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DESK : सावन का पावन महिना चल रहा है, शिव भक्त भगवान शिव की भक्ति में लीन हैं. मंदिर के दरवाजे भक्तों के लिए बंद है पर भक्त अपने आराध्य से दूर कैसे रह सकते हैं. इस कठिन समय में वो अपने आराध्य की पूजा अर्चना घर पर ही कर रहे हैं.
भगवान को रुद्राक्ष अति प्रिय है ये तो सभी जानते हैं पर ऐसा क्यों है और इसकी उत्पति कैसे हुई, ये कितने प्रकार की होती है क्या आप ये जानते हैं. आइये रुद्राक्ष की कथा और उसके स्वरूपों के बारे में जानते हैं:-
कैसे हुई रुद्राक्ष उत्पत्ति
कहा जाता है की एक बार भगवान शिव ने एक हजार वर्ष की साधना की, उसके पश्चात समाधि से जाग्रत होने पर जब उन्होंने बाहरी जगत को देखा तो उनके नेत्रों से जल की एक बूंद पृथ्वी पर जा गिरा. उसी बूंद से एक वृक्ष की उत्पत्ति हुई, जिसे रुद्राक्ष कहा जाता है. बाद में भगवान शिव की इच्छा से वह सम्पूर्ण पृथ्वी पर फैल गया और आज इसे मानव जाती भगवान शिव का आशीर्वाद के रूप में ग्रहण करते हैं. शास्त्रों में रुद्राक्ष को शांतिदायक, मुक्तिदायक, पुण्यवर्धक और कल्याणकारी कहा गया है. कहा जाता है कि शिव ने इसकी अद्भुत शक्तियों के बारे में माता पार्वती को बताया था. उन्होंने कहा था कि जो मनुष्य रुद्राक्ष धारण करता है वो उन्हें प्रिय होता है तथा उसकी समस्त मनोकामना पूरी होती हैं.
रुद्राक्ष के प्रकार
रुद्राक्ष के कई प्रकार होते साथ ही अलग-अलग रुद्राक्ष को शिव का अलग-अलग स्वरुप माना जाता है. जैसे कि एक रेखा वाली रुद्राक्ष एक मुखी कहलाती है, इसे शिवरूप माना जाता है. दो मुखी रुद्राक्ष शिव-पार्वती का स्वरुप कहलाता है. इसी तरह तीन मुखवाला रुद्राक्ष, त्रिदेवरूप, तीन मुखवाला रुद्राक्ष, त्रिदेवरूप, पंचमुखी रुद्राक्ष पंचमुख शिवरूप, छः मुखी रुद्राक्ष स्वामिकार्तिक का स्वरुप माना जाता है. सात मुखी रुद्राक्ष को कामदेवरूप माना गया है. नौ मुखी रुद्राक्ष को कपिल मुनि का रूप तथा नव दुर्गा का रूप माना गया है. इसी तरह दशमुखी रुद्राक्ष विष्णु रूप माना जाता है. ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को एकादश रुद्ररूप की मान्यता है. वहीं बारह मुखी रुद्राक्ष द्वादश आदित्य रूप के नाम से प्रचलित है. तेरह मुखी रुद्राक्ष विश्वरूप और चौदह मुखी परमऋषि के रूप में जाना जाता है.
छोटे- छोटे रुद्राक्ष को अच्छा माना जाता है. यदि रुद्राक्ष में स्वयं ही छिद्र हो तो उत्तम समझ जाता है. किसी प्रामाणिक संस्थान से आप असली और उत्तम रुद्राक्ष खरीद सकते हैं. सावन में इन्हें धारण करना शुभ माना जाता है.
कौन धारण कर सकता है रुद्राक्ष
ज्योतिष के अनुसार, कई भी रुद्राक्ष को धारण कर सकता है. सबसे ज्यादा ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को लोग पहनना पसंद करते हैं. यदि आप को अपने ग्रहों की जानकारी नहीं है तो भी आप सर्वार्थ सिद्धि के लिए ग्यारहमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है.