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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 26 Sep 2024 05:01:49 PM IST
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GAYA: बिहार में पुलिस वाले मास्टर साहब की भूमिका में नजर आ रहे हैं। गया जिले से 120 किलोमीटर दूर अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में वर्दी पहनकर पुलिस कर्मी शिक्षा का अलख जगा रहे हैं। छकरबंधा थाना परिसर में बच्चों को शिक्षित बनाने का काम कर रहे हैं।
गया जिले के नक्सल प्रभावित इलाके डुमरिया में 'खाकी' अक्षर का ज्ञान बांट रही है। नक्सल प्रभावित इलाके के दर्जन भर गांव के सैकड़ों बच्चों अक्षर ज्ञान की तालीम पा रहे हैं। इन बच्चों के लिए थाना अब 'पाठशाला' बन गई है, तो शिक्षक की भूमिका 'पुलिसकर्मी निभा रहे हैं। अत्यंत पिछड़े और नक्सल प्रभावित इलाके रहे छकरबंधा थाने में ऐसी बड़ी पहल थाने के थानाध्यक्ष अजय बहादुर सिंह के द्वारा की गई है।
जिससे नक्सली इलाके के बड़ी संख्या में अशिक्षित रहे बच्चे अब शिक्षा की डोर थाम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगे हैं। छकरबंधा पिछड़ा इलाका है, ऐसे में यह पहल इस इलाके में शिक्षा का अलग जगा रही है। इससे न सिर्फ मासूम बच्चे खुद की प्रतिभा को पहचान रहे हैं, बल्कि अपने लक्ष्य को भी समझने लगे हैं। अब थाने में संचालित पाठशाला में पढ़ाई करने वाले बच्चे समझने लगे हैं, कि उन्हें भटकना नहीं है, बल्कि समाज की मुख्य धारा में अपनी प्रतिभा की बुलंदियों को साबित करना है।
यही वजह है, कि थाने में संचालित पाठशाला में पढ़ाई की गूंज घंटों सुनाई देती है। बच्चे खुशी-खुशी आते हैं और यहां पढ़ाई कर एक अजीब सी चेहरे पर चमक लेकर घरों को वापस लौटते हैं। दर्जन भर गांव के बच्चे थाने में संचालित पाठशाला में अक्षर की तालीम ले रहे हैं।
छकरबंधा गया जिला मुख्यालय से लगभग 120 किलोमीटर दूर सबसे नक्सल प्रभावित इलाका रहा है। कभी यहां नक्सलियों की बंदूकें गरजने और लाल सलाम की गूंज सुनाई देती थी। आज इस इलाके में भी कभी-कभार इस क्षेत्र में गोलियों की तरतराहाट की आवाज और बम धमाका की आवाज सुनाई देती है। यह नक्सलियों का आधार वाला क्षेत्र भी रहा है। किंतु अब यहां अक्षर, गिनती और शब्दों की आवाज़ गूंजती है। फिलहाल छकरबंधा थानाध्यक्ष की यह पहल एक मिसाल बन गई है।
इस संबंध में छकरबंधा थानाध्यक्ष अजय बहादुर सिंह बताते हैं, कि उनके मन में बच्चों के प्रति सदैव लगाव रहा है। वह बच्चों के लिए कुछ करना चाहते हैं, यह उनकी हमेशा सोच रही है। वहीं, पुलिस कम्युुनिटी कार्यक्रम के तहत भी हमने इस सोच को जमीनी तौर पर पूरी तरह से आगे बढ़ने का काम किया। यही वजह है, कि सैकड़ो बच्चे आज शिक्षा ग्रहण करने थाने में आ रहे हैं। बच्चों को बेसिक शिक्षा प्रदान करना हमारा मकसद है और उनके एक बेहतर भविष्य की राह दिखाना हमारा लक्ष्य भी है। उन्होंने बताया कि थाना परिसर में प्रतिदिन लगभग 100 बच्चे आते हैं, जो यहां हिंदी, गणित, विज्ञान जैसी विभिन्न विषयों में बेसिक शिक्षा प्राप्त करते हैं।