DESK: अगर कोई पत्नी अपने पति को हिजड़ा कहती है तो ये मानसिक क्रूरता है. ये पति के साथ गुनाह है. तलाक के एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अपने फैसले में ये कहा है. कोर्ट ने पत्नी की आपत्ति को दरकिनार करते हुए तलाक की मंजूरी दे दी है.
ये फैसला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा अपने पति को हिजड़ा कहना मानसिक क्रूरता है. जस्टिस सुधीर सिंह और जसजीत सिंह बेदी की डिवीजन बेंच ने तलाक के एक मामले में पत्नी की ओर से दायर याचिका पर फैसले में ये टिप्पणी की. निचली अदालत ने पति-पत्नी के बीच तलाक की मंजूरी दे दी थी, जिसके खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील की थी. हाईकोर्ट ने पत्नी की अपील को खारिज कर दिया है.
पति को कहती थी हिजड़ा
इस मामले में पति की मां ने गवाही दी कि उसकी बहू अपने पति को हिजड़ा कहकर पुकारती थी. हाईकोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट होता है कि पत्नी के काम और आचरण क्रूरता के समान हैं. कोर्ट ने कहा- पहले पति को हिजड़ा कहना और उसकी मां को यह कहना कि उसने एक हिजड़े को जन्म दिया, यह क्रूरता भरा काम है.
शारीरिक संबंध की वीडियो रिकार्डिंग कराती थी पत्नी
दरअसल, इस जोड़े ने दिसंबर 2017 में शादी की थी. पति ने तलाक की याचिका में आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी देर रात तक जागती रहती थी और उसकी बीमार मां से कहती थी कि उसे पहली मंजिल पर खाना पहुंचाये.
पति ने ये भी आरोप लगाया गया था कि उसकी पत्नी को पोर्न और मोबाइल गेम्स की लत थी. पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी उसे सेक्स की अवधि रिकॉर्ड करने के लिए कहती थी और यह भी कहती थी कि "सेक्स एक बार में कम से कम 10-15 मिनट तक चलना चाहिए और रात में कम से कम तीन बार होना चाहिए".
पति ने कहा कि पत्नी उसे इस बात के लिए ताने देती थी कि वह "शारीरिक रूप से उसके साथ हमबिस्तर होने के लिए फिट नहीं है". पत्नी ने ये भी कहा था कि वह किसी और से शादी करना चाहती थी. इसके जवाब में, पत्नी ने आरोपों से इनकार किया था कहा था कि पति ने उसे ससुराल से निकाल दिया था. पत्नी ने ये भी आरोप लगाया कि उसके ससुराल वालों ने उसे नशीली दवाइयाँ दीं, जिससे वह बेहोश हो गई और "उस अवस्था के दौरान, उन्होंने उसके गले में एक ताबीज बांध दिया और उसे नशीला पानी पिलाया ताकि वे उस पर नियंत्रण कर सकें".
अपील में, पत्नी ने कहा कि निचली अदालत ने उसके पति और उसकी मां की गवाही पर गलत तरीके से भरोसा किया. निचली अदालत ने तलाक की अनुमति देकर सही फैसला नहीं सुनाया है. पत्नी ने कहा कि उसके साथ ससुराल में क्रूरता की जा रही थी. हालांकि, हाई कोर्ट ने कहा कि इस आरोप को साबित नहीं किया गया क्योंकि पत्नी ने अपने खिलाफ हुई क्रूरता के संबंध में अपने माता-पिता या किसी करीबी रिश्तेदार की गवाही नहीं दी. इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि पति के खिलाफ घरेलू हिंसा के आरोप वाली पत्नी की याचिका को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ नहीं है जिससे पता चले कि निचली अदालत का फैसला गलत है.
हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी के सारे काम और आचरण को देखते हुए और यह देखते हुए कि दोनों पक्ष पिछले छह वर्षों से अलग रह रहे हैं, परिवार न्यायालय ने सही फैसला सुनाया कि दोनों पक्षों के बीच विवाह टूट चुका है और यह अब मृत लकड़ी बन गया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि दोनों पक्ष पिछले छह वर्षों से अलग रह रहे हैं और उनके फिर से मिलने की कोई संभावना नहीं है. ऐसे में हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय के विवाह को समाप्त करने के फैसले को बरकरार रखा और पत्नी की अपील को खारिज कर दिया.