उपचुनाव का असर: पप्पू यादव की सियासत खतरे में, कांग्रेस के लिए मुहिम का कोई असर नहीं, धोखा देने के लग रहे आरोप

उपचुनाव का असर: पप्पू यादव की सियासत खतरे में, कांग्रेस के लिए मुहिम का कोई असर नहीं, धोखा देने के लग रहे आरोप

PATNA: बिहार में विधानसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव का असर दिखना शुरू हो गया है। उपचुनाव के परिणाम का असर पप्पू यादव के सियासी भविष्य पर पड़ता दिख रहा है। पप्पू यादव का पॉलिटिकल करियर खतरे में नजर आ रहा है। कांग्रेस को समर्थन को उनके एलान का कोई असर नहीं दिखा। हां, उनकी पार्टी के कैंडिडेट को जो वोट आये उससे अलग ही मैसेज जरूर जा रहा है।


पप्पू का कोई असर नहीं

बिहार में दो सीटों पर हुए उपचुनाव में पप्पू यादव ने कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया था. पप्पू यादव खुद कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने भी गये थे. लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ. आलम ये हुआ कि कुशेश्वरस्थान औऱ तारापुर यानि दोनों सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार चौथे स्थान पर रहे. कुशेश्वरस्थान सीट पर कई दफे कांग्रेस के विधायक रहने वाले अशोक राम के बेटे अतिरेक कुमार को सिर्फ 5602 वोट मिले. ये वही सीट है जहां कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में बहुत कम अंतर से जेडीयू से हार का सामना करना पड़ा था. 


उससे भी बुरी स्थिति तारापुर सीट पर हुई, जहां कांग्रेस के उम्मीदवार 3 हजार वोट के आसपास सिमट गये. तारापुर सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार राजेश कुमार मिश्रा पिछले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में थे तो उन्हें लगभग साढ़े दस हजार वोट मिले थे. इस चुनाव में वे कांग्रेस का सिंबल लेकर भी एक तिहाई वोट भी नहीं ले आ पाये. 


क्या पप्पू ने कांग्रेस को भी धोखा दिया

कांग्रेस के एक वरीय नेता ने कहा कि पप्पू यादव पर भरोसा करना प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं की गलती थी. पप्पू यादव कितने विश्वसनीय हैं ये कुशेश्वरस्थान सीट का रिजल्ट ही बताता है. कुशेश्वरस्थान से पहले पप्पू यादव की पार्टी जाप ने अपना उम्मीदवार उतारा था. बाद में कांग्रेस के समर्थन में जाप के उम्मीदवार योगी चौपाल को चुनाव मैदान से हटाने का एलान किया गया. लेकिन जब वोटों की काउंटिंग हुई तो पप्पू यादव की पार्टी के उम्मीदवार को 2200 वोट आये. कांग्रेस के नेता ने कहा कि जो उम्मीदवार चुनाव मैदान से हट चुका हो उसे इतने वोट कहां से आ गये.


पप्पू की सियासत खतरे में

कुल मिलाकर कहें तो उपचुनाव का नतीजा यही दिख रहा है कि पप्पू यादव की सियासत गंभीर खतरे में है. वैसे भी राजद से बाहर होने के बाद वे अस्तित्व की लड़ाई ही लड़ रहे थे. लेकिन जब उपचुनाव के दौरान कांग्रेस औऱ राजद के बीच तकरार हुई तो पप्पू यादव को लगा था कि कांग्रेस का हाथ उनकी पीठ पर पड़ जायेगा. लेकिन जो रिजल्ट आय़ा है उससे साफ हो गया है कि कांग्रेस फिर राजद की शरण में ही लौटेगी. पप्पू यादव पर पहले से ही जेडीयू-बीजेपी से लेकर राजद तक भरोसा करने को तैयार नहीं है. डूबते को तिनके का सहारे की तरह कांग्रेस की आस दिख रही थी लेकिन अब वह भी खत्म होती दिख रही है.


कांग्रेस के एक वरीय नेता ने कहा कि पप्पू यादव वैसे भी राहुल गांधी के सपनों के कांग्रेस में कहीं फिट नहीं बैठते। उनकी जो इमेज रही है उसमें कांग्रेस उनके साथ खड़े होकर असहज ही महसूस करेगी. यही कारण है कि उप चुनाव के दौरान पप्पू यादव राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस के दूसरे बड़े नेताओं से मुलाकात करने की कोशिश करते रह गये किसी ने मिलने का टाइम नहीं दिया. अब कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेता भी पप्पू यादव की छाया से दूर भागें तो हैरानी नहीं होनी चाहिये।