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क्रिसमस का असली अर्थ और इसे मनाने का तरीका, यहां पढ़ें

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 20 Dec 2024 11:42:47 PM IST

क्रिसमस का असली अर्थ और इसे मनाने का तरीका, यहां पढ़ें

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क्रिसमस, जिसे प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है। यह त्योहार ईसाई धर्म का मुख्य पर्व है, जिसका उद्देश्य यीशु मसीह के संदेशों को याद करना और उनके प्रेम, दया और क्षमा के पाठ को जीवन में अपनाना है।


क्रिसमस का असली अर्थ

क्रिसमस का मतलब है प्रभु यीशु का जन्म। यह दिन ईसाई धर्म के अनुयायी अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर यीशु मसीह के जन्म का जश्न मनाते हैं। इस दिन को वे अपने नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं और एक-दूसरे को क्रिसमस की शुभकामनाएं देते हैं।


क्रिसमस की तैयारी और उत्सव

क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया जाता है, लेकिन इसकी तैयारियां पहले से ही शुरू हो जाती हैं:

लोग अपने घरों और चर्चों को सजाते हैं।

परिवार और दोस्तों को उपहार देते हैं।

विशेष रूप से मिठाइयां और स्नैक्स तैयार किए जाते हैं।

रविवार को भजन और प्रार्थना का आयोजन होता है।


क्रिसमस ईव का महत्व

24 दिसंबर की रात, जिसे क्रिसमस ईव कहा जाता है, लोग चर्च जाते हैं और प्रार्थना करते हैं। यह रात प्रभु यीशु के जन्म की रात होती है और इस समय लोग परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर धन्यवाद और मोक्ष प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।


राष्ट्र और समाज के लिए प्रार्थना

क्रिसमस के दिन, कई चर्चों में राष्ट्र की शांति, सुरक्षा और विकास के लिए भी प्रार्थनाएं की जाती हैं। लोग उन लोगों के साथ इस त्योहार को मनाने जाते हैं जो दुखी, बीमार, वृद्ध या अकेले होते हैं, ताकि उन्हें भी खुशी का अनुभव हो सके।


प्रभु यीशु का संदेश

क्रिसमस का मुख्य संदेश प्रेम, दया, और क्षमा है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हम सभी को बिना भेदभाव के, एक-दूसरे के साथ अच्छे रिश्ते बनाने चाहिए और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।


क्रिसमस का असली संदेश

क्रिसमस का असली संदेश जाति और धर्म से ऊपर उठकर सबको एक साथ जोड़ने का है। खासकर आर्थिक रूप से कमजोर, गरीब, और जरूरतमंद लोगों के साथ इस खुशी के मौके को मनाना चाहिए। यही क्रिसमस का उद्देश्य है – प्रेम, करुणा, और सामाजिक एकता।


क्रिसमस सिर्फ एक पार्टी या मस्ती का दिन नहीं है, बल्कि यह यीशु मसीह के प्रेम और उनके उपदेशों को जीवन में उतारने का समय है। यह दिन हमें अपने परिवार, दोस्तों, और समाज के साथ मिलकर प्रेम, दया और क्षमा का संदेश फैलाने का अवसर देता है।