PATNA : राज्य में पैथोलॉजी लैब से जुड़े कानूनों को लेकर पटना हाईकोर्ट ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि 1 हफ्ते के अंदर वह कोर्ट को यह बताएं कि बिहार में पैथोलॉजिकल लाइफ से जुड़े कितने कानून हैं और उन कानूनों के कितने प्रावधानों को राज्य में लागू किया गया है.
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की खण्डपीठ ने एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिकल इंस्टीट्यूट्स की जनहित याचिका को सुनते हुए यह निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान इंटरवीनर की तरफ से एडवोकेट राजीव कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि बिहार क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट कानून 2013 के नियम 3 के तहत क्लिनिकल इस्लाइब्लिश्मेन्ट के लिए एक स्टेट कमीशन के गठन का प्रावधान है लेकिन अबतक आयोग का गठन नहीं हुआ है.
वहीं सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने मुख्य सचिव की ओर से दायर हलफनामे को दर्शाते हुए कोर्ट को बताया कि सूबे में क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट कानून 2010 और उसपर केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए 2012 की नियमावली, बिहार क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट रूल 2013 और 2018 में उक्त रूल का संशोधित कानून को बिहार में कानून को लागू किया जा रहा है.
सूबे के तमाम सिविल सर्जन को निर्देश दिया गया है कि संबंधित जिलों में क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट रूल के मुताबिक वैध और अवैध तरीके से चल रहे लैबोरेट्री की सूची को ज़िला और राज्य दोनों स्तर पर सरकारी वेबसाइट पर अपलोड कर अवैध पैथोलॉजिकल लैब के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाही करें. सभी पक्षों को सुनते हुए हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई एक हफ्ते बाद रखने का निर्देश दिया है.