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उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त हुआ चैती छठ, जानें इस व्रत के बड़े लाभ

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 28 Mar 2023 07:12:27 AM IST

उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त हुआ चैती छठ,  जानें इस व्रत के बड़े लाभ

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PATNA : अस्ताचलगामी और उदयीमान भगवान सूर्य की उपासना को काफी महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। ऐसा मान्यता है कि, सूर्य तमाम रोगों और दुखों से निवारण करते हैं. इसलिए व्रती पूरे नियम धरम से भगवान सूर्य की उपासना करते हैं। ऐसे में अब आज  25 मार्च को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ चैती छठ महापर्व उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त हो गया।


छठ व्रतियों ने जिस घाट पर शाम को भगवान को अर्घ्य दिया था, सुबह भी उसी घाट से अर्घ्य दिया गया। इसके लिए घाट की साफ सफाई प्रशासिनक स्तर पर पिछले कई दिनों से चल रही थी। कई व्रती रात को घाटों पर ही रुक जाते हैं और भगवान भास्कर की उपासना में लीन नजर आए।  वहीं कई व्रती वापस घर को आ जाते हैं और अगले दिन अहले सुबह फिर घाटों की ओर रवाना होते हैं।  इस दौरान व्रती रास्ते में दंडवत करते हुए आगे बढ़ते हैं और उनका आशीर्वाद लेकर दूसरे श्रद्धालु भी पूण्य की प्राप्ति करते हैं। 


 28 मार्च को भगवान भास्कर के उदय होने का बेसब्री से व्रती इंतजार कर रहे थे। आज सुबह सूर्य देवता के दर्शन करने के लिए आपको ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा. सूर्योदय का समय 6 बजकर 16 मिनट पर था लेकिन अर्घ्य अर्पित करने का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 55 मिनट पर ही थी। भगवान भास्कर की महिमा तमाम पुराणों में बताई गई है। भगवान सूर्य एक ऐसे देवता हैं, जिनकी साधना भगवान राम और श्रीकृष्ण के पुत्र सांब तक ने की थी। सनातन परंपरा से जुड़े धार्मिक ग्रंथों में उगते हुए सूर्य देव की पूजा को अत्यंत ही शुभ और शीघ्र ही फलदायी बताया गया है, लेकिन छठ महापर्व पर की जाने वाली सूर्यदेव की पूजा एवं अर्घ्य का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि छठ व्रत की पूजा से साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट पलक झपकते दूर हो जाते हैं और उसे मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।


छठ महापर्व के समापन के बाद व्रती छठी मैया को लगाए भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं। छठ के प्रसाद में ठेकुआ का विशेष महत्व होता है। इसके साथ ही कई तरह के फल होते हैं जिसका छठ में खास महत्व होता है।  जिसमें  गन्ना, नींबू, नारियल, आंवला छठ महापर्व में चढ़ाए जाने वाले विशेष फल हैं. अब महापर्व के समापन के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त हो गया. साथ ही श्रद्धालु छठ महापर्व के प्रसाद को ग्रहण कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।