मुख्य सचिव ने दिए निर्देश: योग्य लाभार्थियों को मिले राशन कार्ड, PDS दुकानों की रिक्तियां शीघ्र भरें, Zero Office Day अभियान में सख्ती कैमूर में विवाहिता की संदिग्ध मौत, मायकेवालों ने ससुराल पक्ष पर लगाया जहर देकर मारने का आरोप Bihar: सोनपुर में मनाया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन, पौधारोपण समेत कई कार्यक्रमों का हुआ आयोजन Bihar: सोनपुर में मनाया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन, पौधारोपण समेत कई कार्यक्रमों का हुआ आयोजन Buxar News: विश्वामित्र सेना ने निकाली ‘सनातन जोड़ो यात्रा’, धार्मिक एकता और आस्था का अनूठा संगम Buxar News: विश्वामित्र सेना ने निकाली ‘सनातन जोड़ो यात्रा’, धार्मिक एकता और आस्था का अनूठा संगम वीरपुर में किसान सम्मान समारोह: संजीव मिश्रा ने सैकड़ों किसानों को किया सम्मानित World Athletics Championship 2025: वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप फाइनल में पहुंचे नीरज चोपड़ा, पहले ही थ्रो में किया क्वालिफाई World Athletics Championship 2025: वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप फाइनल में पहुंचे नीरज चोपड़ा, पहले ही थ्रो में किया क्वालिफाई यूट्यूबर दिवाकर सहनी और उनके परिवार के साथ मजबूती के साथ खड़ी है वीआईपी: मुकेश सहनी
1st Bihar Published by: Updated Sun, 06 Mar 2022 07:38:56 AM IST
- फ़ोटो
DESK : यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे 18 हजार में से ज्यादातर छात्र स्वदेश लौट चुके हैं, बाकी को भी वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि, इन छात्रों की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होती हैं. यदि अगले कुछ महीनों के भीतर वहां हालात सामान्य नहीं होते हैं तो उनका करियर तबाह हो जाएगा. अनेक छात्र इसमें ऐसे हैं जो एमबीबीएस आखिरी वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे छात्रों को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने बड़ी राहत दी है.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने कहा है कि कोरोना महामारी अथवा युद्ध जैसी विषम परिस्थितियों के कारण अपनी इंटर्नशिप पूरी नहीं कर पाने वाले विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट भारत में इसे पूरा कर सकते हैं. छात्रों को विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (एफएमजीई) पास करनी होगी. इस बीच, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने यूक्रेन से लौटे एमबीबीएस के छात्रों को भी देश में आगे पढ़ाई जारी रखने का मौका देने की मांग की है.
एनएमसी ने कहा है कि विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट को इंटर्नशिप के आवंटन के लिए अधिकतम कोटा एक मेडिकल कालेज में कुल स्वीकृत सीट के अतिरिक्त 7.5 प्रतिशत तक सीमित होना चाहिए. भारतीय मेडिकल ग्रेजुएट की तरह ही उन्हें स्टाइपेंड और अन्य सुविधाएं दी जानी चाहिए. मेडिकल कालेज विदेशी मेडिकल 'स्नातकों को इंटर्नशिप कराने के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं लेंगे.