PURNEA: जिले के लाइन बाजार में आए दिन मरीज की मौत के बाद हंगामे की बात सामने आती है। ताजा मामला एक निजी क्लिनिक का है जहां सड़क हादसे में मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा मचाया। परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया। हंगामे की सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने समझा बुझाकर मामले को शांत कराया।
गौरतलब है कि पूर्णिया के डगरूआ थाना क्षेत्र के लशनपुर निवासी मो. सलीमुद्दीन आलम ट्रक की चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गए थे। जिसके बाद ट्रक का मालिक उन्हें इलाज के लिए लाइन बाजार स्थित एक निजी क्लीनिक में ले गये। जबकि परिजन यहां इलाज नहीं कराना चाहते थे लेकिन जबरन ट्रक ऑनर ने इसी क्लिनिक में इलाज के लिए दबाव बनाया। जिसके बाद परिजन इलाज के लिए तैयार हुए। परिजनों का आरोप है कि यहां मरीज को दवाइयां गलत दी गयी और इलाज में भी लापरवाही बरती गयी जिसके कारण मरीज की मौत हो गयी।
मृतक के परिजनों का यह भी आरोप है कि बीते शाम को ही मरीज़ की मौत क्लीनिक में हो गयी थी। लेकिन आनन-फानन में डॉक्टर ने मामले को दबाने के लिए उन्हें सदर अस्पताल में लाकर छोड़ दिया। जहां सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मृतक की मौत की खबर सूचनते ही परिजन आक्रोशित हो उठे और हंगामा करने लगे। हंगामे की सूचना पाकर मौके पर आए सहायक खजांची थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने समझा-बुझाकर मामले को शांत कराया। जब डॉक्टर के द्वारा मोटी रकम मृतक के परिजनों को दी गयी तब परिजन शव लेकर घर की ओर रवाना हुए।
ख़बर कवरेज करने के दौरान पत्रकार को रोकने की कोशिश
जब हंगामा चरम पर था तब ख़बर संकलन कर रहे पत्रकारों को रोकने की कोशिश की गई । वीडियो फुटेज में एक महिला (डॉक्टर पक्ष) ने कैमरा की तरफ इशारा करते हुए कैमरा बन्द करने को कहा । पत्रकार ने जब कड़े शब्द में कहा कि हम अपना काम कर रहे हैं तब जाकर वो वहां से किनारा कस ली । पत्रकारों के पहुंचने से पहले बाहर के कुछ लोग पहुंच कर परिजनों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे । जिसे कैमरे में कैद होता देख सब अलग हो गए ।
आपको बता दें कि स्वास्थ्य की नगरी कहे जाने वाले पूर्णिया के लाइन बाज़ार में आए दिन मरीज की मौत के बाद हंगामे का सिलसिला बदस्तूर जारी है। डॉक्टरों की लापरवाही और दलालों के कारण मौत होने का मामला लगातार सामने आता है लेकिन दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। परिजनों द्वारा हंगामा मचाने पर मुआवजा देकर मामले को मैनेज कर लिया जाता है। मुआवजा मिलने के बाद परिजन शव को लेकर अंतिम संस्कार के लिए निकल पड़ते हैं। जिसके बाद एक बार फिर से यह सिलसिला यूं चलता रहता है। यह सब दलाल के कारण होता है जिन्हें क्लिनिक की तरफ से कमीशन दिए जाते है। कमीशन के चक्कर में दलाल मरीज को डॉक्टर के पास लाता है मरीज को भगवान भरोसे छोड़कर निकल पड़ता है अगले मरीज की खोज में.....