DELHI : बिहार में निकाय चुनाव को लेकर कल यानी शुक्रवार का दिन बेहद खास साबित हो सकता है। शुक्रवार 9 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार इस मामले पर तत्काल सुनवाई के लिए याचिका दायर की गई थी। कोर्ट से गुहार लगायी गयी है कि वह तत्काल इस मामले पर सुनवाई करे और बिहार में कराये जा रहे निकाय चुनाव पर रोक लगाये। सुप्रीम कोर्ट में कल यानि 9 दिसंबर को इस मामले पर सुनवाई होनी तय है। जिस कोर्ट में ये मामला है उसमें 11वें नंबर पर केस को लिस्ट किया गया है। आपको बता दें कि बिहार में निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहले से मामला चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 28 नवंबर को ही बिहार के अति पिछड़ा वर्ग आय़ोग को निकाय चुनाव में आरक्षण तय करने के लिए डेडिकेटेड कमीशन मानने से इंकार कर दिया था, हालांकि इस मामले में 5 दिसंबर को फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी 2023 को करने का आदेश दिया था। इस तारीख के पहले ही बिहार में नगर निकाय चुनाव खत्म हो जाता। इस बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में नयी याचिका दायर की गयी। इसमें सुप्रीम कोर्ट से तत्काल मामले की सुनवाई करने की मांग की गयी है। कोर्ट में याचिकाकर्ता सुनील कुमार की तरफ से गुहार लगायी गयी है, इसमें कहा गया है कि बिहार में निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जस्टिस सूर्यकांत और जे के माहेश्वरी की बेंच ने 28 नवंबर को बिहार सरकार औऱ बिहार राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था और 28 नवंबर 2022 को ही डेडिकेटेड कमिशन के कामकाज पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने 30 नवंबर को एक चुनाव अधिसूचना जारी कर दी। जिसमें अति पिछड़ा वर्ग आय़ोग को डेडिकेटेड कमीशन बताते हुए उसकी रिपोर्ट के आधार पर चुनाव कराने की घोषणा की गई है जबकि कोर्ट पहले ही उसे डेडिकेटेड आयोग मानने से इंकार कर चुका है। याचिकाकर्ता के मुताबिक ये सुप्रीम कोर्ट के 28 नवंबर और 1 दिसंबर के आदेश का जानबूझ कर किया गया उल्लंघन है।
अब शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का सभी को इंतजार है। आपको याद दिला दें कि कोर्ट में दायर बुधवार वाली याचिका में कहा गया है कि 5 दिसंबर को भी इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की बेंच में हुई थी। इसमें मामले की सुनवाई जल्द करने की गुहार लगायी गयी थी क्योंकि बिहार में चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. कोर्ट ने 5 दिसंबर की सुनवाई के दौरान मौखिक तौर पर पूछा था कि इस आशंका का आधार क्या है कि पिछड़ों को आरक्षण देने के मामले में ट्रिपल टेस्ट का पालन नहीं किया जा रहा है। उस दिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मौखिक तौर पर कहा था कि जरूरत पड़ने पर बाद में भी इस मामले में आदेश दिये जा सकते हैं। 5 दिसंबर को कोर्ट में सुनवाई के समय राज्य निर्वाचन आयोग की 30 नवंबर की चुनाव अधिसूचना के कागजात औऱ उस पर रोक लगाने का आवेदन कोर्ट में प्रस्तुत नहीं गया था। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के रिकार्ड में बिहार राज्य निर्वाचन आयोग की अधिसूचना और उस पर रोक लगाने का आवेदन दे दिया है और अब चुनावी प्रक्रिया पर फैसला सुप्रीम कोर्ट को लेना है।