नीतीश को खुश रखने के लिए अब जगदानंद सिंह को भी छोड़ेंगे तेजस्वी? राजद के प्रदेश अध्यक्ष के इस्तीफे की चर्चा

नीतीश को खुश रखने के लिए अब जगदानंद सिंह को भी छोड़ेंगे तेजस्वी? राजद के प्रदेश अध्यक्ष के इस्तीफे की चर्चा

PATNA: बिहार के गलियारे में चर्चा गर्म है कि राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह अपने पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं. दिल्ली में 9-10 अक्टूबर को राजद का राष्ट्रीय सम्मेलन होने जा रहा है, उसी दौरान जगदानंद सिंह अपना इस्तीफा राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को सौंप देंगे. इस मसले पर जगदानंद सिंह ने चुप्पी साध रखी है लेकिन जानकार बता रहे हैं कि लालू-तेजस्वी के नीतीश प्रेम में जगदानंद सिंह की भी बलि चढ़ने जा रही है. इससे पहले नीतीश कुमार के कारण ही जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह से मंत्री पद से इस्तीफा लिया जा चुका है।


इस बीच आज देर शाम जगदानंद सिंह दिल्ली रवाना हो गये हैं. नियमित तौर पर राजद के प्रदेश कार्यालय आने वाले जगदानंद सिंह पिछले कई दिनों से ऑफिस नहीं आ रहे हैं. वे अपने गांव में थे, वहीं से दिल्ली रवाना हुए हैं. उनके इस्तीफे की चर्चा आम है लेकिन जगदानंद कुछ बोल नहीं रहे हैं. आज उनके गांव में भी मीडिया के लोग पहुंचे लेकिन वे कुछ बोलने को राजी नहीं हुए।


नीतीश प्रेम में एक और बलि?

जगदानंद सिंह के इस्तीफे की चर्चा के बाद फर्स्ट बिहार ने राजद के कई प्रमुख नेताओं से बात की. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि जगदा बाबू नाराज हैं. ये दिख भी रहा है. तीन दिन बाद पार्टी का बड़ा सम्मेलन दिल्ली में होने जा रहा है लेकिन जगदानंद सिंह उसमें कोई खास अभिरूचि नहीं दिखा रहे हैं. लेकिन जगदानंद सिंह ने अपने करीबी लोगों से भी इस्तीफे को लेकर कोई चर्चा नहीं की है।


वैसे राजद नेता इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि नीतीश कुमार से दोस्ती के बाद तेजस्वी का रूख जगदानंद सिंह को लेकर अचानक से बदला है. दो महीने पहले तक पार्टी के अहम फैसले जगदानंद सिंह से राय मशविरा के बाद ही लिया जा रहा है. लेकिन अब वे किनारे कर दिये गये हैं. यहां तक कि उनके बेटे सुधाकर सिंह के इस्तीफे को लेकर भी जगदानंद सिंह से सलाह नहीं लिया गया. तेजस्वी यादव ने उन्हें बुलाकर सुधाकर सिंह का इस्तीफा कराने को कहा. उसके बाद ये भी कहा कि वे खुद मीडिया में जाकर ये बतायें कि सुधाकर सिंह ने इस्तीफा दे दिया है।


अचानक क्यों बदला तेजस्वी का रूख

बता दें कि पिछले महीने ही जगदानंद सिंह को फिर से राजद का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. जगदानंद इस पद को फिर से संभालने को इच्छुक नहीं थे लेकिन लालू यादव ने उनसे प्रदेश अध्यक्ष बने रहने को कहा. दरअसल प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद जगदानंद सिंह ने जिस तरह से पार्टी को व्यवस्थित और अनुशासित किया है वैसा कर पाना राजद के किसी दूसरे नेता के लिए मुमकिन नहीं है. इसलिए लालू परिवार चाह रहा था कि जगदानंद सिंह ही प्रदेश अध्यक्ष बने रहे।


फिर मामला क्यों बिगड़ा, हमने इसका जवाब तलाशने की कोशिश की. राजद के नेताओं से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक मामला उस दिन से बिगड़ा जिस दिन जगदानंद सिंह ने ये बयान दे दिया कि 2023 में नीतीश कुर्सी से हटेंगे और तेजस्वी यादव सीएम बनेंगे. उसके बाद से ही जगदानंद सिंह की ट्यूनिंग लालू औऱ तेजस्वी दोनों से बिगड़ी।


डील उजागर होने से डरा लालू परिवार

जानकारों की मानें तो जगदानंद सिंह ने 2023 में सत्ता परिवर्तन की बात सार्वजनिक कर उस डील को उजागर कर दिया जो नीतीश कुमार और लालू-तेजस्वी के बीच हुई थी. सूत्रों के मुताबिक तीन महीने पहले नीतीश कुमार ने यही वादा कर तेजस्वी से तालमेल किया था. 2017 में नीतीश से चोट खा चुके तेजस्वी नीतीश से कतई हाथ मिलाने को तैयार नहीं थे. वे सार्वजनिक तौर पर लगातार ये घोषणा करते रहे थे कि अब नीतीश कुमार से दोस्ती संभव नहीं है. लेकिन जब नीतीश कुमार ने ये कहा कि अगले साल वे खुद सीएम की कुर्सी छोड़ देंगे तो तेजस्वी समझौते के लिए राजी हुए थे।


नीतीश की लालू-तेजस्वी की इस डील की जानकारी जगदानंद सिंह को भी थी. लेकिन ये डील होते समय भी यही तय किया गया था कि इसे सार्वजनिक नहीं किया जाना है. इसे आखिरी वक्त तक ऐसे ही गुप्त रखा जाये जैसे नीतीश का बीजेपी से साथ छोड़ कर राजद के साथ जाने के फैसले को गुप्त रखा गया था. लेकिन जगदानंद सिंह ने मीडिया के सामने ये बात उजागर कर दी।


उसके बाद से ही पूरे लालू परिवार को लगा कि तेजस्वी को सीएम बनाने की योजना खटायी में पड़ सकती है. जानकार तो ये भी दावा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार ने खुद लालू और तेजस्वी से बात डील के सार्वजनिक होने पर नाराजगी जतायी थी. इसके बाद से ही जगदानंद सिंह के प्रति तेजस्वी यादव का रूख बदला. तेजस्वी के बदले रवैये को जगदानंद सिंह भी समझ चुके हैं।


वैसे इसी प्रकरण के बाद ही जगदानंद के बेटे सुधाकर सिंह का इस्तीफा लिया गया था. मीडिया में भले ही ये कहा जा रहा हो कि सुधाकर सिंह ने खुद मंत्री पद से इस्तीफा दिया है लेकिन अंदर की बात ये ही उन्हें अपनी पार्टी के आलाकमान की ओर से इस्तीफा भेजने को कहा गया था. नियमों के मुताबिक किसी मंत्री को अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री के पास भेजना होता है. लेकिन सुधाकर सिंह ने तेजस्वी यादव के पास इस्तीफा भेजा. बाद में सरकार ने ये नोटिफिकेशन निकाला कि सुधाकर सिंह ने सीएम को अपना त्याग पत्र दिया था जिसे स्वीकार कर लिया गया।


कुल मिलाकर कहें तो लालू परिवार किसी सूरत में नीतीश कुमार को नाराज नहीं करना चाहता. उसे लग रहा है कि तेजस्वी यादव अब बस सीएम बनने ही वाले हैं. तभी रास्ते में आने वाले किसी व्यक्ति की बलि लेने में गुरेज नहीं किया जा रहा है. अब अगर जगदानंद सिंह अगर इसकी भेंट चढ़ जायें तो हैरानी नहीं होनी चाहिये।