Bihar Bijli News: संयोग या प्रयोग? उपचुनाव के लिए वोटिंग खत्म होते ही बिजली कंपनी ने एकसाथ काटा स्मार्ट मीटर से पैसा, आने लगा लो बैलेंस का मैसेज

Bihar Bijli News: संयोग या प्रयोग? उपचुनाव के लिए वोटिंग खत्म होते ही बिजली कंपनी ने एकसाथ काटा स्मार्ट मीटर से पैसा, आने लगा लो बैलेंस का मैसेज

PATNA : बिहार की राजधानी पटना में स्मार्ट मीटर का उपयोग करने वाले बिजली उपभोक्ता लगातार परेशानियां का सामना कर रहे हैं। कभी इन्हें बिजली कंपनी की सर्वर फेल होने से परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो कभी कोई और समस्या। लेकिन अब बिजली कंपनी के खेल का पर्दाफाश होता हुआ नजर आ रहा है। 

उपचुनाव वोटिंग के बाद आया मैसेज

दरअसल, राजधानी पटना में 30 अक्टूबर से ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर बैलेंस कटना बंद हो गया था। सबसे बड़ी बात है कि बिजली कंपनी के तरफ से स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर जो ऐप तैयार किए गए हैं उसमें 12 नवंबर तक केवल फिक्स्ड चार्ज ही काटा। बिजली के डेली यूज का कोई भी बैलेंस नहीं काटा गया। इसके दो दिन बाद यानी 14 नवंबर को बिजली कंपनी के तरफ से सीधा बैलेंस माइनस में जाने का संदेश भेजा जाना शुरू कर दिया गया। यह बात हम खुद से नहीं कह रहे बल्कि इसको लेकर हमारी टीम ने कई लोगों से बातचीत भी कि है। 

डेली यूजेज का नहीं मिला कोई अपडेट 

हमनें राजधानी पटना के एजी कॉलोनी के रहने वाले कमलेश सिंह से बातचीत कि तो वह बताते हैं कि पिछले 30 अक्टूबर से  स्मार्ट प्रीपेड मीटर का जो ऐप तैयार किया गया है उसमें बैलेंस कटना बंद हो गया था। इसमें हर दिन हमने कितने रुपए का बिजली उपयोग किया उसका कोई अपडेट नहीं दिखाया जा रहा था बल्कि सिर्फ फिक्स चार्ज लिया जा रहा था। लेकिन अब अचानक से यह मैसेज मिला है कि आपका बैलेंस माइंस में चला गया है। इससे हमें काफी परेशानी हो रही है क्योंकि यदि हमें हर रोज यह जानकारी मिल रही होती है कि हमने कितने बिजली का उपयोग किया है तो फिर हमें काफी आसानी होती है। 

उपचुनाव से पहले तक लिया जा रहा था फिक्स चार्ज 

वही एक अन्य उपभोक्ता पटेल नगर के रहने वाले रविकांत बताते हैं कि मुझे आज अचानक सुबह यह मैसेज बिजली कंपनी की तरफ से मिला है कि आपका स्मार्ट प्रीपेड मीटर का बैलेंस माइंस में चला गया है जबकि मैं पिछले एक सप्ताह से यह चेक कर रहा था कि हमने हर दिन कितने रुपए की बिजली का उपयोग किया तो कोई अपडेट नहीं दिखाया जा रहा था। अब अचानक से स्मार्ट मीटर के माइनस होने का मैसेज आया है। जबकि हमने पहले भी इसको लेकर कंज्यूमर फार्म में शिकायत की थी लेकिन कोई बेहतर जवाब हमें नहीं मिल पाया था। इसको लेकर कहा गया था कि आपकी शिकायत दर्ज कर ली गई है और जल्द ही इसका निपटारा किया जाएगा लेकिन इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।

शिकायत के बाद ही नहीं मिला उचित जवाब 

इसके अलावा दानापुर के गोला रोड के रहने वाले विजय राज ने बताया कि पिछले कई दिनों से हम यह देख रहे थे कि हमारे स्मार्ट मीटर ऐप से केवल फिक्स चार्जिंग काटा जा रहा है बल्कि डेली यूसेज का बैलेंस नहीं काटा जा रहा। इसको लेकर हमने बिजली कंपनी के कस्टमर केयर से बातचीत भी की उन्होंने इसको लेकर कोई ठीक ठाक जवाब नहीं दिया और अब बैलेंस माइंस में जाने का मैसेज मिला है। अब हमेशा समझ में नहीं आ रहा है कि हमने एक सप्ताह में कितने रुपए का बिजली का उपयोग किया और अचानक हमारा बैलेंस माइंस में कैसे चला गया। 

आखिर वोटिंग के अगले ही दिन क्यों आया मैसेज

वहीं, एक चर्चा यह भी है कि यह भी है कि बिहार में जब तक उपचुनाव था या यूं कहें कि इसका शोर गुल था तब तक किसी तरह का कोई विरोध न हो इस वजह से बिजली उपभोक्ताओं का डेली यूजज बैलेंस नहीं काटा जा रहा था। अब जैसे ही चुनाव खत्म हो गया है वैसे ही अचानक से लो बैलेंस का मैसेज भेजा जा रहा है। इससे पहले भी सूबे के अंदर जब लोकसभा चुनाव का समय था तब बिजली विभाग की तरफ से इसी तरह का प्रयोग किया गया था अब उपचुनाव के बाद भी इसी तरह का मामला सामने आया है तो यह महज एक संयोग है या फिर बिजली विभाग की तरफ से किया गया कोई प्रयोग?


बहरहाल, देखने वाली बात यह है कि बिहार में जब 30 अक्टूबर से बैलेंस काटने की प्रक्रिया बंद हो गई थी तो फिर स्मार्ट मीटर के टेक्निकल टीम इसमें सुधार को लेकर काम क्यों नहीं कर रही थी। और यदि वह काम कर रही थी तो फिर अचानक से उपचुनाव के बाद वाले दिन ही लो बैलेंस का मैसेज कैसे हासिल हुआ। क्योंकि इससे पहले भी पिछले कई दिनों तक स्मार्ट मीटर के लिंक में गड़बड़ी की खबरें सामने आई थी जिससे काफी परेशानी लोगों को हुई थी उसके ठीक पहले जब लोकसभा चुनाव का समय था तब भी वोटिंग के अगले ही दिन लोगों के पास लो बैलेंस का मैसेज आया था। अब बिहार विधानसभा उपचुनाव को लेकर वोटिंग के अगले ही दिन इस तरह का मैसेज सामने आया है। अब सवाल बन रहा है कि यह बिजली विभाग का एक प्रयोग है या इसे महज एक संयोग सहयोग समझा जाए?