उपचुनाव परिणाम: औंधे मुंह गिरे चिराग, सूबे की सियासत में धीमी हो गयी लौ, गैर राजनीतिक सलाहकारों के कारण हुई दुर्दशा?

उपचुनाव परिणाम: औंधे मुंह गिरे चिराग, सूबे की सियासत में धीमी हो गयी लौ, गैर राजनीतिक सलाहकारों के कारण हुई दुर्दशा?

PATNA: बिहार में दो सीटों पर हुए उपचुनाव का परिणाम आने के बाद चिराग पासवान ने ट्वीट किया है. चिराग पासवान ने कहा है कि जनता ने उनकी पार्टी को समर्थन दिया तभी लोजपा(रामविलास) बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी हो गयी. लेकिन आंकड़े कुछ औऱ कह रहे हैं. चिराग पासवान इस चुनाव में औंधे मुंह गिरे हैं. उपचुनाव के परिणाम ने आगे की राजनीति में चिराग की लौ को धीमी कर दिया है. रिजल्ट आने के बाद चिराग के चाचा पारस के समर्थकों ने जिस तरीके से जश्न मनाया उसके पीछे कारण यही है.


क्या हुआ चिराग का हाल

चिराग ने उपचुनाव की दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार दिये थे. हम उनके उम्मीदवारों का हाल आपको बताते हैं. कुशेश्वरस्थान सीट पर चिराग की पार्टी लोजपा (रामविलास) की उम्मीदवार अंजू देवी को 5623 वोट आये. अब इसी सीट पर 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के उम्मीदवार को मिले वोट का आंकड़ा जान लीजिये. 2020 में चिराग पासवान की उम्मीदवार पूनम कुमारी को साढे तेरह हजार से ज्यादा वोट मिले थे. तब चिराग के उम्मीदवार के उम्मीदवार को तकरीबन 10 फीसदी वोट हासिल हुए थे. इस उपचुनाव में लोजपा (रामविलास) की उम्मीदवार अंजू देवी को सिर्फ सवा चार फीसदी वोट हासिल हुए.


इससे भी बुरी स्थिति तारापुर विधानसभा उपचुनाव में हुई. चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास के उम्मीदवार कुमार चंदन को सिर्फ 5364 वोट मिले. यानि कुल वोट का मात्र 3 प्रतिशत. इसी सीट पर पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में लोजपा के उम्मीदवार को तारापुर क्षेत्र में 11624 वोट मिले थे जो कुल वोटों का तकरीबन साढ़े 6 फीसदी था. 


दोनों विधानसभा क्षेत्रों में लोजपा रामविलास का ये हश्र तब हुआ जब चिराग पासवान ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. वे क्षेत्र में लगातार कैंप कर रहे थे. चिराग हेलीकॉप्टर से भी चुनाव प्रचार करने गये थे. दिलचस्प बात ये भी है कि तारापुर विधानसभा क्षेत्र चिराग के लोकसभा क्षेत्र जमुई में आता है. फिर भी वोटरों ने उन्हें इज्जत बचाने लायक भी वोट नहीं दिये.


चिराग की लौ और धीमी होगी

उपचुनाव के परिणाम ने चिराग के भविष्य की राजनीति पर भी सवाल खड़ा कर दिया है. एनडीए में मैसेज चला गया है कि चिराग अलग रहकर भी कुछ बिगाड़ नहीं सकते. लिहाजा बीजेपी से फिर से बात बनने की बची खुची उम्मीद भी खत्म हो गयी है. उधर राजद के कैंप में मैसेज ये गया है कि चिराग पासवान के बहुत ज्यादा जनाधार नहीं है. अब भले ही खुद को तसल्ली देने के लिए चिराग कह लें कि वे तीसरे नंबर की पार्टी हो गये हैं लेकिन पहले-दूसरे से तीसरे का अंतर इतना बड़ा है कि चिराग का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है.


सलाहकारों के कारण फंसे चिराग 

लोजपा के कई नेताओं ने आज फर्स्ट बिहार से बात करते हुए कहा कि चिराग पासवान अपने सलाहकारों के कारण इस हाल में पहुंचे हैं. चिराग के इर्द गिर्द रहने वाले नेताओँ में से कोई भी राजनीतिक बैकग्राउंड से नहीं है. इन्हीं नेताओं ने उप चुनाव में उम्मीदवार भी चुना. उम्मीदवार का आलम ये था कि तारापुर में लोजपा रामविलास के प्रत्याशी ने नामांकन भरने के बाद से ही हाथ खड़े कर दिये थे. सूत्र बताते हैं कि प्रत्याशी कह रहा था कि उसकी अपनी गाड़ी में तेल भराने के लिए भी उसे पार्टी से पैसे चाहिये. 


उधर पार्टी के ज्यादातर नेता चिराग को घेर कर रहने वाले चार-पांच लोगों के कारण खुद को किनारे करने में लगे हैं. लोजपा रामविलास के ज्यादातर नेताओं ने उप चुनाव में प्रचार से दूरी बनाये रखा. कुछ चेहरा दिखाने के लिए चिराग के साथ दौरे पर नजर आये लेकिन उसके बाद खुद को अलग कर लिया. लोजपा के एक नेता ने कहा कि अगर ऐसे ही लोग चिराग पासवान को सलाह देते रहेंगे तो भविष्य क्या होगा ये बताने की बात नहीं है.


पारस कैंप में खुशी की लहर

उधर चिराग के चाचा पारस कैंप में आज जबरदस्त खुशी की लहर दौड़ी. जीत जेडीयू की हुई लेकिन होली औऱ दीवाली पशुपति पारस के समर्थकों ने मनायी. पारस समर्थक जेडीयू की जीत से कम चिराग की पार्टी के प्रदर्शन से ज्यादा खुश थे. उप चुनाव के परिणाम ने पारस को भी संजीवनी दे दी है. वे दावा कर सकेंगे कि रामविलास पासवान का आधार वोट उनके साथ ही है.