DELHI : नक्सलवाद से निपटने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से केंद्र प्रायोजित योजनाओं की राशि में कटौती का मामला उठाया है। नक्सलवाद को खत्म करने के लिए बिहार सरकार की तरफ से किए जा रहे प्रयासों की चर्चा करते हुए सीएम नीतीश ने कहा है कि, नक्सल समस्या का अंत केंद्रीय मदद के बिना नामुमकिन है।
सीएम नीतीश ने कहा है कि, नक्सलवाद से निपटने के लिए केंद्र सरकार केवल योजना बनाकर या उसकी समीक्षा कर के अपनी भूमिका नहीं निभा सकता। नक्सलवाद के खिलाफ अगर प्रभावी तरीके से कार्रवाई करनी है तो केंद्र को सार्थक पहल करनी होगी। सीएम नीतीश ने कहा कि, इसके लिए केंद्र सरकार को नक्सल प्रभावित राज्यों के लिए वित्तीय मदद और केंद्र प्रायोजित योजनाओं की राशि में वृद्धि करनी होगी।
बिहार सरकार की तरफ से वर्ष 2006 से चलाए जा रहे 'आपकी सरकार आपके द्वार' जैसे कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार सरकार जब भी केंद्र प्रायोजित योजनाओं में पूर्व की भांति ही वित्त पोषण या संसाधनों की मांग करती है तो केंद्र उसे यह कहते हुए इंकार कर देता है कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के मुताबिक अब राज्यों को पहले से अधिक राशि दी जा रही है। जबकि बिहार के संसाधनों में 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के बाद भारी कमी आई है। ऐसे में वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करना मुश्किल हो रहा है। नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार को नक्सलवाद के विरुद्ध कार्यवाई के लिए राज्य पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को मिल बांट कर वहन करना चाहिए।