PATNA : बीते विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद जनता दल यूनाइटेड की मिट्टी पलीद करने वाले चिराग पासवान अब नीतीश विरोध की राजनीति को एक कदम और आगे बढ़ाने वाले हैं। दरअसल चिराग पासवान ने दो दिन पहले अपने पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान की बरसी का कार्यक्रम आयोजित किया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस आयोजन से दूरी बनाई थी। जेडीयू ने जिस तरह रामविलास पासवान के कार्यक्रम को इग्नोर किया उसके बाद चिराग और उनके समर्थकों में नाराजगी है। पार्टी और रामविलास पासवान के समर्थकों के बीच से नीतीश कुमार को लेकर इसी नाराजगी का फायदा अब चिराग उठाना चाहते हैं। अपने पिता के बस्सी कार्यक्रम के बाद पार्टी के नेताओं के साथ चर्चा करते हुए चिराग पासवान में आने वाले वक्त में अपना मास्टर प्लान एक्टिवेट करने का संकेत दिया है। चिराग पासवान मेरी सरकार के खिलाफ किसी बड़े अभियान की तैयारी में है हालांकि उन्होंने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
चिराग इस बात को भलीभांति समझ रहे हैं कि सत्ता से दूर रहकर केवल पार्टी की नीतियों के आधार पर संगठन को आक्रामक नहीं बनाया जा सकता। इसके लिए विरोध की राजनीति को भी अपनाना जरूरी होगा। नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड का विरोध इसीलिए चिराग के एजेंडे में सबसे ऊपर है। चिराग पासवान ने अपनी पार्टी के जिलाध्यक्षों को सीधे तौर पर मैसेज दे दिया है कि आने वाले वक्त में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिलाध्यक्षों के ऊपर इन सभी अभियानों को सफल बनाने की जिम्मेदारी होगी। जिलाध्यक्षों को चिराग पासवान ने जो टास्क दिया है उसके बाद यह माना जा रहा है कि अपने चाचा पशुपति पारस के फैसले से लोक जनशक्ति पार्टी को जो झटका लगा था चिराग उससे एलजेपी को उबारना चाहते हैं।
सोमवार को चिराग पासवान के पटना स्थित आवास पर जब पार्टी के नेताओं का जुटान हुआ तो नीतीश कुमार के खिलाफ खूब गुस्सा देखने को मिला था। दरअसल चिराग पासवान ने अपनी पार्टी की बैठक बुलायी थी. इसमें तमाम प्रदेश पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष औऱ पिछले विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी मौजूद थे. बैठक में लोजपा नेत्री औऱ पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा ने प्रस्ताव पेश किया. उन्होंने कहा कि स्व. रामविलास पासवान को नीतीश कुमार ने अछूत बना दिया. उनकी बरसी में वे खुद नहीं आये. उनकी पार्टी का कोई नेता नहीं आय़ा. हद तो ये कि चिराग पासवान उन्हें मिलकर न्योता देना चाह रहे थे तो नीतीश जी ने न्योता लेने तक से इंकार कर दिया. रेणु कुशवाहा ने निंदा प्रस्ताव पेश किया. जिसे लोजपा की बैठक में सर्वसम्मति से पारित कर दिया.
बैठक में नीतीश के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने के बाद चिराग पासवान ने कहा कि नीतीश जी ने रामविलास जी के जीवन काल से ही उनके साथ अछूत जैसा व्यवहार किया. जब स्व. पासवान जी को राज्यसभा भेजा जा रहा था तो नीतीश जी ने नामांकन में आने तक से मना कर दिया था. नीतीश जी ने रामविलास पासवान के मंत्री रहते उनके खिलाफ अपनी पार्टी के नेताओं से बयानबाजी करवायी थी. चिराग ने कहा कि उनके पिता और उनकी गलती शायद ये है कि वे दलित परिवार में जन्मे हैं. वर्ना ये सरकार न जाने किन किन लोगों की प्रतिमा पटना में स्थापित कर चुकी है. लोग देख लें कि किन लोगों की जयंती-पुण्यतिथि पर राजकीय समारोह मनाया जा रहा है. लेकिन शायद रामविलास जी दलित थे इसलिए उन्हें मृत्यु के बाद भी सम्मान का हकदार नहीं माना गया.