सलीम परवेज की हुई घर वापसी, RJD छोड़कर आये.. कभी नीतीश ने बनाया था परिषद का उपसभापति

सलीम परवेज की हुई घर वापसी, RJD छोड़कर आये.. कभी नीतीश ने बनाया था परिषद का उपसभापति

PATNA : पूर्व विधान पार्षद सलीम परवेज की घर वापसी हो गई है. सलीम परवेज आरजेडी छोड़कर एक बार फिर से जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए हैं. कुछ अरसे पहले वह राष्ट्रीय जनता दल में चले गए थे लेकिन अब एक बार फिर उन्होंने जदयू की सदस्यता ले ली है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की मौजूदगी में उन्होंने आज जेडीयू की सदस्यता ले ली. जेडीयू में रहते हुए नीतीश कुमार ने कभी उन्हें विधान परिषद का उपसभापति बनाया था. 


बिहार विधानसभा की दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव से पहले तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. राजद के बाहुबली नेता रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेहद करीबी माने जाने वाले सलीम परवेज ने जेडीयू में घर वापसी कर ली है. पूर्व बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत के बाद पार्टी नेताओं की कार्यशैली से नाराज होकर राजद से इस्तीफा देने वाले सलीम परवेज ने वापस जेडीयू का दामन थाम लिया हैं.


बता दें कि इसी साल मई महीने में विधान परिषद के पूर्व उपसभापति सलीम परवेज ने राजद से इस्तीफा दे दिया था. सलीम परवेज को तेजस्वी ने पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी. लेकिन  पूर्व बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत के बाद इन्होंने पार्टी आलाकमान को त्यागपत्र सौंप दिया था. 


गौरतलब हो कि बिहार विधान परिषद के पूर्व उपसभापति रह चुके सलीम परवेज को बड़ा मुस्लिम चेहरा माना जाता है. 23 अक्टूबर 2018 को उन्होंने जदयू छोड़ कर राजद की सदस्यता ली थी, लेकिन पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के निधन के बाद उनके सम्मान के सवाल पर उन्होंने पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.


आरजेडी से इस्तीफा देने के बाद करीमचक स्थित अपने आवास पर प्रेस कांफ्रेंस कर सलीम परवेज ने कहा था कि "डॉ शहाबुद्दीन राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापकों में से थे. उन्होंने न केवल पार्टी के गठन में भूमिका निभाई बल्कि लालू और राबड़ी के नेतृत्व में बिहार में स्थापित होने वाली सरकारों के गठन में विपरीत परिस्थितियों में भी सक्रिय व महत्वपूर्ण रोल अदा किया था. राजद के एमवाई समीकरण के आधार को एकजुट करने में वे एक महत्वपूर्ण कड़ी थे."


सलीम परवेज को मोहम्मद शहाबुद्दीन का बेहद करीबी माना जाता है. जब इन्होंने राजद का साथ छोड़ा था तब ही इन्होंने खुलासा किया था कि "डॉ. शहाबुद्दीन से मेरा व्यक्तिगत संबंध था. वे न केवल मेरे अच्छे मित्र व भाई समान थे बल्कि मेरी उनसे काफी अंतरंगता रही. शहाबुद्दीन के बीमार पड़न से लेकर मौत की घटनाओं के बीच पार्टी के किसी भी नेता का बयान तक नहीं आना निराशा पूर्ण है. पार्टी के इस रवैया से मैं दुखी और मर्माहत होकर विरोध स्वरुप अपने प्रदेश उपाध्यक्ष के पद और प्राथमिक सदस्यता से तत्काल इस्तीफा दे रहा हूं."


तेजस्वी यादव पर बड़ा आरोप लगाते हुए सलीम ने कहा था कि जब दिल्ली में मोहम्मद शहाबुद्दीन का निधन हुआ, तभी तेजस्वी यादव वहां से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर थे. लेकिन वे मिट्टी देने के लिए नहीं पहुंचे. तो जब वो वहां नहीं पहुंचे तो सीवान क्या पहुंचेंगे. ये राज्य के लोगों को समझना चाहिए. लेकिन आरजेडी ने जो शहाबुद्दीन के साथ किया वो बिल्कुल गलत है. साल 1995 और 2001 में शहाबुद्दीन ने अपने दम पर आरजेडी की सरकार बनवा दी थी. लेकिन उनके निधन के बाद उनका सम्मान नहीं किया गया. इससे ज्यादा कोई नेता और क्या कोई कर सकता है.