यूपी चुनाव में जेडीयू का इरादा क्या है? जिन 26 सीटों पर चुनाव लडेगी उनमें 22 बीजेपी गठबंधन की सीटिंग,अब बिहार में घमासान तय है

यूपी चुनाव में जेडीयू का इरादा क्या है? जिन 26 सीटों पर चुनाव लडेगी उनमें 22 बीजेपी गठबंधन की सीटिंग,अब बिहार में घमासान तय है

DESK: उत्तर प्रदेश में बगैर किसी जनाधार या बिना किसी पार्टी संगठन के विधान सभा चुनाव लड़ने गयी जेडीयू का इरादा क्या है. सियासी हलके में यही सवाल उठ रहा है. जेडीयू ने चुनाव से पहले बीजेपी से जिन सीटों की मांग की थी उसे देखकर भी जानकार हैरान थे. जब बीजेपी ने कोई नोटिस ही नहीं लिया तो जेडीयू ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है उसे देखकर हैरानी और बढ़ गयी है. 

दिलचस्प है ये आंकड़ा

दरअसल शनिवार को जेडीयू ने उत्तर प्रदेश की उन 26 सीटों की पहली सूची जारी की जहां वह चुनाव लड़ने जा रही है. दिलचस्प बात देखिये इन 26 सीटों में से 22 सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी गठबंधन के सीटिंग विधायक हैं. जेडीयू ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है उनमें से 19 पर 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार जीते थे. 3 पर बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल के सीटिंग विधायक हैं. यानि 26 में से 22 सीटों पर बीजेपी गठबंधन के विधायक हैं. सिर्फ चार सीटें ऐसी हैं जहां दूसरी पार्टियों के विधायक हैं. इनमें से 3 समाजवादी पार्टी की तो एक कांग्रेस की सीटिंग सीट है.


उम्मीदवार का नाम न घोषित करने के पीछे भी पेंच

बात सिर्फ बीजेपी गठबंधन की सीटिंग सीटों की नहीं है. सबसे रोचक बात तो अभी बाकी है. जेडीयू ने उन सीटों के नाम घोषित कर दिये जहां से वह चुनाव लड़ेगी लेकिन उम्मीदवारों के नाम का एलान नहीं किया. हम आपको तीन-चार दिन पीछे ले चलते हैं. जेडीयू ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर पहले लखनऊ और फिर दिल्ली मे बैठक की थी. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा-हमारे उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार है, बीजेपी की ओऱ से फाइनल इंकार हो जाये, हम उम्मीदवारों के नाम का एलान कर देंगे. लेकिन जेडीयू ने उम्मीदवार के नाम घोषित नहीं किये.

बीजेपी को डैमेज करने वाले उम्मीदवार की तलाश

जेडीयू के एक प्रमुख नेता ने इस रणनीति के बारे में हमे ऑफ द रिकार्ड बताया. उनका कहना था पार्टी को तो ऐसे भी उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं, जो दो-चार हजार वोट ला सकें. जहां कोई आधार ही नहीं है, वहां मजबूत उम्मीदवार कहां से मिलेंगे. ऐसे में पार्टी चला रहे लोगों ने प्लानिंग की है. बीजेपी में टिकट मांगने वालों की लंबी फौज है. बीजेपी कई सीटिंग विधायकों का भी टिकट काट रही है. जेडीयू बीजेपी के उम्मीदवारों का नाम फाइनल होने का इंतजार करेगी. बीजेपी अपने जिस किसी मजबूत नेता को टिकट से वंचित करेगी, जेडीयू उसे अपना टिकट थमा देगी. उसे तमाम संसाधन उपलब्ध कराने का भी भरोसा दिलाया जायेगा जिससे वह मजबूती से चुनाव लड़ सके. जेडीयू के नेता ने कहा-मकसद सिर्फ एक है, बीजेपी को डैमेज करना. 


सारा खेल जेडीयू के आंतरिक घमासान का

जेडीयू के कई नेता यूपी में पार्टी की रणनीति को समझ रहे हैं. मामला बीजेपी का नहीं है बल्कि जेडीयू के अंदर मचे घमासान का है. ये घमासान तब से शुरू हुआ है जब पिछले साल जुलाई में मोदी कैबिनेट का विस्तार हुआ था. नीतीश पर अपने प्रभाव और बीजेपी में अपनी पकड़ के आधार पर जेडीयू के एक नेता ने अपनी गोटी लाल कर ली थी. उस वक्त जेडीयू के एक आला नेता मंत्री बनने का इंतजार करते रह गये. खबर ये भी आयी कि थी बीजेपी ने मंत्री बनने का सपना पाले जेडीयू के कद्दावर नेता को कैबिनेट में लेने से साफ इंकार कर दिया था. 

जेडीयू के आंतरिक सूत्र बताते हैं कि जोड़-तोड़ के एक्सपर्ट माने जाने वाले जेडीयू के नेता ने मंत्री नहीं बनने की कसक निकालने की प्लानिंग उसी वक्त से कर ली थी. निशाना क्लीयर था कि अपनी गोटी लाल कर मजे ले रहे अपनी ही पार्टी के नेता को ठिकाने लगाया जाये. जेडीयू के एक नेता ने फर्स्ट बिहार से कहा-आपने देखा होगा कि नीतीश कुमार के घऱ पर भी बिना बुलाये नहीं जाने वाले हमारे नेता जी एक तीसरे नंबर के नेता के घऱ दो-दो दफे चाय पीने पहुंच गये थे. चाय की वह प्याली तूफान पैदा करने के लिए तैयार की जा रही थी.

यूपी के बहाने शुरू से से ही खेल

अगस्त में पटना में जेडीयू के राष्ट्रीय पर्षद की बैठक हो रही थी. बैठक के अंदर से आ रही खबरों को हम दुहरा रहे हैं. जेडीयू के दो नेता खुलकर बीजेपी को कोस रहे थे. इसी बीच केंद्र में मंत्री बन चुके आरसीपी सिंह का भाषण हुआ. वे अपने भाषण में बीजेपी से जेडीयू की दोस्ती पर ही बात करते रह गये. उसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह बोलने के लिए आये. उन्होंने कहा-चूंकि आरसीपी सिंह बीजेपी से दोस्ती की बात कर रहे हैं इसलिए पार्टी उन्हें उत्तर प्रदेश में तालमेल के लिए बीजेपी से बात करने को अधिकृत करती है. आरसीपी सिंह बीजेपी से बात कर जेडीयू को सीटें दिलवायें.


जेडीयू को सीट क्यों देती बीजेपी

जेडीयू के भीतर सारा खेल तब चल रहा था जब जदयू के सारे नेताओं को पता था कि बीजेपी उन्हें कोई भाव नहीं देने वाली है. आखिरकार बीजेपी जेडीयू को सीट क्यों देती. बिहार में नीतीश कुमार तीसरे नंबर की पार्टी के नेता होने के बावजूद मुख्यमंत्री इसलिए बने हुए हैं कि बीजेपी ने उन पर मेहरबानी की है. रही बात उत्तर प्रदेश की तो वहां जेडीयू का कोई वजूद ही नहीं है. जेडीयू ने 2017 में उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ा ही नहीं था. 

उससे पहले 2012 में नीतीश मॉडल के नाम पर जदयू ने उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ा था. 200 से ज्यादा सीटों पर जेडीयू ने उम्मीदवार उतारे थे. बिहार के तमाम छोटे-बडे नेताओं को यूपी में कैंप करा दिया गया था. खुद नीतीश कुमार प्रचार करने गये थे. नतीजा ये रहा कि किसी भी सीट पर जेडीयू की जमानत भी नहीं बची. जमानत की बात छोड़िये, नीतीश कुमार जिन सीटों पर जेडीयू उम्मीदवारों का प्रचार करने गये थे उनमें से ज्यादातर पर जदयू उम्मीदवार को एक हजार वोट भी नहीं आये. 

लिहाजा सारे सियासी जानकारों को ये पहले दिन से पता था कि बीजेपी जेडीयू के लिए 2022 में एक सीट भी छोड़ने नहीं जा रही है. लेकिन जेडीयू के भीतर शह मात का खेल चल रहा था. ऐसे में बातें ऐसी फैलायी जा रही थी, मानो बीजेपी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी खुद जेडीयू के सामने बिछी हुई है. वह नीतीश कुमार को प्रचार में बुलाने के लिए बेकरार है. अगर बीजेपी ने सरेंडर नहीं किया तो जेडीयू बीजेपी का सारा खेल बिगाड सकती है. ऐसी तमाम बातें जेडीयू के नेता ही प्रचारित कर रहे थे. वर्ना बीजेपी के किसी नेता ने कभी उत्तर प्रदेश में जेडीयू से तालमेल पर एक शब्द का कोई जिक्र तक नहीं किया. यूपी में तालमेल की जितनी भी बातें आ रही थीं, वह सिर्फ जेडीयू की ओर से आ रही थीं.

वैसे इस सारे खेल को समझने के लिए हम आपको वो बयान फिर से बताते हैं जो जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने शुक्रवार को तब दिया जब वो उन 26 सीटों का एलान कर रहे थे जिस पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ने जा रही है. ललन सिंह ने कहा

“गठबंधन को लेकर मेरी बात बीजेपी से नहीं हो रही थी. जेडीयू के मंत्री हैं आरसीपी सिंह वह दो-तीन महीना पहले से ही कह रहे थे कि बीजेपी से बात हो रही है. बीजेपी से सीटों का तालमेल होगा, हम उसी भरोसे रह गए. ऐसा नहीं तो हम यूपी के चुनाव में पूरी तैयारी के साथ उतरते. अभी हम 50-60 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं लेकिन पहले पता होता तो 100 सीटों पर चुनाव लड़ते.” इससे पहले के चुनाव में लड़कर एक भी सीट पर इज्जत बचाने लायक वोट नहीं पाने वाली पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का ये बयान बहुत कुछ कहानी अपने आप कह जाता है.