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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 25 May 2023 02:55:29 PM IST
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DELHI : देश में नई संसद बिल्डिंग का 28 मई को उद्घाटन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। इससे पहले पीएम मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था। इसके उपरांत अब तीन दिन बाद इसका उद्घाटन पीएम के तरफ से किया जाना है, जिसको लेकर विपक्ष के तरफ से विरोध किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि इसका उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए। अब इसी मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है। जिसमें इसका उद्घाटन राष्ट्रपति से कराये जाने की मांग की गयी है।
दरअसल, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। जिसमें यह निर्देश देने की मांग की गई कि आगामी 28 मई को भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन किया जाए। इसमें कहा गया है कि, लोकसभा सचिवालय ने उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया गया है। यह याचिका अधिवक्ता जया सुकिन द्वारा दायर किया गया है।
बताया जा रहा है कि,जिस याचिका में 18 मई को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी बयान का हवाला दते हुए यह कहा गया है कि नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में महासचिव, लोकसभा द्वारा जारी किया गया निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन है। इसमें प्रतिवादी (सचिव और संघ) का निर्णय अवैध, मनमाना, मनमाना, सनकी और अनुचित, अधिकार का दुरुपयोग और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। इसमें भारतीय संविधान के नियमों का पालन न करके उसका उल्लंघन किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता ने संविधान के आर्टिकल 79 का जिक्र करते हुए कहा कि संसद का अर्थ दोनों सदनों और राष्ट्रपति से है। तीनों को मिलाकर ही संसद बनती है। इस तरह राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग हैं और उसके कस्टोडियन हैं। इस लिहाजा इसका उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाया जाना चाहिए।
आपको बताते चलें कि, नई संसद करीब ढाई साल में बनकर तैयार हो गई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था। अब 28 मई को वह उद्घाटन भी करेंगे। शुरुआत में इसकी लागत 861 करोड़ रुपये आंकी गई थी। लेकिन बाद में इसके निर्माण की कीमत 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। वहीं, इसके उद्घाटन को लेकर विपक्ष ने विरोध जारी किया था। कांग्रेस, राजद, जेडीयू, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी समेत कुल 19 दलों ने संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार का फैसला लिया है, जबकि 17 दलों ने इसमें शामिल होने का ऐलान किया है।