शिक्षक नियुक्ति में फिर कानूनी पेंच फंसा: केके पाठक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, बहाली पर मंडराया संकट

शिक्षक नियुक्ति में फिर कानूनी पेंच फंसा: केके पाठक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, बहाली पर मंडराया संकट

PATNA: बिहार में 1 लाख 70 हजार से ज्यादा शिक्षकों की नियुक्ति का मामला फिर से कानूनी पचड़े में फंस गया है. बिहार सरकार और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने शिक्षक नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस याचिका पर सुनवाई की तारीख तय नहीं की है. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय से मामले के निपटारे तक शिक्षक नियुक्ति का मामला फंसे रहने की पूरी संभावना है.


25 सितंबर को ही राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव समेत अन्य पदाधिकारियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन यानि एसएलपी दायर की है. बिहार सरकार की ओर अधिवक्ता पुनीत विजय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. दिलचस्प बात है कि बिहार सरकार ने अपनी याचिका में बीपीएससी के अध्यक्ष और परीक्षा नियंत्रक को भी पार्टी बनाया है. अधिवक्ता पुनीत विजय ने फर्स्ट बिहार से बात करते हुए बिहार सरकार द्वारा याचिका दायर किये जाने की पुष्टि की है.


क्या चाह रही है बिहार सरकार?

दरअसल मामला बीएड पास शिक्षक अभ्यर्थियों से जुड़ा है. बिहार लोक सेवा आयोग यानि बीपीएससी ने करीब दो सप्ताह पहले ये तय किया था कि बीएड पास प्राइमरी (पहली से पांचवीं) टीचर नहीं बन पाएंगे. उसके बाद शिक्षक भर्ती में शामिल 3 लाख 90 हजार बीएड पास कैंडिडेट्स के रिजल्ट पर रोक लगा दी गई था. बीपीएससी ने ये तय किया है कि सिर्फ डीएलएड पास उम्मीदवारों का ही रिजल्ट जारी किया जायेगा. 


बीपीएससी ने ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राजस्थान में शिक्षक बहाली के मामले में प्राइमरी टीचर के लिए बीएड  की योग्यता को समाप्त कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि उसके फैसले के बाद बीएड डिग्री धारी छात्र प्राइमरी शिक्षक के लिए योग्य नहीं होंगे. सिर्फ बीटीसी  या डीएलएड डिग्री वाले छात्र ही कक्षा पांचवीं तक पढ़ाने के लिए पात्र माने जाएंगे.


पटना हाईकोर्ट ने खारिज की बिहार सरकार की दलील

सुप्रीम कोर्ट का फैसला तब आया था जब बिहार में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया चल रही थी. इस बीच ये मामला पटना हाईकोर्ट में भी पहुंचा. पटना हाईकोर्ट में बिहार सरकार ने दलील दी थी कि बीएड वालों को प्राइमरी टीचर नहीं बनाने का सुप्रीम कोर्ट बिहार के संबंध में नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ये क्लीयर नहीं हो रहा है कि बिहार में ये आदेश लागू होगा या नहीं. पिछले 22 सितंबर को पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थसारथी की बेंच ने बिहार सरकार की दलील को खारिज कर दिया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिहार में भी लागू होगा. यानि बिहार की शिक्षक नियुक्ति में बीएड पास अभ्यर्थी प्राइमरी टीचर नहीं बन सकेंगे.


बिहार सरकार की सुप्रीम कोर्ट में याचिका

पटना हाईकोर्ट के इसी फैसले को आधार बना कर बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है. बिहार सरकार कह रही है कि उसे बीएड पास अभ्यर्थियों को प्राइमरी टीचर के पद पर नियुक्ति करने की इजाजत दी जाये. सुप्रीम कोर्ट में दायर बिहार सरकार की याचिका पर अब तक सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है. 


लटक गयी शिक्षक नियुक्ति

कानूनी जानकार बता रहे हैं कि बिहार सरकार की याचिका से शिक्षक नियुक्ति फंस गया है. अधिवक्ता रमेश कुमार ने फर्स्ट बिहार से बात करते हुए कहा कि अब उम्मीद इसी बात की है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आयेगा तब तक प्राइमरी टीचर की नियुक्ति नहीं होगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बीपीएससी को भी पार्टी बनाया है. यानि सरकार ये कह रही है कि बीपीएससी ने अगर बीएड पास अभ्यर्थियों को प्राइमरी टीचर नहीं बनाने का फैसला लिया है तो ये सही नहीं है.