Patna accident : पटना में बाकरगंज नाले पर बना मकान धंसा, चार लोग फंसे; राहत-बचाव कार्य जारी Success Story: कौन हैं IAS आशीष कुमार? जिन्होंने अनंत सिंह के गिरफ्तारी से ठीक पहले संभाली थी मोकामा की कमान Bihar Election 2025: ‘लालू का अपना इतिहास रहा है, वह खुद सजायप्ता हैं’ रीतलाल यादव के लिए रोड शो करने पर बोले दिलीप जायसवाल Bihar Election 2025: ‘लालू का अपना इतिहास रहा है, वह खुद सजायप्ता हैं’ रीतलाल यादव के लिए रोड शो करने पर बोले दिलीप जायसवाल Bihar Election 2025 : पहले चरण के चुनाव प्रचार के आखिर दिन अमित शाह के बड़े वादे,कहा - डिफेंस कॉरिडोर, नई रेललाइन और रामायण सर्किट से बदलेगा बिहार का भविष्य DSP ने 100 करोड़ नहीं बल्कि 200-300 करोड़ कमाया, खुलासे ने हिला दिया सिस्टम..हो गया सस्पेंड Bihar Election 2025: ‘महाठगबंधन के आधे लोग जेल में हैं, आधे बेल पर’, शिवराज सिंह चौहान का बड़ा हमला Bihar Election 2025: ‘महाठगबंधन के आधे लोग जेल में हैं, आधे बेल पर’, शिवराज सिंह चौहान का बड़ा हमला Success Story: “एक दिन तू अफसर बनेगी…”, 5 साल की उम्र में माता-पिता को खोया, फिर भी नहीं मानी हार; कड़ी मेहनत से बनीं IPS अधिकारी Bihar road accident : बिहार के रोहतास में दर्दनाक सड़क हादसा, ट्रेनी सिपाही और पिता की मौत
1st Bihar Published by: Updated Sun, 27 Dec 2020 03:59:12 PM IST
                    
                    
                    - फ़ोटो
PATNA: जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में खुद नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का एलान किया . इसके बाद आरसीपी सिंह को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया गया और उसे सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया गया और आरसीपी सिंह पार्टी के नए सुप्रीमो बन गए.

यूपी से बुलाकर बनाया था प्रधान सचिव
आरसीपी सिंह आईएएस अधिकारी रह चुके हैं. नीतीश कुमार के स्वजातीय हैं और उनके गृह जिले के ही निवासी हैं. आरसीपी उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी थे लेकिन नीतीश जब केंद्र में मंत्री बने तभी आरसीपी सिंह को उत्तर प्रदेश से लाकर अपना आप्त सचिव बनाया. उसके बाद जब नीतीश ने बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तो फिर आरसीपी सिंह को उत्तर प्रदेश से बुला कर अपना प्रधान सचिव बनाया. आज नीतीश कुमार ने जेडीयू का सुप्रीमो आरसीपी को बना दिया.

आरसीपी के हाथ में सत्ता का पावर
सियासत की समझ रखने वाला बिहार का हर आदमी ये जानता था कि आरसीपी सिंह जब नीतीश कुमार के प्रधान सचिव थे तब भी असली पॉवर उनके हाथों में ही थी. 2010 में उन्होंने नौकरी से वीआरएस ले लिया और राज्यसभा जाने की इच्छा जतायी. तब नीतीश कुमार उन्हें राज्यसभा भेजने को राजी नहीं थे. लेकिन आरसीपी सिंह ने जिद पकड़ी तो नीतीश कुमार के पास उन्हें राज्यसभा भेजने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बचा.

आरसीपी के इशारे पर चल रही थी पार्टी
राज्यसभा सांसद बनकर आरसीपी सिंह जेडीयू के सर्वेसर्वा बन गये. जेडीयू का पूरा संगठन उनके इशारे पर ही चलता रहा. वैसे भी नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी के संगठन महासचिव का पद दिया. उसके बाद से पार्टी का सारा काम आरसीपी सिंह ही देख रहे हैं. पार्टी की बैठकों या सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी आरसीपी सिंह का रूतबा दिखता है. इन कार्यक्रमों में आरसीपी सिंह नीतीश के ठीक पहले भाषण देते हैं. सियासी प्रोटोकॉल के मुताबिक जो जितना बड़ा नेता होता है वो उतना बाद में बोलता है.लेकिन आरसीपी सिंह जेडीयू संसदीय दल के नेता ललन सिंह और पार्टी के प्रधान महासचिव केसी त्यागी के बाद बोलते हैं. यानि पार्टी में उन्हें नीतीश कुमार के बाद सबसे बड़े नेता का दर्जा पहले से ही मिला हुआ था.
जब नीतीश हो गए थे नारा
हालांकि इस साल की शुरूआत में आरसीपी सिंह ने पार्टी के कार्यकर्ताओं का पटना के गांधी मैदान में सम्मेलन कराया जो फ्लॉप रहा. इसके बाद नीतीश उनसे नाराज हुए. कोरोना काल में आरसीपी सिंह कई महीने तक पार्टी के काम से दूर रहे. लेकिन ये मनमुटाव ज्यादा दिनों तक नहीं चला. विधानसभा चुनाव के दौरान भी टिकट बांटने में आरसीपी सिंह की खूब चली. आरसीपी सिंह अपने समर्थकों को टिकट दिलाने में सफल रहे. जेडीयू के अंदर होने वाली चर्चा के मुताबिक पार्टी का टिकट या तो नीतीश कुमार ने बांटा या आरसीपी सिंह ने. बाकी के बड़े नेता अपने इक्के-दुक्के लोगों को ही टिकट दिलाकर खुश हो गये.