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पप्पू यादव के बेटे ने कहा.. मेरे पिता के साथ मुजरिम जैसा बर्ताव, एम्बुलेंस और हॉस्पिटल की सच्चाई दिखलाना जुर्म है क्या?

1st Bihar Published by: Updated Wed, 12 May 2021 01:51:20 PM IST

पप्पू यादव के बेटे ने कहा.. मेरे पिता के साथ मुजरिम जैसा बर्ताव, एम्बुलेंस और हॉस्पिटल की सच्चाई दिखलाना जुर्म है क्या?

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PATNA : जन अधिकार पार्टी के संरक्षक और पूर्व सांसद पप्पू यादव के जेल जाने के बाद लोगों के बीच जनाक्रोश का माहैल है. सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पप्पू यादव की रिहाई की लगातार मांग उठ रही है. इसी कड़ी में पप्पू यादव के बेटे सार्थक रंजन का भी एक वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में वह काफी भावुक दिख रहे हैं. दरअसल बुधवार को सार्थक रंजन ने खुद पप्पू यादव के फेसबुक पेज से लाइव किया और कई बातों को जनता के सामने रखा. उन्होंने बताया कि किस तरीके से उनके पिता को प्रताड़ित किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने बिहार के लोगों को एकसाथ आने की भी अपील की और कहा कि पप्पू यादव सिर्फ नहीं बल्कि एक जुनून है.


पप्पू यादव के बेटे सार्थक रंजन ने कहा कि "मेरे पिता अकेले हैं. कल 9 बजे से लेकर आज सुबह 3 बजे तक मेरे पिता के साथ एक मुजरिम के तरह बर्ताव किया गया है. लेकिन मैं जानना चाहता हूँ कि जुर्म है क्या? हॉस्पिटल की सच्चाई दिखलाना जुर्म है क्या? या जरूरतमंद लोगों की मदद करना जुर्म है? जो एम्बुलेंस लोगों के काम आ सकते थे, उसे एक कैंपस में खड़ा कर के रखा गया."


पप्पू यादव के बेटे ने आगे कहा कि "अपना परिवार छोड़ कर उन्होंने बिहार के हर एक परिवार के लिए काम करना सही समझा. हर एक परिवार की एक भी पुकार अनसुनी न जाये, उनका बस यही एक मकसद है. मैं अक्सर देखता था कि मेरे पापा कोविड वार्ड में जाते थे. मुर्दाघर में जाते थे. लोगों के पास भीड़ में जाकर उन्हें भोजन देते थे. कोई उन्हें गले लगाकर रोता था. वह हर किसी की मदद करते थे. आज वो अकेले बीरपुर में हैं. वह पूरी रात नहीं सोये हैं. जहां उन्हें रखा गया है, वह बिल्डिंग किसी भी वक़्त टूटने को है. वह जर्जर है."



उन्होंने आगे कहा कि "यह बहुत ही बुरा लगने वाली बात है कि उन्होंने बिहार के हर एक घर के लिए अपना घर छोड़ा है. हम सबने कल सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उन्हें साथ दिया. मेरे पिता रात दिन लोगों की मदद करते रहते रहे. मेरे पिता ने एम्बुलेंस, दवा, इंजेक्शन, बेड, भोजन आदि सब दिए. इस वक्त हम सब उन्हें अकेले नहीं छोड़ सकते. मैं एक बेटे की तरह नहीं सोच रहा. अगर ऐसा सोचता तो मैं कब का उन्हें घर वापस बुला लेता. मैं एक नागरिक के तरह सोच रहा हूँ."


सार्थक रंजन ने आगे सवाल किया कि "उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आख़िरकार ऐसा क्यों हो रहा है. वह हमेशा अकेले कैसे पड़ जाते हैं. हम अकेले पड़ जाते हैं. उनका पूरा परिवार अकेले रह जाता है. अगर एक पप्पू यादव बिहार के लिए इतना कर सकता है. तो सोचिये कि दो या दस पप्पू यादव मिलकर बिहार में कितना परिवर्तन ला सकते हैं. हम सब को मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम छेड़नी होगी. लाखों लोग मिलकर इसके हिलाफ आवाज उठाएंगे. मेरे पिता ने बिहार के लिए जो सपने देखे, उस रास्ते पर, उस पथ पर हमलोगों को साथ चलना होगा."