PATNA : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 5 साल के अंतराल के बाद एक बार फिर से जनता दरबार कार्यक्रम का सिलसिला शुरू किया है. नीतीश कुमार पिछले दो हफ्तों से जनता दरबार कार्यक्रम में मौजूद रहे हैं और इस दौरान उनके सामने सैकड़ों की तादाद में फरियादी शिकायतें लेकर पहुंचे हैं. मुख्यमंत्री के जनता दरबार कार्यक्रम के दौरान शुरुआती दौर में जो फीडबैक मिल रहा है, उसके मुताबिक नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है.
नीतीश कुमार ने सात निश्चय योजना के तहत राज्य के विकास के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की थी. लेकिन अब इन्हीं योजनाओं के क्रियान्वयन का जिम्मा जिन विभागों को मिला, उन्हीं विभागों से शिकायतें सबसे ज्यादा सामने आई है. सात निश्चय की सबसे लोकप्रिय योजना नल का जल और ग्रामीण सड़क के साथ-साथ स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड और पंचायती राज विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों से जुड़ी योजनाओं को लेकर सबसे ज्यादा शिकायतें जनता दरबार में सुनने को मिली है.
पिछले दो सोमवार को जनता दरबार कार्यक्रम में जो शिकायतें सामने आई उसके आधार पर यह बात सामने आई है कि नल का जल, ग्रामीण सड़क, समाज कल्याण, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, पंचायती राज, स्वास्थ्य और खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में बड़ी तादाद में गड़बड़ी की शिकायतें हैं. खुद मुख्यमंत्री जब लोगों से बातचीत कर रहे तो उन्हें जो फीडबैक मिल रहा है. वह चौंकाने वाला है.
पंचायती राज विभाग से जुड़े मामलों में तो मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दे डाले हैं. यही हाल नल जल योजना का है. योजना को लेकर बीते सोमवार एक फरियादी ने मुख्यमंत्री को उनके सामने कह दिया कि आपकी सात निश्चय योजना फेल है. नल का जल योजना में बड़ी गड़बड़ी है और शिकायत करने पर अधिकारी कोई कदम नहीं उठाते.
इतना ही नहीं मुख्यमंत्री की सबसे दूरदर्शी योजना में से एक स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना अब सरकार के लिए गले की फांस बन कर रह गई है. स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से जुड़ी शिकायतें लेकर जनता दरबार में पहुंचने वाले युवाओं की बड़ी तादाद देखी गई. इस बार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को है, जो सरकार की तरफ से नीति में बदलाव किए जाने के बाद योजना का लाभ उठाते हुए एक किश्त की रकम उठा चुके हैं. लेकिन आगे उनका भविष्य अधर में है. पहली किश्त के बाद आगे की रकम इस योजना के तहत गाइड लाइन में बदलाव किए जाने के कारण युवाओं को नहीं मिल पा रही है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार यह दावा करते हैं कि बिहार में ग्रामीण सड़कों के निर्माण का काम पूरा किया जा चुका है. एक बस्ती से दूसरे को जोड़ने के लिए सरकार ने जो रोड मैप तैयार किया, उसके तहत अब कहीं भी कच्ची सड़के नहीं है. लेकिन मुख्यमंत्री के इस दावे के उत्तर ग्रामीण सड़कों के निर्माण से जुड़ी शिकायतें भी जनता दरबार में खूब आई. पिछले जनता दरबार में तो हाल ये हो गया कि मुख्यमंत्री को कहना पड़ा कि ऐसा भी कोई जगह है क्या, जहां ग्रामीण सड़क का निर्माण नहीं हुआ. अगर ऐसा है तो यह वाकई उनके लिए अचरज की बात है.
आंगनबाड़ी सेविकाओं के मसले पर मुख्यमंत्री ने समाज कल्याण विभाग को पूरे बिहार में जांच कराने का आदेश दिया है. आंगनबाड़ी सेविकाओं की तरफ से बड़े पैमाने पर शिकायतें मिली कि उनको काम के बावजूद मानदेय नहीं दिया जा रहा. इसी तरह स्वास्थ्य विभाग की बदहाली का मामला भी मुख्यमंत्री के सामने पहुंचा है. स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों के नहीं रहने और अस्पताल के भवन जर्जर रहने की शिकायत भी मिली है. जान वितरण प्रणाली के अंतर्गत दुकानदारों की मनमानी और अनाज के वजन में हेराफेरी जैसे मामलों की शिकायतें भी मुख्यमंत्री के सामने आई है. जाहिर है 5 साल बाद जब मुख्यमंत्री ने जनसंवाद का सिलसिला शुरू किया है तो उस में आने वाली शिकायतें उनके सुशासन को आईना दिखा रही है.