आरसीपी मॉडल ने JDU के संगठन की धार को किया कुंद, ललन सिंह बिखरी हुई ताकत को एक साथ लाना चाहते हैं

आरसीपी मॉडल ने JDU के संगठन की धार को किया कुंद, ललन सिंह बिखरी हुई ताकत को एक साथ लाना चाहते हैं

PATNA : जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी आरसीपी सिंह ने भले ही विधानसभा चुनाव के बाद बीते साल संभाली हो और केंद्रीय मंत्री बनने के बाद इस पद को छोड़ दिया हो लेकिन पार्टी के संगठन को आरसीपी सिंह में लंबे अरसे तक के देखते रहे राष्ट्रीय महासचिव के पद पर रहते हुए उनके पास संगठन की जिम्मेदारी थी। नीतीश कुमार जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने उसके बाद से लगातार आरसीपी सिंह ने जेडीयू के संगठन को लेकर काम किया। जनता दल यूनाइटेड में आरसीपी सिंह का संगठन वाला मॉडल लागू हुआ तो अलग-अलग प्रकोष्ठ बन गए। हर जिले में लगभग दो से तीन सौ पार्टी पदाधिकारी हो गए। जो मूल इकाई से लेकर प्रकोष्ठ तक के पदाधिकारी थे लेकिन अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने के बाद ललन सिंह ने इस में बड़े बदलाव किए हैं। दरअसल ललन सिंह ने जब संगठन की समीक्षा शुरू की तो उन्होंने बताया कि अलग-अलग प्रकोष्ठ के जरिए संगठन को चलाने का फैसला सही नहीं था। इस फैसले के कारण में पार्टी में संगठन की धार कुंद हो गई लिहाजा प्रकोष्ठ की भूमिका सीमित कर दी गई। 


जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने शनिवार से एक बार फिर संगठन की समीक्षा की शुरुआत की है। इस दौरान वह पार्टी के विधायकों और विधान सभा चुनाव के उम्मीदवारों से मुलाकात कर रहे हैं। समीक्षा बैठक के दौरान भी यह बात सामने आ रही है कि अलग-अलग प्रकोष्ठ की वजह से पार्टी के अंदर संवाद हीनता बढ़ी। एक सूत्र में संगठन अगर पिरोया रहता तो ताकत ज्यादा धारदार दिखती लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शनिवार की समीक्षा बैठक के दौरान भी ललन सिंह ने निर्देश दिया कि जिलों में मूल पार्टी के जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में ही संगठन को विस्तारित और मजबूत बनाया जाए। शनिवार को चार प्रमंडल की समीक्षा के बाद आज भी समीक्षा का यह दौर जारी रहेगा।


6 घंटे तक प्रदेश कार्यालय में ललन सिंह ने पार्टी के विधायकों और पूर्व प्रत्याशियों से बातचीत की। किसी ने अपनी जीत को लेकर प्लान की चर्चा की तो कोई यह बताना नहीं भूला कि कैसे उसे भितरघात का सामना करना पड़ा। ललन सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि अब पार्टी के पदाधिकारियों की संख्या कम की जाएगी। जाहिर है आरसीपी सिंह का संगठन मॉडल ललन सिंह को रास नहीं आ रहा है। उसकी खामियां भी उजागर हो चुकी हैं। शनिवार को बैठक के दौरान विधायकों और विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष से खुले तौर पर कह दिया कि प्रकोष्ठों की बजाय जिलों के अध्यक्षों और प्रखंड के अध्यक्षों को अधिकार दिए जाएं ताकि संगठन एकजुट रह सके। कई विधायकों ने 20 सूत्री कमिटी के गठन में हो रही देरी को लेकर भी चिंता जतायी। ललन सिंह ने सबको भरोसा दिया कि जल्द ही सभी तरह की परेशानियां दूर कर ली जाएंगी और संगठन मजबूत बनेगा।