PATNA : बिहार में पंचायत चुनाव के तहत सभी क्षेत्रों में मतदान संपन्न हो चुका है. लेकिन इस दौरान हिंसा और हत्या की कई घटनाएं सामने आई. चुनावी रंजिश में अब तक कई हत्याएं हो चुकी है. नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधि अब तक कार्यभार नहीं संभाल पाए हैं, लेकिन वे अपराधियों के निशाने पर आ गये हैं. अब तक बिहार में पंचायत चुनाव के दौरान चार नवनिर्वाचित मुखिया की गोली मारकर हत्या कर दी गई है.
चुनाव सम्पन्न होने के बाद भी में चुनावी रंजिश में नव निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की हत्याओं की घटना थमने का नाम नहीं ले रही हैं. पिछले तीन चार दिनों में पटना जिले में दो मुखिया और एक वार्ड सदस्य समेत पांच की हत्या हो गई. 11 दिसंबर की रात को पंडारक के मुखिया समेत तीन की हत्या हुई. पंडारक पूर्वी के नव निर्वाचित मुखिया प्रियरंजन उर्फ गोरेलाल की हत्या कर दी.
वहीं 11 दिसंबर की रात को ही नौबतपुर के जमालपुर पंचायत के वार्ड 9 के नवनिर्वाचित वार्ड सदस्य संजय वर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. 14 दिसंबर को जानीपुर थाना के रामपुर-फरीदपुर पंचायत से दूसरी बार मुखिया चुने गए नीरज कुमार को अपराधियों ने गोलियों से भून डाला. हाल में हत्या की तीन वारदात राजनैतिक कारणों से हुए हैं. जो चिंता का विषय है. बिहार में नीतीश कुमार गुड गवर्नेस की बात करते हैं लेकिन अपराध की जो तस्वीर सामने आती है वह बड़ा सवाल खड़ा करती है.
कुछ महीने पहले एनसीआरबी ने साल 2020 का आंकड़ा जारी किया था. तब बिहार में राजनैतिक कारणों से 6 हत्या हुई थीं. एनसीआरबी की ही रिपोर्ट कहती है कि जातीय हिंसा भी बिहार में ही सबसे अधिक होती हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों की मानें तो देश के 28 राज्यों में राजनैतिक कारणों से सबसे अधिक हत्या बिहार में हुई है. बिहार में साल 2020 में राजनैतिक कारणों से 16 हत्याएं हुई हैं. साल 2019 में राजनैतिक कारणों से सबसे अधिक पश्चिम बंगाल में 12 हत्याएं हुई थीं.