पटना में 10 हजार से ज्यादा छोटी गाड़ियों की हुई एंट्री, गली-मोहल्ले रहे जाम लेकिन गांधी मैदान क्यों नहीं पहुंचे JDU कार्यकर्ता

पटना में 10 हजार से ज्यादा छोटी गाड़ियों की हुई एंट्री, गली-मोहल्ले रहे जाम लेकिन गांधी मैदान क्यों नहीं पहुंचे JDU कार्यकर्ता

PATNA : गांधी मैदान में आयोजित जेडीयू के कार्यकर्ता सम्मेलन को लेकर फीडबैक लेने का दौर जारी है। जेडीयू के नेताओं ने प्रशासनिक महकमे से कार्यकर्ता सम्मेलन को लेकर जो फीडबैक लिया है उसके मुताबिक तकरीबन 10 हजार से ज्यादा छोटी गाड़ियां शनिवार की रात से लेकर रविवार तक पटना पहुंची। इन गाड़ियों पर जेडीयू के कार्यकर्ता सवार थे। पटना कि शायद ही ऐसी कोई सड़क हो जिस पर जेडीयू के कार्यकर्ताओं की गाड़ियां खड़ी ना रही हों। राजधानी के गली-मोहल्लों में भी बाहर से आने वाली गाड़ियों के कारण जाम की स्थिति बनी रही। अब ऐसे में सवाल यह है कि अगर इतनी बड़ी तादाद में कार्यकर्ता पटना पहुंचे तब भी गांधी मैदान मैं मजबूत मौजूदगी क्यों नहीं नजर आई। 


गांधी मैदान में कार्यकर्ताओं की मौजूदगी के बाद जेडीयू कोर ग्रुप के नेता इसी सवाल का जवाब तलाशने में जुटे हुए हैं। जेडीयू नेताओं की तरफ से पटना में सैकड़ों जगहों पर कार्यकर्ताओं के ठहरने का इंतजाम किया गया था। कार्यकर्ता रात में पहुंचे तो खाना भी खाया और सुबह उठे तो नाश्ता भी किया। लेकिन गाड़ियों में सवार होकर गांधी मैदान के लिए निकले कार्यकर्ता आखिर कहां घूमते रहे इसका पता लगाया जा रहा है। जेडीयू के ही नेताओं की मानें तो कार्यकर्ताओं को अपने साथ लेकर जो नेता पटना पहुंचे थे वह उनके साथ बेहतर तरीके से कॉर्डिनेट नहीं कर पाए। जिलों से कार्यकर्ताओं को लेकर आए ज्यादातर नेता नेतृत्व के सामने अपना चेहरा चमकाने को लेकर परेशान रहे और यही वजह है कि उन्होंने अपने साथ आए कार्यकर्ताओं पर ध्यान नहीं दिया। पटना के पहुंचे कार्यकर्ता आए तो थे सम्मेलन में शामिल होने लेकिन वह इधर-उधर घूमते रह गए और पार्टी की फजीहत हो गई। 


सियासी जानकार मानते हैं कि संगठन को लेकर पिछले कुछ वक्त में जेडीयू ने ग्रास रूट लेवल पर काम किया है। लगातार कई अभियानों के जरिए बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया गया लेकिन बावजूद इसके संगठन के अंदर निश्चिंतता का भाव फैल चुका है। डेढ़ दशक से बिहार की सत्ता पर काबिज रहना इसकी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। जदयू के कार्यकर्ताओं को इस बात का भी भरोसा है कि अगर वह भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में रहे तो बिहार में सत्ता वापसी तय है और यही वजह है कि कार्यकर्ता रिलैक्स मूड में चले गए हैं। नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण भी यही है। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार अब जल्द ही कार्यकर्ताओं को फिर से एक्टिवेट करने के लिए खुद सीधा संवाद कर सकते हैं।