गयाजी में किसान सम्मेलन का आयोजन, सूरज यादव ने किसानों की आवाज़ बनने का लिया संकल्प थाने के लॉकअप से फरार कैदियों को पुलिस ने दबोचा, चौकीदार और OD ऑफिसर पर सहरसा SP ने की कार्रवाई बाढ़ पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग: अनशन के दौरान RJD नेता की बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में मिलने पहुंचे मनोज झा मुजफ्फरपुर: कॉलेज प्राचार्या पर महिला कर्मी की पिटाई और वसूली का आरोप, मानवाधिकार आयोग पहुंचा मामला पूर्णिया में NSD का नाट्य उत्सव: विद्या विहार स्कूल में 21-22 सितम्बर को विशेष प्रस्तुतियाँ बिहार में चुनावी सरगर्मी हुई तेज: शाह-नीतीश की मुलाकात के बाद JDU ने की बैठक, राहुल और तेजस्वी पर साधा निशाना अमित शाह का बेगूसराय दौरा, राहुल-लालू-तेजस्वी पर साधा जमकर निशाना पटना के गर्दनीबाग में 28.66 करोड़ से बनेगा आधुनिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, क्रिकेट की 15 पिचों समेत जिम-हॉल की सुविधा BIHAR NEWS : 'एक दिन एक घंटा एक साथ’, बिहार में ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान शुरू, गंगा तटवर्ती जिलों में पहुँचेगा स्वच्छता संदेश कल BJP के किस नेता का नंबर..? प्रशांत किशोर चौथा किस्त जारी करेंगे, दावा- जो फड़फड़ा रहा वो धाराशाई होकर गिर जाएगा
1st Bihar Published by: Updated Sun, 14 Mar 2021 12:16:18 PM IST
- फ़ोटो
PATNA : अक्सर ऐसा देखा जाता है कि इस दुनिया में इंसान से ज्यादा जानवर वफादार साबित होते हों. इसके किस्से भी हमनें कई सुने हैं. लेकिन पटना में एक शख्स ने पशु प्रेम की मिसाल कायम कर दी है. दरअसल, मामला दानापुर के जानीपुर इलाके में रहने वाले अख्तर इमाम का है जिन्हें लोग प्यार से हाथी काका भी कहकर बुलाते हैं. अख्तर इमाम को लोग हाथी काका क्यों बुलाते हैं इसके पीछे की भी काहानी काफी दिलचस्प और भावुक है.
अख्तर इमाम बताते हैं कि उन्होंने अपने नालायक बेटे को अपनी जमीन जयदाद और संपत्ति से बेदखल कर दिया और फिर सारी सपंत्ति दो हाथियों के नाम कर दी थी. बेटे को संपत्ति से बेदखल किये 9 महीने गुजर गए लेकिन फिर भी आज अख्तर इमाम अपने आपको अकेला और बेसहारा महसूस नहीं करते हैं क्योंकि इन्हें बेटों से ज्यादा अपने हाथियों पर भरोसा है. अपने पालतू हाथियों के प्रति इनके लगाव को देखते हुए आसपास के लोग उन्हें हाथी काका कहकर बुलाते हैं.
हाथी काका बताते हैं कि उनके पास दो हाथी हैं जिनका नाम रानी और मोती है. सुबह से रात तक वह इन्हीं दोनों हाथियों के साथ वक्त गुजारते हैं. हाथी काका सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने अपने दोनों हाथियों के नाम 5 करोड़ की जमीन, जायदाद को रजिस्ट्री कर दिया और अपने इकलौते नालायक बेटे को घर से बेदखल कर दिया. जायदाद की रजिस्ट्री दो हिस्सों में की गई है जिसमें आधा हिस्सा उनकी पत्नी के नाम है तो आधा अपना हिस्सा हाथियों के नाम.
अख्तर इमाम बताते हैं कि उनके नहीं रहने पर उनकी साड़ी संपत्ति हाथियों की हो जाएगी. अगर हाथियों को कुछ हो जाएगा तो जायदाद ऐरावत संस्था को मिल जाएगी क्योंकि अख्तर ऐरावत संस्था के संरक्षक भी हैं. अख्तर साफ कहते हैं कि उनका जीवन हाथियों के लिए ही समर्पित है और जीना इसी के लिए और मरना भी इसी के लिए तो हाथी भी इनके लिए साथी से कम नहीं है.
इस सवाल का जवाब देते हुए कि उन्हें अपने हाथियों से इतना प्यार क्यों है तो अख्तर बताते हैं कि उनके हाथियों ने उनकी जान बचाई थी. अख्तर बताते हैं कि एक रात दो हथियारबंद लोग घर में जान मारने की नीयत से घुस आए तभी हाथियों ने शोर मचाकर उन्हें और आस-पास के लोगों को जगा दिया. शोर सुनकर हत्या करने आए दोनों भाग खड़े हुए और मेरी जान बची, यही वजह है कि वफादार हाथियों के लिए इन्होंने भी अपना जीवन समर्पित कर दिया है और इलाके में हाथी काका के नाम से मशहूर हो गए.