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PATNA : सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान आज से नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा है।बता दें कि साल में दो बार छठ पर्व होता है, एक कार्तिक यानी अक्टूबर-नवंबर में और दूसरा चैत्र यानी अप्रैल में। चैत्र में मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ भी कहते हैं। 5 अप्रैल को नहाय-खाय के साथ इस पर्व की शुरुआत होगी। 6 अप्रैल को खरना के दिन खीर-रोटी का भोग लगेगा। 7 को डूबते सूर्य को अर्घ्य और 8 को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
इधर, राजधानी के गंगाघाटों पर अर्घ्य की तैयारी अंतिम चरण में है। घाट तैयार किए जा रहे हैं। बैरिकेडिंग की जा रही है। प्रशासन ने खतरनाक घाटों पर अर्घ्य करने से मना किया है। जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों ने चैती छठ पूजा को लेकर गंगा घाटों की स्थिति के बारे में रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी है, जिसमें कहा गया है कि दीघा और गेट नंबर 93 घाट सबसे सुरक्षित है।
इन दोनों घाटों पर पर्याप्त जगह है, जहां छठ पूजा आसानी से की जा सकती है। गांधीघाट पर अर्घ्य के लिए पर्याप्त जगह कम है। इंजीनियरों का कहना है कि घाट के सटे ही लगभग आठ फीट गहरा पानी है, जिससे खतरा हो सकता है। ऐसी स्थिति में घाट से सात से आठ फीट चौड़ाई तक बैरिकेडिंग नहीं की जा सकती है। हालांकि, प्रशासन ने इस घाट पर भी छठ पूजा की तैयारी शुरू कर दी है।
पूरे बिहार में धूमधाम से मनाए जाने वाले छठ महापर्व की मगध में एक अलग ही छटा देखने को मिलती है। यह पर्व पूरी तरह से सफाई व स्वच्छता से भी जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि इस चैती छठ पूजा में 36 घंटे निर्जला रख व्रत करना काफी कठिन होता है। लेकिन इस पूजा को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।