DELHI : देश की महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण के विधेयक पर लोकसभा की मुहर लग गई है। महिला आरक्षण बिल के समर्थन में 454 और विरोध में केवल दो वोट पड़े। यह दो वोट एआइएमआइएम के असदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज जलील द्वारा डाले गए। वहीं, नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लोकसभा में पास होने के बाद आज राज्य सभा में इसपर चर्चा होगी।
दरअसल, नारी शक्ति वंदन अधिनियम को सरकार ने मंगलवार को सदन में पेश किया, जिससे यह नए संसद भवन में पेश होने वाला पहला विधेयक बन गया। महिलाओं की भागीदारी को अधिक सक्षम करने वाला यह कानून पिछले 27 वर्षों से लंबित है। बुधवार को लोकसभा में इस बिल पर चर्चा हुई और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने भी इस बिल का समर्थन किया। इसके साथ ही मांग की कि आरक्षण के अंदर भी आरक्षण लागू किया जाए।
वहीं, महिला आरक्षण विधेयक पर बुधवार को लोकसभा में 27 महिला सांसदों ने हिस्सा लिया। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर की सांसदों ने विधेयक का समर्थन किया, लेकिन विपक्षी सांसदों ने इसे तत्काल लागू किए जाने की मांग की। चर्चा के दौरान विधेयक को दिखावा करार देते हुए तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि- इसका नाम बदलकर महिला आरक्षण पुनर्निर्धारण विधेयक रखा जाना चाहिए।
आपको बताते चलें कि, इस विधेयक के अनुसार, परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण लागू होगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा। वर्तमान में लोकसभा में कुल 82 महिला सांसद हैं। इस बिल सबसे पहले 1996 में एचडी देवगौड़ा सरकार में पेश किया गया था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2008 में इस कानून को फिर से पेश किया। यह कानून 2010 में राज्यसभा में पारित किया गया था, लेकिन यह लोकसभा में पारित नहीं हो सका और 2014 में इसके विघटन के बाद यह खत्म हो गया।