सबसे बड़ी खबर, नीतीश सरकार ने कहा- बाहर फंसे बिहारियों को वापस नहीं ला सकते, हाईकोर्ट में खड़े कर दिये हाथ, कोटा से छात्रों को लाने से भी इंकार

सबसे बड़ी खबर, नीतीश सरकार ने कहा- बाहर फंसे बिहारियों को वापस नहीं ला सकते, हाईकोर्ट में खड़े कर दिये हाथ, कोटा से छात्रों को लाने से भी इंकार

PATNA :  कोरोना के संकट के बीच बिहार से बाहर फंसे लोगों को वापस लाने से नीतीश सरकार ने हाथ खड़े कर दिये हैं. नीतीश सरकार ने साफ साफ कह दिया है कि वो बिहार से बाहर फंस गये लोगों को वापस बिहार नहीं लाया जा सकता. नीतीश सरकार ने कोटा में फंसे बिहारी छात्र-छात्राओं को भी वापस लाने से इंकार कर दिया है. हालांकि सरकार ने दावा किया है कि बाहर फंस गये सारे बिहारियों को खाना, राशन के साथ साथ नगद रूपये पहुंचा दिया है.


सरकार ने हाईकोर्ट में सौंपी जांच रिपोर्ट
दरअसल हाईकोर्ट ने लॉकडाउन में बिहार से फंसे बिहारियों को लेकर सरकार से रिपोर्ट मांगी थी. राज्य सरकार ने  पटना हाई कोर्ट के महानिबंधक कार्यालय को स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी. आपदा प्रबंधक विभाग के प्रधान सचिव अमृत प्रत्यय ने पटना हाई कोर्ट के महानिबंधक को पत्र संख्या 1438 /डीएम  दिनांक 22 -4- 2020 के जरिये हाई कोर्ट प्रशासन को यह जानकारी दी कि  लॉक डाउन में 17 लाख से भी अधिक बिहारी राज्य के बाहर फंसे पड़े हैं. लॉक डाउन का  कानून व केंद्र  सरकार के गाइडलाइन का सख्त अनुपालन राज्य सरकार कर रही है जिसके तहत फंसे हुए किसी नागरिक  को भी लॉक डाउन अवधि में बिहार  वापस नही लाया जा सकता है.


हर बिहारी को मदद दे रहे हैं
राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि उसने बिहार से बाहर फंसे तमाम बिहारियों को मदद पहुंचा दी है. सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है राज्य के बाहर फंसे बिहारियों को समुचित भोजन व राशन के साथ प्रत्येक व्यक्ति को  एक हज़ार रुपये की तत्काल मदद दी जा रही है. बिहारियों की शिकायतों को सुनने के लिए टेलीफोन, हेल्प लाइन नम्बर और मोबाइल एप भेजे जा रहे हैं. राज्य सरकार ने हाई कोर्ट को ये बताया है कि  बिहार के बाहर फंसे बिहारियों को मदद और राहत देने और उनकी सुरक्षा के राज्य  सरकार  लगातार काम कर रही है. अब तक 90 हज़ार से भी ज्यादा लोगों ने टेलीफोन पर मदद की गुहार लगायी,. इसके बाद सरकार ने एक एक कॉल पर फॉलो अप किया और उन्हें राहत पहुंचाने का काम जारी रखा है.


कोटा से छात्र-छात्राओं को बिहार नहीं ला सकते
बिहार सरकार ने कोटा में फंसे छात्र-छात्राओं को वापस लाने से साफ मना कर दिया है. नीतीश सरकार ने कहा है कि 13 अप्रैल को बिहार सरकार को जानकारी हुई कि कोटा  से बिहारी छात्रों को प्राइवेट गाड़ियों से लाने के लिए कोटा के डीएम ने पास निर्गत किया है. इसके बाद बिहार सरकार ने फौरन राजस्थान राज्य सरकार और  केंद्रीय गृह सचिव को इस बात की सूचना दी कि कोटा डीएम की ओर से जारी पास  केंद्र सरकार के  लॉक डाउन गाइडलाइन के खिलाफ हैं.


नीतीश सरकार के मुताबिक 15 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्रालय  ने  रिवाइज़्ड गाइडलाइन निर्गत किया है और उसका सख्त अनुपालन  करने की हिदायत केंद्रीय गृह सचिव ने 19 अप्रेल के पत्र के जरिये  बिहार के मुख्य सचिव को दिया  है. बिहार सरकार  भी कोरोना महामारी से लड़ने के लिए  रिवाइज़्ड गाइडलाइन के सख्ती  से अनुपालन करने पर जोर दे रही है. ऐसी परिस्थिति में बिहार सरकार ने साफ कर दिया है कि कोटा और देश के अन्य हिस्सों से बिहारी छात्रों को लाना वांछनीय नही है.


सरकार का दावा-कोटा में पर्याप्त मदद दे रहे हैं
 राज्य सरकार ने दावा किया है कि कोटा के डीएम और राजस्थान सरकार से लगातार संपर्क बना कर रखा है. वहां फंसे बिहारी छात्रों की हर खबर ली जा रही है.  बाहर फंसे बिहारी छात्रों और लोगों की शिकायते लेने के लिए एक स्थायी कॉल सेंटर बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग में खोला गया है. साथ  में दिल्ली स्थित बिहार के स्थानीय आयक्त दफ्तर और अन्य राज्यों के मुख्य मंत्री सचिवालयों में भी हेल्पलाइन व दूरभाष  नम्बर जारी किए गए हैं.


नीतीश सरकार ने कोर्ट को दिये गये जवाब में कहा है कि  बिहार के बाहर फंसे बिहारी लोगों की एक एक इनकमिंग कॉल को विस्तार से  धैर्यपूर्वक सुनते हुए फॉलो अप एक्शन लिया जा रहा है. देश की अलग अलग हिस्सों से मिल रहे इनकमिंग शिकायती कॉल के आधार पर फंसे पड़े बिहारी लोगों  का क्षेत्रवार क्लस्टर तैयार किया गया है.देशभर के  करीब 160 जिलों में  बिहारीयों के  वैसे  3217 क्लस्टर्स अब तक   चिन्हित किये जा चुके हैं जहां लॉक डाउन में फंसे पड़े  बिहारी माइग्रेंट्स की संख्या बड़ी तादाद में हैं. फंसे हुए बिहारियों से सम्बंधित अब तक 90 हज़ार से भी अधिक कॉल बिहार सरकार ने रिसीव कर फॉलो अप किया है.


 नीतीश सरकार ने दावा किया है कि  जिस राज्य और जिलों से बिहारियों के  इनकमिंग कॉल आ रहे हैं वहां के राज्य सरकार व सम्बन्धित जिलों के डीएम,एसएसपी और दूसरे आला अधिकारियों से लगातार बात कर फंसे बिहारी लोगों का कॉल डिटेल देते हुए उन्हें फौरन  राहत व मदद के लिए सूचना दी जा रही है. इस काम के लिए  बिहार सरकार के अनुभवी अधिकारियों को लगाया गया है. सभी राज्य में फंसे बिहारियों से संपर्क साधने और उन्हें बिहार सरकार से कनेक्ट करने की अहम भूमिका दिल्ली स्थित बिहार का स्थानीय आयुक्त दफ्तर भी कर रहा है. स्थानीय आयुक्त दफ्तर में भी कई सूबे में फंसे बिहारियों के  फोन आ रहे हैं. सबों को फौरन सहायता व राहत सिर्फ पहुंच ही नही रही बल्कि कई फोन से बिहार सरकार को थैंक यू मेसेज भी मिल रहे हैं.


बिहार सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि  31 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री को तब तक राज्य के बाहर  फंसे हुए बिहारियों के बारे में जानकारी दी गयी. उसके बाद राज्य के बाहर फंसे हरेक बिहारी को 1000 रुपये की विशेष सहायता देना शुरू हुआ। इसके लिए  मुख्यमंत्री राहत कोष से अब तक  200 करोड़ रुपये राशि जारी किया गया  है. बिहार  फाउंडेशन को आदेश जारी किया गया कि महाराष्ट्र , दिल्ली व अन्य राज्य में फंसे बिहारियों को फौरन रोज का  खाना व राशन मुहैय्या कराना शुरू करें. बिहार फाउंडेशन ने रिपोर्ट दिया है कि  21 अप्रैल  तक राज्य के बाहर फंसे बिहारियों में करीब 6,81,225 भोजन पैकेट व 43 , 748 लोगों को 15 दिनों का सूखा राशन उपलब्ध करा दिया गया है. यही नही दूसरे राज्यों के फंसे 17 ,896 लोगों को भी भोजन वितरित किया गया. कोटा में 8 नए हेल्प लाइन नम्बर और 24 घण्टे व सात दिनों तक लगातार चलने वाले एक नए हेल्प लाइन नम्बर को भी जारी कर दिया गया है.