शर्मनाक: नीतीश राज में PMCH में ऑक्सीजन घोटाला, 236 सिलेंडर की जरूरत लेकिन 800 सिलेंडर का दिया हिसाब, HC की जांच टीम ने पकड़ा

शर्मनाक: नीतीश राज में PMCH में ऑक्सीजन घोटाला, 236 सिलेंडर की जरूरत लेकिन 800 सिलेंडर का दिया हिसाब, HC की जांच टीम ने पकड़ा

PATNA : भीषण महामारी के इस दौर में भी बिहार सरकार के सबसे बडे अस्पताल पटना मेडिकल क़ॉलेज अस्पताल में अलग ही खेल चल रहा है. PMCH में हकीकतन जितने ऑक्सीजन की खपत हो रही है उससे कई गुणा ज्यादा खपत का हिसाब दिया जा रहा है. पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर बनी जांच कमेटी ने इस खेल को पकड़ा है. जांच टीम की रिपोर्ट हैरान कर देने वाली है. 


खपत 236 सिलेंडर की लेकिन हिसाब 800 सिलेंडर का दिया

दरअसल पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की टीम ने पीएमसीएच में ऑक्सीजन खपत की जांच की थी. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान ये बात सामने आयी थी कि पीएमसीएच में NMCH के मुकाबले काफी कम कोविड मरीज भर्ती हैं लेकिन फिर भी वहां ऑक्सीजन की बहोत ज्यादा खपत हो रही है. हाईकोर्ट को हेराफेरी का अंदेशा हुआ था इसलिए उसने जांच टीम को इस मामले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था. 

हाईकोर्ट की इस जांच टीम ने रिपोर्ट दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच में चौंकाने वाली गड़बड़िया पकड़ी गयी हैं. जिस दिन जांच की गयी उस दिन पीएमसीएच में भर्ती कोविड मरीजों पर ज्यादा से ज्यादा 150 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत होनी चाहिये थी लेकिन अस्पताल के हिसाब खाते में 348 सिलेंडर का खपत होने की बात दर्ज थी. इस अस्पताल में दूसरी बीमारियों के मरीज भी भर्ती हैं. जांच टीम के मुताबिक पीएमसीएच के क्रिटिकल वार्ड में भर्ती मरीजों पर 13 ऑक्सीजन सिलेंडर खर्च होने चाहिये थे लेकिन हिसाब दिया गया कि 143 सिलेंडर खर्च हो गये. गाइनी वार्ड में तो तीन मरीजों पर ही 63 सिलेंडर खर्च हो गये.

जांच टीम ने ऐसे पकड़ी गड़बड़ी

हाईकोर्ट के निर्देश पर पीएमसीएच की जांच करने वाली कमेटी ने वहां गहन पड़ताल की. जांच टीम ने पाया कि इस अस्पताल में ज्यादातर ऑक्सीजन के डी टाइप सिलेंडर का इस्तेमाल होता है. डी टाइप सिलेंडर में 7 हजार क्यूबिक लीटर गैस भरा होता है. जांच टीम ने देखा कि PMCH के कोविड वार्ड से लेकर दूसरे वार्डों में जितने भी मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत थी उनमें 99 प्रतिशत ऐसे मरीज थे जिनका श्वसन नार्मल तरीके से हो रहा था. ऐसे मरीजों में ऑक्सीजन का सही स्तर बनाये रखने के लिए अगर उन्हें लगातार 24 घंटे ऑक्सीजन का सपोर्ट दिया जाये तो एक मिनट में 5 लीटर ऑक्सीजन की खपत होगी. यानि एक मरीज को हर रोज एक सिलेंडर की जरूरत पड़ेगी. कोरोना से संक्रिमत सिर्फ एक प्रतिशत मरीज ऐसे थे जिन्हें ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत थी. उन्हें 15 लीटर प्रति मिनट की दर से ऑक्सीजन देना था. ऐसे मरीजों पर हर रोज 3 सिलेंडर खर्च होगा. 


ऐसे हो रहा है PMCH में घोटाला

हाईकोर्ट की जांच टीम के मुताबिक पीएमसीएच के कोविड वार्ड में कुल 127 मरीज भर्ती थे. उनमें दो गंभीर थे जिन्हें हर रोज 3 सिलेंडर की जरूरत थी. वहीं 125 मरीज ऐसे थे जिन्हें हर रोज 1 सिलेंडर की जरूरत थी. सभी मरीजों की जरूरत को जोड़ दिया जाये तो कुल 131 सिलेंडर की खपत थी. अगर ये खपत बढ़ भी जाती तो ज्यादा से ज्यादा 150 सिलेंडर की खपत होती. लेकिन पीएमसीएच ने हिसाब दिया कि कोरोना के मरीजों पर 348 सिलेंडर खर्च हुए. 


हाईकोर्ट की जांच टीम ने दूसरे वार्डों में ऑक्सीजन घोटाला पकड़ा है. जांच टीम ने पाया कि कोविड के अलावा पीएमसीएच के क्रिटिकल केयर वार्ड में भी गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत थी. क्रिटिकल वार्ड में ऐसे सिर्फ 13 मरीज थे जिन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जा रहा था. हालांकि बीच बीच में उनका ऑक्सीजन मास्क हटाया भी जा रहा था. लेकिन फिर भी अगर उन्हें 24 घंटे भी ऑक्सीजन दिया गया होगा तो हर मरीज पर एक सिलेंडर के हिसाब से एक दिन में 13 सिलेंडर खर्च होने चाहिये थे. हैरान करने वाली बात ये थी कि पीएमसीएच ने हिसाब दिया कि क्रिटिकल वार्ड में 120 सिलेंडर खर्च हुए. जांच टीम ने पाया कि महिला रोग वार्ड में तीन मरीज पर 32 सिलेंडर खर्च हो गये. ENT वार्ड में 23 मरीजों पर 63 सिलेंडर खर्च हो गये तो टाटा वार्ड में 48 मरीजों पर 143 सिलेंडर खर्च हो गये. वो भी सिर्फ एक दिन में. 

पीएमसीएच मामले में कोर्ट मित्र बनाये गये अधिवक्ता मृगांक मौली ने इस पूरे मामले की जांच कराने को कहा है. उन्होंने सिफारिश की है कि पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑक्सीजन की खपत की ऑडिटिंग किसी स्वतंत्र बॉडी से करायी जाये. रिपोर्ट पटना हाईकोर्ट पहुंच गयी है. अदालत शुक्रवार को इस पर सुनवाई कर सकती है.