PATNA : बिहार में कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस ने कोहराम मचाना शुरू कर दिया है. राजधानी पटना के एक निजी अस्पताल में कल ब्लैक फंगस से संक्रमित दो मरीज भर्ती हुए थे. दोनों मरीजों में से एक का ऑपरेशन करना पड़ा तो वहीं दूसरे की दवा से ही स्थिति सुधर गई. डॉक्टरों के अनुसार यदि 24 घंटे की भी देरी हो जाती तो जिस मरीज का ऑपरेशन हुआ उसे बचाना मुश्किल हो जाता.
आपको बता दें कि ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद कुछ मरीजों को हो रहा है. बुधवार को एम्स और आईजीआईएमएस में भी इससे संक्रमित चार मरीज मिले थे. साथ ही नेत्र रोग विशेषज्ञों के क्लिनिक में भी इससे पीड़ित होकर मरीज इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं. ऐसे में लोगों से सावधानी बरतने की अपील की जा रही है.
पटना AIIMS के डॉक्टर बताते हैं कि कोरोना के कारण बिना किसी डॉक्टर के सलाह के स्टेरॉयड लेना ब्लैक फंगस का कारण बन सकता है. कोरोना काल में संक्रमण के कारण अचानक से ऐसे मामले बढ़े हैं. इसमें शुगर हाई होना, स्टेरॉयड का हाईडोज लेना, बिना एक्सपर्ट की निगरानी के डेक्सोना जैसे स्टेरॉयड की हाई डोज लेना बड़ा कारण बन सकता है. ब्लैक फंगस के लिए यह बड़ा कारण हो सकता है. पटना AIIMS के डॉक्टरों की मानें तो ब्लैक फंगस का संक्रमण काफी खतरनाक होता है.
ब्लैक फंगस से बचाव के उपाय
- कोरोना संक्रमित डॉक्टरों के परामर्श बना रहे.
- कुशल चिकित्सक के परामर्श के बिना खुद से स्टेरॉयड नहीं लें.
- नियमित शुगर स्तर की जांच कराते रहें.
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले विशेष सावधानी बरतें.
- डेक्सोना जैसी दवाओं के हाई डोज का इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह पर करें.
- AC कल्चर से तत्काल दूर हो जाएं.
- नमी और डस्ट वाली जगहों पर नहीं जाएं.
- ऑक्सीजन पर होने से पाइप बदलते रहें.
- मास्क के साथ पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहने.
डॉक्टर का कहना है कि कोरोना संक्रमितों के साथ वायरस को हरा चुके लोगों में भी इसका इफेक्ट देख जा रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि नाक बंद होना या सूख जाना, आंखों में सूजन और दर्द होना, पलकों का गिरे रहना या फिर पलकों में ताकत नहीं लगना या आंखों से धुंधला दिखाई देना ही ब्लैक फंगस का मुख्य लक्षण है.