DESK: AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजनीति में एक्सपायरी डेट की दवा बताया है. ओवैसी ने कहा कि नीतीश कुमार पॉलिटिक्स में खत्म हो चुके हैं. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बिहार में गोपालगंज का उपचुनाव लड़ कर उन्होंने एकदम सही काम किया है. गोपालगंज में जिन लोगों ने उनके उम्मीदवार को वोट दिया, वे उन्हें सलाम करते हैं.
एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि फिलहाल देश में नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प सामने नहीं है. ओवैसी ने कहा कि नीतीश कुमार तो खत्म हो चुके हैं. राहुल गांधी को वे प्रधानमंत्री पद के लायक नहीं मानते हैं. राहुल गांधी में इतनी ताकत है तो वे फिर से अमेठी का चुनाव जीत कर ही दिखा दें. उनकी हालत तो ये है कि अगर रायबरेली में सोनिया गांधी खुद चुनाव नहीं लडे तो उस सीट से भी कांग्रेस हारेगी.
लालू-नीतीश से पूछ कर नहीं लडेंगे चुनाव
ओवैसी से पूछा गया कि लोग ये कह रहे हैं कि गोपालगंज में उनके उम्मीदवार के कारण भाजपा की जीत हो गयी. जवाब में ओवैसी ने कहा कि वे लालू-नीतीश या कांग्रेस से पूछ कर तो चुनाव नहीं लड़ेंगे न. बिहार में राजद की सरकार है, ये तजस्वी यादव को सोंचना चाहिये कि लोगों ने उन्हें वोट क्यों नहीं दिया. तेजस्वी यादव और उनका गठबंधन पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार में 40 में से 39 सीट हार गये थे. क्या वहां भी हमने हराया था क्या. वे पिछले लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट किशनगंज से चुनाव जीत पाये जहां से हमारी पार्टी का उम्मीदवार मजबूती से चुनाव लड रहा था.
हमारे विधायकों को क्यों तोड़ा
औवैसी ने कहा कि हमने बिहार में चार साल मेहनत कर लोगों को अपने पक्ष में गोलबंद किया था. जिन्हें कोई जानता नहीं था उन्हें टिकट दिया था. हमारे पांच विधायक जीते और उनमें से चार को राजद ने तोड़ लिया. तब किसी ने कुछ भी क्यों नहीं कहा. महाराष्ट्र में जब शिवसेना और कांग्रेस के विधायक बीजेपी में भाग गये तो सारी विपक्षी पार्टियों ने मीटिंग कर कहा कि ये राजनीतिक आतंकवाद है. बिहार में जब हमारे चार विधायकों को तोड़ा गया तो किसी ने विरोध क्यों नहीं किया.
औवेसी ने कहा कि उन पर ये आऱोप लगाना कि वे बीजेपी को फायदा पहुंचा रहे हैं पूरी तरह से गलत है. यूपी में तो हमें वोट नहीं आय़े फिर समाजवादी पार्टी क्यों हारी. अखिलेश यादव के इस्तीफा देने पर आजमगढ़ लोकसभा सीट पर उप चुनाव हुआ और उसमें समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार हार गया. उस चुनाव में तो हम नहीं लड़ रहे थे. फिर समाजवादी पार्टी क्यों हार गयी. क्या सपा और बीजेपी के बीच कोई सेटिंग थी.