PATNA : नीतीश सरकार ने नियोजित शिक्षकों की वर्षों पुरानी सेवाशर्त की मांग तो स्वीकार कर ली लेकिन अब सरकार नियोजित शिक्षकों की कुंडली तलाशने में जुट गई है। राज्य के तीन लाख 57 हजार नियोजित शिक्षकों की बहाली कैसे हुई इसके लिए सरकार लगातार पारदर्शिता लाने की कोशिश में है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग में एक लाख तीन हजार ऐसे नियोजित शिक्षकों को अपना फोल्डर वेब पोर्टल पर अपलोड करने के लिए कहा था जिनकी बहाली की जांच निगरानी के जिम्मे है लेकिन अब शिक्षा विभाग में स्पष्ट कर दिया है कि सभी तीन लाख 57 हजार नियोजित शिक्षकों को वेब पोर्टल पर अपना फोल्डर अपलोड करना होगा अगर किसी नियोजित शिक्षक ने ऐसा नहीं किया तो उसकी बहाली ही अवैध मानी जाएगी।
सभी नियोजित शिक्षकों को अपनी बहाली से संबंधित सर्टिफिकेट यानी फोल्डर वेब पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। राज्य के अंदर 1 लाख 3 हजार ऐसे शिक्षक हैं जिनके फोल्डर अब तक निगरानी विभाग को जांच के लिए नहीं मिल सके हैं। शिक्षकों के नियोजन इकाईयों खासकर पंचायतों से शिक्षकों के फोल्डर गायब रहने के बाद शिक्षा विभाग ने वेब पोर्टल बनाकर शिक्षकों से ही सर्टिफिकेट अपलोड करने का निर्णय लिया है। तकनीकी परेशानी से बचने के लिए दो वेबसाइट तैयार कराए गए हैं। ट्रायल के बाद एक सप्ताह के अंदर इसे लांच कर दिया जाएगा और सर्टिफिकेट अपलोड कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। राज्य के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी कहा है कि शिक्षकों के फोल्डर अपलोड कराने के लिए विभाग जल्द वेब पोर्टल लांच करेगा। इससे निगरानी अन्वेषण ब्यूरो से नियोजित शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच कराने में मदद मिलेगी। कई नियोजन इकाईयों से शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिलने के बाद यह फैसला किया गया है।
वेब पोर्टल पर जिन नियोजित शिक्षकों का सर्टिफिकेट अपलोड नहीं होगा उनकी बहाली को ही अवैध माना जाएगा और सेवा खत्म कराने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सभी शिक्षकों के सर्टिफिकेट अपलोड कराने का फैसला इसलिए किया गया है ताकि जिन ढाई लाख शिक्षकों के फोल्डर की निगरानी जांच हो गई है भविष्य में उनके सर्टिफिकेट पर सवाल उठे तो दोबारा जांच कराने में आसानी हो। कई जिले ऐसे हैं जहां सभी नियोजित शिक्षकों के फोल्डर मिल चुके हैं। इनमें पूर्णिया, सीतामढ़ी, मधेपुरा, मुंगेर, किशनगंज और अरवल जिला शामिल हैं। मोतिहारी जिले में सबसे ज्यादा 13285 और मधुबनी में सबसे कम 22 शिक्षकों के फोल्डर गायब पाए गए हैं। निगरानी की जांच में अब तक 1275 सर्टिफिकेट फर्जी निकले हैं और कुल 489 मामलों में केस दर्ज हुआ है।