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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 17 Jun 2025 07:29:30 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: बिहार में न्याय की रफ्तार को तेज करने के लिए बड़ा कदम उठाया जा रहा है। राज्य में जल्द ही 100 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट शुरू किए जाएंगे, जहां हत्या, लूट, डकैती और हथियारों से जुड़े गंभीर अपराधों के मामलों का प्राथमिकता के साथ निपटारा होगा। बिहार पुलिस के डीजीपी विनय कुमार ने इसकी घोषणा करते हुए बताया कि इन कोर्ट्स के गठन का प्रस्ताव तैयार हो चुका है और जल्द ही गृह विभाग के जरिए इसे राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा। यह कदम बिहार में लंबित मामलों के बोझ को कम करने और अपराधियों को जल्द सजा दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
डीजीपी ने बताया कि जनसंख्या और लंबित मामलों की संख्या के आधार पर बड़े जिलों में अधिकतम पांच और छोटे जिलों में एक से दो फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किए जाएंगे। इन कोर्ट्स में रिटायर्ड जजों की नियुक्ति का भी प्रस्ताव है, ताकि अनुभवी न्यायाधीशों के नेतृत्व में ट्रायल तेजी से पूरे हो सकें। खास बात यह है कि इन कोर्ट्स को जमानत जैसे मामलों से पूरी तरह मुक्त रखा जाएगा, जिससे गंभीर अपराधों पर फोकस बना रहे। डीजीपी ने यह भी याद दिलाया कि 2011 तक बिहार में 178 फास्ट ट्रैक कोर्ट काम कर रहे थे, जिन्होंने उस समय मामलों के निपटारे में अहम भूमिका निभाई थी।
डीजीपी विनय कुमार ने अपराध के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए बताया कि राज्य के 1172 हिस्ट्रीशीटर अपराधियों की अवैध कमाई से अर्जित संपत्ति को चिह्नित कर लिया गया है। इनमें कॉन्ट्रैक्ट किलर, शराब माफिया, हथियार तस्कर और संगठित अपराध से जुड़े लोग शामिल हैं। बिहार के 1249 थानों से आए प्रस्तावों के आधार पर बीएनएसएस की धारा 107 के तहत इनकी संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू हो गई है। इसके अलावा आर्थिक अपराध इकाई ने मधुबनी के मनोज झा, मुजफ्फरपुर के राकेश कुमार और खुशरूपुर के संजय कुमार की 5.15 करोड़ रुपये की संपत्ति को अधिग्रहित करने का प्रस्ताव प्रवर्तन निदेशालय (ED) को भेजा है।
डीजीपी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि थानों से भ्रष्टाचार की शिकायतें अक्सर मिलती हैं और अगर कोई पुलिसकर्मी मदद के नाम पर रिश्वत मांगता है, तो लोग बिना डरे निगरानी विभाग, SVU, EOU या सीधे पुलिस मुख्यालय में शिकायत करें। भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा करते हुए उन्होंने बताया कि 66 पुलिसकर्मियों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।
लंबित मामलों के सवाल पर डीजीपी ने बताया कि बिहार में दर्ज होने वाले केसों की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा मामलों का निपटारा हो रहा है। जनवरी से मई 2025 तक त्वरित सुनवाई के तहत 52,314 अपराधियों को सजा सुनाई गई, जिनमें तीन को फांसी, 489 को आजीवन कारावास और हजारों को अन्य सजा दी गई। नए फास्ट ट्रैक कोर्ट्स के गठन से इस रफ्तार को भी और तेज करने की उम्मीद है।