PATNA : बीजेपी का साथ छोड़ने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2024 में विपक्षी एकजुटता का बीड़ा उठाया है। नीतीश कुमार मिशन 2024 के तहत बीजेपी के विरोध में खड़ी तमाम विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के रास्ते पर हैं, इसी कड़ी में यह खबर भी सामने आई कि नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश के फूलपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड से जुड़े नेताओं ने ही फूलपुर की जनता की भावनाओं से पार्टी को अवगत कराया था लेकिन नीतीश यूपी का रुख करते उससे पहले ही नीतीश के विपक्षी एकजुटता के मिशन में झटका लगा है।
दरअसल नीतीश कुमार को उत्तर प्रदेश में यह झटका किसी और से नहीं बल्कि मुलायम सिंह यादव के ही परिवार से मिला है। मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल सिंह यादव ने नीतीश कुमार का समर्थन नहीं करने का फैसला किया है। शिवपाल सिंह यादव अपनी प्रगतिशील समाज पार्टी चलाते हैं। भतीजे अखिलेश यादव से मतभेद के बाद उन्होंने नई पार्टी बनाई थी। नीतीश कुमार यूपी में बीजेपी के खिलाफ खड़ी तमाम पार्टियों को साथ जोड़ना चाहते हैं लेकिन अखिलेश और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव कभी एक साथ नहीं रह सकते। यही वजह है कि नीतीश ने जिस पल अखिलेश यादव से मुलाकात की उसी पल यह तय हो गया कि शिवपाल यादव नीतीश के इस मिशन से दूर रहेंगे। शिवपाल यादव के पार्टी ने खुले तौर पर इसका ऐलान भी कर दिया है। शिवपाल सिंह यादव की पार्टी प्रगतिशील समाज पार्टी के प्रदेश महामंत्री और प्रवक्ता लल्लन राय ने कहा है कि हमें नीतीश के नाम पर कोई एतराज नहीं लेकिन नीतीश अगर यूपी में अखिलेश यादव के साथ समझौता करने की तैयारी में हैं तो हम उनसे दूर रहेंगे।
पूर्व विधायक और शिवपाल सिंह यादव के करीबी लल्लन राय के मुताबिक समाजवादी पार्टी की मौजूदगी वाली किसी भी गठबंधन में उनकी पार्टी शामिल नहीं होगी। उनका आरोप है कि अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव की पार्टी को कमजोर करने का प्रयास किया है, ऐसे में जिस गठबंधन में अखिलेश रहेंगे शिवपाल कभी भी उस गठबंधन में मौजूद नहीं रहेंगे। नीतीश कुमार के मिशन के लिए यह बड़ा झटका है। ऐसे में यह सवाल उठना भी लाजमी है कि क्या नीतीश मुलायम परिवार के इस विवाद को सुलझा पाएंगे? जिस विवाद को खुद मुलायम सिंह यादव नहीं कर पाए, क्या नीतीश उस विवाद को खत्म कराने में सफलता हासिल कर पाएंगे? आपको बता दें कि पिछले दिनों दिल्ली दौरे पर गए नीतीश कुमार ने अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। तब यह खबर भी सामने आई थी कि अखिलेश और नीतीश की मुलाकात के सूत्रधार आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव थे। लालू के कहने पर ही अखिलेश ने नीतीश से मुलाकात की। मौजूदा हालात के बीच नीतीश अगर एंट्री लेते हैं तो यूपी में बीजेपी विरोधी तमाम पार्टियों के वोटर्स को एक दूसरा विकल्प भी मिलेगा। यह बात यूपी के विपक्षी नेताओं को भली-भांति पता है। अगर नीतीश वाकई फूलपुर से चुनाव लड़ते हैं तो यूपी में नीतीश की मौजूदगी से अखिलेश और शिवपाल जैसे नेता सहज नहीं रह पाएंगे।