नीतीश - तेजस्वी का मिशन रोजगार: लोकसभा चुनाव से पहले मोदी को लेकर बना बड़ा प्लान, लेकिन जल्दबाजी के कारण उठाना न पड़े नुकसान

 नीतीश - तेजस्वी का मिशन रोजगार: लोकसभा चुनाव से पहले मोदी को लेकर बना बड़ा प्लान, लेकिन जल्दबाजी के कारण उठाना न पड़े नुकसान

PATNA : बिहार में महागठबंधन की सरकार के तरफ से कल 1.20 लाख शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरित किया गया। इस सफलता से गदगद बिहार सरकार यानी तेजस्वी यादव और नीतीश एक बार फिर से स्वास्थ्य विभाग और गृह विभाग में में व्यापक पैमाने पर नियुक्तियों की तैयारी कर रही है। वहीं, अचानक से कितनी बड़ी संख्या में निकल रही बहाली को लेकर अब अलग तरफ से सवाल भी उठने शुरू हो गया है। 


दरअसल, आने में छह महीने में स्वास्थ्य विभाग के अंदर डॉक्टर, नर्सों के साथ ही पारा मेडिक्स के करीब 1.50 लाख पदों पर नियुक्तियां होगी। इसके आलावा  जिन पदों की अधियाचना आयोग को भेजी गई है, उसमें फार्मासिस्ट के 1539 पदों के अलावा, ऑपरेशन सहायक के 1098 पद, एक्सरे टेक्नीशियन (के 803 पद, ईसीजी टेक्नीशियन के 163 पद के अलावा विभिन्न मेडिकल कॉलेज अस्पतालों  के लिए लिपिक के 967 पद शामिल हैं। इसके आलावा बिहार पुलिस अवर सेवा ने मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग में 63 और निगरानी विभाग में पुलिस दरोगा के एक पद सहित कुल 64 पदों पर नियुक्ति को लेकर विज्ञापन जारी कर दिया है। 


अब इस लगातार बहाली को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं वो ये है कि आखिर नीतीश कुमार तेजस्वी यादव अचानक से इतने एक्टिव कैसे हो गए। इस महागठबंधन सरकार को लगभग 1 साल होने को और 1 साल में इतनी बड़ी संख्या में अचानक से नौकरी और बहाली नहीं निकली थी। लेकिन अब ऐसा क्या हो गया जो लगातार बहाली जा रही है? ऐसे में जब इन सवालों का जवाब तलाश जाता है तो सबसे पहले जो बातें आती है वह यह है कि देश में अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है और उससे पहले आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगा ऐसे में चाहते हैं कि इस बार रोजगार के मुद्दे को लेकर वह लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे और अपनी चुनावी रणनीति भी इसी पर तय करें।


मालूम हो कि, जब तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता हुआ करते थे तो उन्होंने सबसे पहले यह कहा था कि जब हमारी सरकार बनेगी तो सबसे पहले युवाओं को रोजगार दिया जाएगा। उसके बाद इस सरकार को लगभग 1 साल पूरे हो गए लेकिन इतनी बड़ी संख्या में बाहरी निकाल ले रही थी। लिहाजा विपक्ष भी काफी हम लबाड हो गई थी और लोगों को या लगने लगा था कि तेजस्वी यादव भी कोई खास काम नहीं कर रहे। इतना ही नहीं  यह भी कहा जा रहा था कि अब अपनी लोकप्रियता हो रहे हैं। इसके बाद अब तेजस्वी यादव ने एक साथ एक विभाग से डेढ़ लाख पदों की बहाली निकली और लगातार कहते फिर रहे हैं कि यह सिलसिला लगातार जारी रहेगा।


गौरतलब हो कि, बिहार सरकार के तरफ से यह कहा गया है कि आने वाले दिनों में प्रदेश में एक लाख से अधिक पदों पर बहाली होगी। इनमें सबसे अधिक 70 हजार पदों पर शिक्षकों की बहाली होगी। वहीं, बिहार पुलिस में सिपाही के 21 हजार पदों पर नियुक्ति होगी। इसके अलावे दारोगा को 1288 पदों के लिए बहाली निकाली गई है। राजस्व कर्मचारी और क्लर्क के 11,098 पदों पर नियुक्ति होगी।


उधर, इस सरकार के एक साल पूरे होने पर सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि जो लोग कैबिनेट की पहली बैठक में दस लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा कर रहे थे, उन्होंने कैबिनेट की 100 से ज्यादा बैठकों के बाद सौ लोगों को भी नौकरी नहीं दी. महागठबंधन सरकार बनवा कर नीतीश कुमार ने परिवारवाद, भ्रष्टाचार, अपराध और वोटबैंक की राजनीति (सांप्रदायिकता) से समझौता किया, जिससे पिछला एक साल जंगलराज-रिटर्न जैसा रहा। 


बहरहाल, तेजस्वी यादव ने आचार सहिंता और अपनी खोती हुई लोकप्रियता को वापस से बहाल करवाने को लेकर सरकारी बहाली तो निकाल दी है और झट - पट लोगों को बहाल भी करवा रहे हैं। ताकि इस बार भी वो लोकसभा चुनाव की रैली में रोजगार को मुद्दा बनाकर चुनाव जीत सके। लेकिन , इस बहाली में जो धांधली के आरोप लग रहे हैं अगर वह सच साबित हो गए तो इतनी जल्दी बहाली और रिजल्ट वाली उनकी यह चाल काफी उलटी पड़ सकती है।