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1st Bihar Published by: Updated Fri, 10 Jul 2020 08:18:14 PM IST
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PATNA : बिहार में कोरोना की बढ़ती रफ़्तार ने सबको हैरान कर दिया है. राज्य सरकार के मंत्री से लेकर कई बड़े अफसर इसकी चपेट में आ चुके हैं. प्रतिदिन भारी संख्या में कोरोना पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं. आशंका जताई जा रही है कि इस जुलाई महीने के अंत तक कोरोना अपने चरम पर होगा. लिहाजा सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पटना एम्स को कोरोना डेडिकेटेड होपितल के रूप में चिन्हित किया है.
हाल ही में आईएमए यानी कि द इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे को पत्र लिखकर पटना एम्स को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल बनाने की मांग की गई थी. आईएमए ने दावा किया है कि बिहार के 200 से अधिक डॉक्टर और हेल्थ वर्कर कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं. ऐसी स्थिति में आम लोगों को बचाने के लिए डॉक्टरों और चिकित्सकों को सुरक्षित रहना सबसे अधिक जरूरी है.
राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए एम्स को को कोरोना डेडिकेटेड होपितल के रूप में चिन्हित किया है. यहां सिर्फ कोरोना संक्रमित मरीजों की जांच और इलाज होगा. अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए अब 50 की बजाय 500 बेड उपलब्ध कराने की बात सामने आ रही है. फिलहाल एम्स में कोरोना आइसोलेशन वार्ड में संक्रमितों के लिए 50 बेड उपलब्ध हैं.
आपको बता दें कि बिहार में कोरोना तेजी से बढ़ रहा है. राज्य में मामले 14 हजार पार कर चुके हैं. डॉक्टरों व स्वास्थ्य मंत्रालय के आकलन के अनुसार अगले कुछ दिनों में संक्रमण में और तेजी आएगी. जुलाई के अंत तक कोरोना अपने चरम पर हो सकता है. संक्रमितों के इलाज के लिए ज्यादा से ज्यादा बेड और चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ऐसी व्यवस्था की जा रही है.
एम्स के निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि एम्स में सामान्य इमरजेंसी और कोरोना संक्रमित दोनों प्रकार के मरीज बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. ऐसे में दोनों मरीजों के साथ पूरी तरह से न्याय नहीं हो पा रहा है. ऐसे में यह यदि कोविड अस्पताल होगा तो उनके लिए बेहतर होगा. यदि सामान्य मरीजों के लिए संचालन होगा तो उनके लिए बेहतर होगा. यही कारण है कि किसी एक तरह का समर्पित अस्पताल होने से मरीजों के साथ ज्यादा न्याय हो सकेगा.