पटना के ग्रामीण इलाकों में कोरोना का ज्यादा खतरा, राजधानी क्षेत्र में कम आ रहे केस

पटना के ग्रामीण इलाकों में कोरोना का ज्यादा खतरा, राजधानी क्षेत्र में कम आ रहे केस

PATNA : पटना के ग्रामीण इलाकों में कोरोना का  खतरा बढ़ गया है. मार्च से अप्रैल के बीच जहां शहरी क्षेत्र में कोरोना का संक्रमण काल रहा था तो वहीं मई में इसका उल्टा प्रभाव होने लगा है. अब शहरी इलाकों के बजाय ग्रामीण इलाकों में इसका प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है.

 शुक्रवार को पटना में जिन मरीजों में कोरोना की पुष्टि हुई उनमें से सात अथमलगोला के क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर है. वहीं 8 वां शख्स धनरूआ का है. वह भी वहां के क्वारेंटाइन सेंटर में ही रह रहा था. अथमलगोला में कोरोना पॉजिटिव  पाए गए 7 लोगों के कुछ साथी पहले ही करोना पॉजिटिव पाए गए थे, जिसके बाद 30 श्रमिकों का सैंपल लिया गया था जिनमें से 7 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं.   वहीं धनरूआ का कोरोना पॉजिटिव युवक पिछले हफ्ते ही कोयंबटूर से बस से मुजफ्फरपुर होते पटना से धनरुआ पहुंचा था. उसके बाद  अपने गांव पहुंचा लेकिन ग्रामीणों ने गांव में प्रवेश नहीं करने दिया. जिसके बाद स्थानीय प्रशासन के सहयोग से उसे धनरुआ स्थित उसे रखा गया था

बता दें कि  पिछले 10 दिनों में यह बीमारी काफी तेजी से फैली .है कोरोनावायरस संक्रमण का सबसे अधिक प्रभाव बेलछी,अथमलगोला और पालीगंज प्रखंड में है. जहां गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक से आए प्रवासी मजदूरों में अब तक कोरोना वायरस का संक्रमण अधिक देखा गया है. इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान समय में ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस का फैलाव अधिक होने का खतरा है, इसलिए रोकथाम के ठोस उपाय किए जा रहे हैं. अब जो भी बीमारी मिल रही है वह बाहर से आने वाले प्रवासी मजदूरों में ही हो रही है, इसलिए क्वारेंटाइन सेंटर में आने वाले लोगों का सही तरीके से स्क्रीनिंग की जा रही है. पटना डीएम कुमार रवि ने बताया कि क्वारेंटाइन सेंटर में आने वाले प्रवासी मजदूरों की जांच कराई जा रही है, जिनमें भी बीमारी के लक्षण पाए जा रहे हैं उन सब की जांच हो रही है इसलिए अभी ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं.