PATNA : राज्य के दो बड़े यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार के मामले में विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने बड़ी कार्रवाई की है। एसवीयू की टीम ने मगध विश्वविद्यालय, बोधगया और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के पूर्व कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ दोनों विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार, समेत दो दर्जन अधिकारियों पर चार्जशीट की है। एसवीयू के तरफ से कुल 29 अभियुक्तों पर चार्जशीट की गई है।
एसवीयू के तरफ से जिन 29 अभियुक्तों पर चार्जशीट दायर की गयी है। उसमें कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, वित्त पदाधिकारी प्यारे मोहन सहाय, रजिस्ट्रार सिद्धनाथ प्रसाद यादव, वित्तीय सलाहकार ओमप्रकाश, रजिस्ट्रार जितेंद्र कुमार, वित्त पदाधिकारी कौलेश्वर प्रसाद साह, पुस्तकालय प्रभारी भिखारी राम यादव, अनुभाग पदाधिकारी नागेंद्र सिंह, वित्त पदाधिकारी धर्मेंद्र प्रकाश त्रिपाठी, पुस्तकालय प्रभारी विनोद कुमार, रजिस्ट्रार पुष्पेंद्र कुमार वर्मा, लाइब्रेरियन रुद्र नारायण शुक्ला, प्राक्टर जयनंदन प्रसाद सिंह, सहायक कुलपति सुबोध कुमार, प्रशाखा सहायक बजट दिनेश कुमार दिनकर, व्यवहार सहायक मनोज कुमार सिन्हा का नाम शामिल है।
दरअसल, ईओयू की जांच में मगध विश्वविद्यालय और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में कुल 18 करोड़ रुपये के गबन और राजस्व क्षति का मामला सामने आया है। इसमें उस समय के विसी डॉ. राजेंद्र प्रसाद समेत कई उच्च अधिकारी शामिल रहे हैं। राजेंद्र प्रसाद के पास कुल 2.66 करोड़ रुपये की संपत्ति पाई गई है, जो उनकी वैध आय से 500 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
अब इस मामले में एसवीयू ने कोर्ट में एक हजार पन्नों का अभियोग पत्र और दस्तावेज दाखिल किया है। इसके बाद कुलाधिपति से इन अभियुक्तों के विरुद्ध मुकदमा चलाने का आदेश मांगा गया है। इसके साथ ही न्यायालय में कानूनी प्रक्रिया शुरू करने का निवेदन किया गया है। मुख्य अभियुक्त राजेंद्र प्रसाद न्यायिक हिरासत में हैं, इसलिए अभियोजन चलाने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति मांगी गई है। ईओयू की जांच में मगध विश्वविद्यालय और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में कुल 18 करोड़ रुपये के गबन और राजस्व क्षति का मामला सामने आया है।
आपको बताते चलें कि,विशेष निगरानी इकाई ने 16 नवंबर, 2021 को मगध विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ प्रो विनोद कुमार, प्रो जयनंदन प्रसाद, पुष्पेंद्र प्रसाद वर्मा और सुबोध कुमार पर कांड दर्ज किया था। इन पर सरकार की ओर से विभिन्न मदों में स्वीकृत करोड़ों की राशि का आपराधिक षड्यंत्र और भयादोहन कर बंदरबाट करने का आरोप था। इस मामले में चारों अफसरों पर चार्जशीट के बाद मामला कोर्ट में विचाराधीन है।