टांय-टांय फिस्स हो गयी I.N.D.I.A की बैठक: सुशील मोदी बोले-सनातन धर्म विरोधियों ने दिखावे के लिए चाय पार्टी की

टांय-टांय फिस्स हो गयी I.N.D.I.A की बैठक: सुशील मोदी बोले-सनातन धर्म विरोधियों ने दिखावे के लिए चाय पार्टी की

PATNA:  बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A की कोऑर्डिनेशन कमेटी की पहली बैठक चाय पार्टी साबित हुई. न सीटों शेयरिंग पर चर्चा हुई और न नेतृत्व पर फैसला हुआ. डीएमके द्वारा सनातन धर्म पर लगातार दिये जा रहे बयानों पर किसी ने चर्चा करने की हिम्मत नहीं जुटायी. मतलब साफ है कि ये बैठक पूरी तरह टांय-टांय फिस्स हो गयी. 


नीतीश के सपने चकनाचूर हो गये

सुशील मोदी ने कहा कि I.N.D.I.A की कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक से पहले जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह नीतीश कुमार का बायोडाटा जारी कर रहे थे. वे कह रहे थे कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के सबसे योग्य उम्मीदवार हैं.  नीतीश और उनके सिपाहसलारों को आशा थी कि I.N.D.I.A की कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में नेतृत्व के लिए नीतीश कुमार के नाम पर मुहर लगायी जायेगी.  लेकिन बंगलुरू, मुम्बई की तरह दिल्ली बैठक से भी जदयू को निराशा मिली. 


सनातन विरोधी है गठबंधन

सुशील मोदी ने कहा कि I.N.D.I.A की कोऑर्डिनेशन कमेटी ने सनातन धर्म संबंधी द्रमुक के बयान की निंदा तक नहीं की. इससे स्पष्ट है कि आइ.एन.डी.आइ.ए केवल भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध नहीं, बल्कि सनाधर्म-विरोधी है. उन्होंने कहा कि जो लोग पांच राज्यों में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सीट साझेदारी पर फैसला नहीं ले पाए, वे लोकसभा चुनाव में साझा उम्मीदवार कैसे तय करेंगे? 


उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और  छत्तीसगढ में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए केजरीवाल की पार्टी ने 10-10 सीटों पर अपने उम्मीदवार अकेले ही तय कर लिया है. कुछ दिनों पहले उप चुनाव हुए तो गठबंधन के दल पश्चिम बंगाल और केरल में एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में थे. ऐसी पार्टियां एकता की हास्यास्पद बात कर रही हैं. 


सुशील मोदी ने कहा कि  I.N.D.I.A की कोऑर्डिनेशन कमेटी की पहली बैठक में न ललन सिंह पहुँचे, न ममता बनर्जी के प्रतिनिधि.  माकपा ने अब तक अपना प्रतिनिधि भी तय नहीं किया है. जब तक राहुल गांधी, लालू प्रसाद, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी जैसे शीर्ष नेतृत्व की बैठक नहीं होगी, तब तक समन्वय समिति की बैठक एक चाय-पार्टी से ज्यादा मायने नहीं रखती.