ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Election 2025: कांग्रेस उम्मीदवार ऋषि मिश्रा समेत 20 लोगों के खिलाफ केस दर्ज, इस मामले में हुआ एक्शन Bihar Election 2025: कांग्रेस उम्मीदवार ऋषि मिश्रा समेत 20 लोगों के खिलाफ केस दर्ज, इस मामले में हुआ एक्शन ‘2% वाला डिप्टी सीएम, 13% वाला सीएम, 18% वाला दरी बिछावन मंत्री’ मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम फेस घोषित करने पर भड़की ओवैसी का पार्टी ‘2% वाला डिप्टी सीएम, 13% वाला सीएम, 18% वाला दरी बिछावन मंत्री’ मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम फेस घोषित करने पर भड़की ओवैसी का पार्टी Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जिला प्रशासन सख्त, गयाजी में 17 अपराधी थाना बदर; 114 को मिला CCA नोटिस Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जिला प्रशासन सख्त, गयाजी में 17 अपराधी थाना बदर; 114 को मिला CCA नोटिस Bihar News: बिहार के इस स्टेशन पर रेलवे की बड़ी पहल, छठ पर्व पर यात्रियों को मिल रही विशेष सुविधा Bihar Election 2025: जेपी नड्डा का लालू यादव पर बड़ा हमला, चुनावी सभा में शहाबुद्दीन और जंगलराज का भी किया जिक्र Bihar Election 2025: जेपी नड्डा का लालू यादव पर बड़ा हमला, चुनावी सभा में शहाबुद्दीन और जंगलराज का भी किया जिक्र Bhojpur News: समाजसेवी अजय कुमार सिंह ने बहनों संग मनाया भाई दूज का पावन पर्व, सभी का जताया आभार

सुधाकर सिंह ने खोल दी शिक्षा व्यवस्था की पोल, UPSC रिजल्ट के बहाने नीतीश को घेरा

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 26 May 2023 06:36:01 PM IST

सुधाकर सिंह ने खोल दी शिक्षा व्यवस्था की पोल, UPSC रिजल्ट के बहाने नीतीश को घेरा

- फ़ोटो

PATNA: बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री और आरजेडी विधायक किसी न किसी मुद्दे को लेकर अपनी ही सरकार की पोल खोलते रहे हैं। मंत्री रहते हुए उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर मोर्चा खोल दिया था और बाद में उन्हें कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ गया था बावजूद वे नीतीश सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं जाने देते हैं। इस बार उन्होंने यूपीएससी रिजल्ट के बहाने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने की कोशिश की है।


दरअसल, सुधाकर सिंह ने ट्वीट के जरिए एक बार फिर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। सुधाकर सिंह ने कहा है कि बिहार ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां तीन साल के स्नातक की पढ़ाई चार से पांच साल में जबकि दो साल का स्नातकोत्तर तीन से चार साल में पूरा होता है। हर साल करीब 15 लाख छात्र इससे प्रभावित होते हैं। इससे बचने के लिए बिहार के छात्र दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं।


सुधाकर सिंह ने ट्वीट कर लिखा कि, “संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में सफल हुए बिहारी छात्रों के सफल होने में बिहार की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था का कितना योगदान हैं? हर साल की भांति इस साल भी बिहार के छात्र-छात्राओं का संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में विपरीत परिस्थितियों में अभूतपूर्व प्रदर्शन रहा। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। परन्तु, क्या संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में बिहार के छात्र-छात्राओं की सफ़लता, बिहार की शिक्षा व्यवस्था को मापने का पैमाना हो सकता है ? जवाब है नहीं।“


वे आगे लिखते हैं, “बिहार एक मात्र ऐसा राज्य है जहां तीन साल का स्नातक चार से पांच साल में और दो साल का स्नातकोत्तर तीन से चार साल में पूरा किया जाता है, विलंबित सत्र की वजह से हर साल न्यूनतम 15 लाख छात्र प्रभावित होते हैं और यह समस्या दशकों से है। परिणामस्वरूप, बिहार के छात्र-छात्रा उच्च शिक्षा के लिए अन्य राज्यों में पलायन कर जाते है। बिहार राज्य की करीब 32 फीसदी आबादी 16-17 के आयु वर्ग की है और इसका सिर्फ 44.07 फीसदी हिस्सा ही माध्यमिक से उच्च माध्यमिक शिक्षा की तरफ जाता है, जबकि प्राथमिक से माध्यमिक में स्थानांतरित होने वाले बच्चों का प्रतिशत 84.64 है। इसका मतलब यह हुआ कि बिहार की बहुत बड़ी आबादी बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के श्रम बल में तब्दील हो रही है। अगर इसको संक्षेप में बोला जाए तो बिहार श्रमवीर(मज़दूर)पैदा कर रहा है।“


सुधाकर सिंह ने कहा है कि “बिहार में शिक्षा के बदहाली के बावजूद बिहार के छात्र दूसरे राज्यों से तैयारी कर इतना सफलतम परिणाम लाते हैं तो जरा सोचिए की युवाओं को बिहार में अच्छी शिक्षा व्यवस्था मिले तो राज्य का कितना विकास होगा। इसके अलावा एक दूसरा पहलू भी है l राज्य के महत्वपूर्ण संसाधन छात्रो के रहन-सहन और शिक्षण शुल्क मद में प्रति वर्ष क़रीब अस्सी हज़ार करोड़ रुपये का राज्य के बाहर पूंजी पलायन भी हो रहा हैl साथ ही राज्य से एक बार बाहर निकल जाने पर प्रतिभाशाली छात्र वापस बिहार नहीं के बराबर लौटते है, जिसका ख़ामियाज़ा राज्य के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है l क्योंकि राज्य को चलाने के लिए विभिन्न तरीक़े के कार्यों के लिए स्किल्ड एवं कमिटेड लोगों की ज़रूरत होती है l लेकिन उस तरह के प्रशिक्षित मानव संसाधन की उपलब्धता नहीं होने से स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगो की भारी कमी है जिसका ख़ामियाज़ा यह है कि जितना प्रशिक्षित लोगो की आवश्यकता है उतना लोग उपलब्ध नहीं हैl”