्मीदवार दिव्या प्रकाश तकरीबन 7200 वोटों से हार गयी थीं. 2020 के चुनाव में राजद की उम्मीदवार को 32.8 प्रतिशत वोट मिले थे. इस उपचुनाव में राजद के उम्मीदवार को 44.35 प्रतिशत वोट मिला. यानि राजद ने अपने वोट बैंक में 12 प्रतिशत का इजाफा कर लिया. इस तथ्य को भी ध्यान में रखिये कि 2020 में कांग्रेस राजद के साथ थी लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस राजद के खिलाफ.
कुशेश्वरस्थान में पहली दफे लालटेन सिंबल था
ऐसा ही नतीजा कुशेश्वरस्थान सीट पर भी निकाला जा सकता है. दिलचस्प बात ये है कि कुशेश्वरस्थान सीट पर पहली दफे लालटेन चुनाव चिह्न पर कोई उम्मीदवार लड़ रहा था. दरअसल इस सीट पर कभी राजद का उम्मीदवार खड़ा ही नहीं हुआ था. शुरू से कांग्रेस राजद के समर्थन से चुनाव लड़ती आयी. 2010 में राजद का कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं था तो लालू यादव ने लोजपा के लिए सीट छोड़ दी थी. पहली दफे कुशेश्वरस्थान से चुनाव लड़ रहे राजद के उम्मीदवार को पिछले चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवार से ज्यादा वोट मिले. 2020 में कुशेश्वरस्थान सीट से कांग्रेस के अशोक राम राजद समर्थित उम्मीदवार थे. उन्हें तब तकरीबन 34 फीसदी वोट मिले थे. इस दफे राजद ने अकेले चुनाव लड़ा औऱ उसे 36 फीसदी वोट आय़े. यानि राजद ने दो प्रतिशत ज्यादा वोट हासिल कर लिया.
MY से आगे बढ़ा राजद का दायरा
उपचुनाव का परिणाम ये भी बताता है कि राजद अब सिर्फ MY समीकरण वाली पार्टी नहीं रही. आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं. उदाहरण के लिए तारापुर विधानसभा सीट पर MY यानि यादव औऱ मुसलमान वोटरों की संख्या लगभग 25 प्रतिशत है. राजद के उम्मीदवार को 44 प्रतिशत से ज्यादा वोट आय़े. यानि MY के अलावा दूसरे तबके के कम से कम 19 प्रतिशत वोटरों ने राजद के पक्ष में वोटिंग की. ऐसी ही हालत कुशेश्वरस्थान में भी रही. कुशेश्वरस्थान में MY यानि यादव-मुसलमानों के वोट लगभग 25 प्रतिशत हैं. लेकिन राजद ने 36 प्रतिशत वोट हासिल किया. मतलब साफ है कि अगर सारे यादव औऱ मुसलमानों ने राजद को वोट कर दिया तो भी दूसरे तबके के 11 प्रतिशत लोगों ने राजद के पक्ष में वोट किया.
आगे के लिए आसान हुई तेजस्वी की राह
बड़ी बात ये है कि इस उपचुनाव ने तेजस्वी यादव औऱ राजद के लिए आगे की सियासत की राह आसान कर दी है. दरअसल पिछले कई चुनावों से ये दिख रहा था कि राजद कांग्रेस के दवाब में उसे मनमाफिक सीटें दे रही थी. 2020 के विधानसभा चुनाव में ही कांग्रेस ने राजद को मजबूर कर दिया था कि वह उसके लिए 70 सीटें छोड़े. राजद इस डर में थी कि कांग्रेस अगर गठबंधन से अलग हुई तो फिर मुसलमानों के वोट बटेंगे. नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस के ज्यादातर उम्मीदवार हारे औऱ तेजस्वी मुख्यमंत्री बनते बनते रह गये.
राजद के एक नेता ने बताया कि अब कांग्रेस की ब्लैकमेलिंग का डर खत्म हो गया है. इस उपचुनाव में मुसलमानों ने उसे सिरे से खारिज कर दिया. लिहाजा अब कांग्रेस आगे आने वाले चुनाव में राजद पर कोई प्रेशर नहीं बना पायेगी. कांग्रेस की ब्लैकमेलिंग अब राजद बर्दाश्त नहीं करने वाला है.
नये गठबंधन की राह खुलेगी
राजद नेता के मुताबिक 2020 के चुनाव में तेजस्वी चाहते थे कि मुकेश सहनी को गठबंधन में रखा जाये लेकिन कांग्रेस ने इतनी सीटें ले ली कि राजद के पास मुकेश सहनी को एडजस्ट करने का रास्ता ही नहीं बचा. लेकिन अब आगे के चुनाव में तेजस्वी को मनमाफिक गठबंधन औऱ सीटों का बंटवारा की सहूलियत होगी. तेजस्वी की निगाहें चिराग पासवान पर टिकी हुई हैं. कांग्रेस अलग भी हो जाये तो तेजस्वी, चिराग और वाम दलों का गठबंधन बेहद मजबूत साबित हो सकता है. कांग्रेस के शामिल होने से कोई वोट बैंक नहीं बढता लेकिन चिराग के आने से 5 प्रतिशत वोटों का बढ़ना तय है. 5 प्रतिशत वोट बिहार में कुर्सी दिलाने और छीनने दोनों के लिए काफी हैं.