PATNA : बिहार में विधानसभा की 2 सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर सियासी दलों के बीच जबरदस्त रस्साकशी देखने को मिल रही है। एक तरफ जहां एनडीए का खेमा एकजुट है तो वहीं महागठबंधन मौजूदा उपचुनाव में बिखर चुका है। आरजेडी और कांग्रेस दोनों दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा सीट पर उतार रखे हैं। 16 अक्टूबर तक नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तारीख है, अगर आरजेडी या कांग्रेस में से किसी भी दल ने अपने कदम वापस नहीं खींचे तो यह तय माना जाएगा कि बिहार में अब महागठबंधन आगे चल पाना मुश्किल होगा। कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवार उतारे जाने को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जहां एक तरफ फ्रेंडली फाइट बता रहे हैं तो वही बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास में इसे दोस्ताना मुकाबला मानने से इनकार कर दिया है। इस सब के बीच कांग्रेस ने अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की है। कांग्रेस के नेता भले ही आरजेडी को मुकाबला देने की बात कर रहे हो लेकिन स्टार प्रचारकों की लिस्ट यह बता रही है कि आरजेडी या तेजस्वी यादव को लेकर पार्टी की रणनीति कितनी खोखली है।
दरअसल कांग्रेस ने विधानसभा उपचुनाव के लिए जिम में 20 स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की है उसमें आरजेडी के सबसे मजबूत वोट बैंक में सेंधमारी करने के लिए जातीय समीकरण का ध्यान नहीं रखा गया है। बिहार में यादव जाति को आरजेडी का सबसे मजबूत वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में अगर कांग्रेस आरजेडी को चुनौती देना चाहती है तो उसे इस जातीय समीकरण का ध्यान रखना चाहिए था। 20 स्टार प्रचारकों में से कोई भी यादव जाति से नहीं आता है। स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल नेताओं के अगर जातीय समीकरण पर ध्यान दें तो सबसे ज्यादा भूमिहार जाति से आने वाले 5 नेताओं को जगह मिली है। इसके बाद तीन ब्राह्मण नेताओं को जबकि दो राजपूत नेताओं को इस में जगह दी गई है। कायस्थ समाज से आने वाले शत्रुघ्न सिन्हा इस लिस्ट में शामिल है जबकि दलित तबके से आने वाले तीन नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया गया है। मुस्लिम समाज के 5 नेता इस लिस्ट में शामिल है जबकि ओबीसी चेहरे के तौर पर हार्दिक पटेल को गुजरात से लाया गया है लेकिन यादव जाति के किसी भी कांग्रेसी को इस लिस्ट में जगह नहीं मिली है।
कांग्रेस स्टार प्रचारकों की लिस्ट में कन्हैया कुमार से लेकर जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल तक के शामिल हैं। कन्हैया और जिग्नेश मेवानी पिछले दिनों ही कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन उन्हें पार्टी ने स्टार प्रचारक बनाया है। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस में यादव जाति से आने वाले चेहरों की कमी है। पार्टी में कई ऐसे युवा चेहरे हैं जो यादव समाज से आते हैं। युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललन कुमार इसी तबके से आते हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टीम के मेंबर माने जाने वाले चंदन यादव को भी स्टार प्रचारकों की लिस्ट में जगह नहीं दिया जाना कई सवाल खड़े करता है। कांग्रेस के अंदर दबी जुबान से इस बात की चर्चा होने लगी है कि क्या आरजेडी के खिलाफ उम्मीदवार देना नेतृत्व हाफ चांस के तौर पर लेकर चल रहा है! अगर ऐसा नहीं तो आरजेडी के आधार वोट बैंक में सेंधमारी के लिए यादव जाति से आने वाले कांग्रेसियों को चुनाव में आगे क्यों नहीं किया गया? अगर ऐसा होता तो कांग्रेस को इसका फायदा भी मिलता। ललन कुमार पिछला विधानसभा चुनाव सुल्तानगंज विधानसभा सीट से लड़ चुके हैं। थोड़े ही वोटों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। तारापुर विधानसभा सीट और सुल्तानगंज के बीच बहुत कम दूरी है, ऐसे में ललन कुमार कांग्रेस के लिए प्रभावी साबित हो सकते थे। चंदन यादव को लेकर भी सियासी जानकारी यही मानते हैं लेकिन इन नेताओं को नेतृत्व ने तरजीह नहीं दी। सियासी जानकार मानते हैं कि इन चेहरों को नजरअंदाज करना पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। अब देखना होगा कि कांग्रेस नेतृत्व समय रहते हैं अपने फैसले और रणनीति में बदलाव करता है या फिर आरजेडी को टक्कर देने का दावा केवल कागजों तक ही सीमित रह जाता है।