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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 02 Jul 2025 02:51:42 PM IST
कैब किराया बढ़ोतरी - फ़ोटो GOOGLE
Cab Fare Hike: अगर आप ऑफिस आने-जाने के समय या शाम के पीक आवर्स में ओला, उबर, रैपिडो जैसी ऐप बेस्ड टैक्सी सेवाओं का उपयोग करते हैं, तो अब आपकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। केंद्र सरकार ने नई मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस (MVAG) 2025 जारी की हैं, जिनके तहत कैब कंपनियों को पीक आवर्स में बेस किराए का दोगुना (2x) तक किराया वसूलने की छूट दी गई है। इससे पहले यह सीमा 1.5 गुना थी।
दरअसल, केंद्रीय मोटर व्हीकल विभाग ने MVAG 2025 गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके तहत ऐप आधारित कैब कंपनियां जैसे ओला, उबर, रैपिडो, और इनड्राइव, पीक आवर्स के दौरान बेस किराए का दोगुना तक शुल्क वसूल सकती हैं। वहीं, पीक आवर्स वे समय होते हैं जब सड़कों पर ट्रैफिक अधिक होता है या कैब की मांग चरम पर होती है, जैसे सुबह ऑफिस जाने का समय, शाम को घर लौटने का समय या खराब मौसम के दौरान।
नए नियमों के अनुसार नॉन-पीक आवर्स में भी किराया बेस किराए का कम से कम 50% होगा। उदाहरण के लिए, अगर बेस किराया 100 रुपये है, तो कम से कम 50 रुपये किराए के रूप में देने होंगे। बेस किराया वह न्यूनतम शुल्क है जो किसी यात्रा के लिए तय किया जाता है। इसे राज्यों की सड़क परिवहन विभाग और राज्य सरकारें तय करती हैं, जिससे स्थानीय मांग और सड़कों की स्थिति को ध्यान में रखा जाता है। अगर ड्राइवर बिना उचित कारण के राइड स्वीकार करने के बाद कैंसिल करता है, तो उसे कुल किराए का 10% जुर्माना देना होगा, जो अधिकतम 100 रुपये तक सीमित है।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सुझाव दिया है कि वे सितंबर 2025 तक इन नियमों को लागू करें। नए नियमों के तहत सभी ड्राइवरों के लिए 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि ड्राइवरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। सफर का पारदर्शी हिसाब: नए नियमों में ऐप कंपनियों को अपनी कीमतों में पारदर्शिता बनाए रखने और यात्रियों को सटीक किराया पूर्व में दिखाने की भी सलाह दी गई है। किराया बढ़ोतरी का नियंत्रण: राज्य सरकारें जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त नियम भी लागू कर सकती हैं ताकि अत्यधिक किराया वसूली से बचा जा सके।
यात्री शिकायत निवारण: यात्रियों की शिकायतों के निपटारे के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल स्थापित करने की योजना भी सरकार बना रही है। केंद्रीय सरकार की यह पहल ऐप बेस्ड टैक्सी सेवाओं के संचालन को बेहतर बनाएगी और यात्रियों व ड्राइवरों दोनों की सुरक्षा तथा अधिकारों की रक्षा करेगी। हालांकि, पीक आवर्स में किराया बढ़ने से आम यात्री की जेब पर असर पड़ेगा, लेकिन साथ ही ड्राइवरों के लिए बेहतर सुरक्षा और मुआवजा सुनिश्चित होगा।