DESK : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में यह फैसला लिया की रेपो रेट में फ़िलहाल कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. पहले की तरह इस दर को 4 फीसदी ही रखा जाएगा. इस बात की जानकारी आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी. उन्होंने कहा कि, ‘अर्थव्यवस्था में पहली तिमाही में आई गिरावट पीछे छूट चुकी है, स्थिति में अब सुधार के संकेत दिखने लगे हैं’.
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अब सभी सेक्टर में ग्रोथ देखने को मिल रही है. इसलिए अब कोविड रोकने से ज्यादा फोकस रिवाइवल पर है. उम्मीद है, चालू वित्त वर्ष के आखिरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ पॉजिटिव में आ जाएगा. लेकिन उन्होंने जीडीपी ग्रोथ का अनुमान फिलहाल निगेटिव में रखा है. जीडीपी ग्रोथ 9.5 फीसदी रखा है. वहीं, छोटे कर्जदारों के लिए 7.5 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दे दी है. साथ ही नए हाउसिंग लोन पर रिस्क वेटेज को कम कर दिया गया है.
दरअसल त्योहारों के सीजन को देखते हुए ये उम्मीद की जा रही थी कि आरबीआई मार्केट डिमांड बढ़ाने के लिए रेपो रेट को और कम कर सकता है. हालांकि, ऐसा हुआ नहीं है. फिलहाल रेपो दर चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत है.
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. जब भी बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई से पैसे लेते हैं. आरबीआई की तरफ से दिया जाने वाला यह लोन एक फिक्स्ड रेट पर मिलता है. यही रेट रेपो रेट कहलाता है.