PATNA : बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने लालूवाद से जुड़ा छठा सवाल पूछा है. नीरज कुमार ने राजद सुप्रीमो पर आरोप लगाया है कि उन्होंने केवल अल्पसंख्यक समुदाय को ठगा है. उन्होंने कहा कि जनसंख्या के अनुपात में न सदन में हिस्सेदारी मिली और न ही सरकारी नौकरियों में, लालू यादव ने अपने शासनकाल में अकलियतों के विकास के लिए कोई काम नहीं किया है.
नीरज कुमार ने आंकड़े दर्शाते हुए बताया कि सच्चर समिति की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2004-05 में पूरे बिहार में एक हज़ार ऐसे मुस्लिम बहुल गाँव/क़स्बा थे जहां एक भी शिक्षण संस्थान नहीं था. 2004-05 में पूरे बिहार में तीन हज़ार ऐसे मुस्लिम बहुल गाँव/क़स्बा था जहां कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं था. चिकित्सकीय सुविधा की कोई व्यवस्था नहीं थी. जबकि उस दौर में प्रदेश में मुस्लिम समाज का प्रति माह प्रति व्यक्ति व्यय दलित और आदिवासी समाज से भी कम थी. जो कि उनकी दयनीय आर्थिक स्थिति को दर्शाता है.
वर्ष 2004-05 में बिहार में मुस्लिम समुदाय की आबादी प्रदेश की कुल आबादी का 16.5% था. लेकिन सरकारी नौकरियों में इनकी भागीदारी 8% से भी कम थी. यानी सरकारी नौकरियों में जनसंख्या के आनुपातिक रूप जो हिस्सेदारी होनी चहिए थी उसके आधे से भी कम थी. ये था अकलियतों के हितैषी होने का स्वाँग रचने वाली लालू-राबड़ी सरकार का काला सच. इसी तरह ICDS जैसे कई सरकारी योजनाओं में मुस्लिम की हिस्सेदारी उनकी आबादी के अनुपात में बहुत कम थी. क्या अकलियतों की इस दुर्दशा के लिए लालू-राबड़ी सरकार गुनाहगार नहीं?
नीरज ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता संभालते ही अल्पीसंख्यनक समुदाय के समग्र विकास के लिए विभिन्नी योजनाओं का शुभारंभ किया. उन्होंने बिहार राज्य अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय योजना का शुभारंभ किया, जिसके तहत प्रत्येक जिले में अल्पसंख्यक छात्रावासों का निर्माण किया जा रहा है. जो कि मुस्लिम छात्र/छात्राओं के शैक्षणिक उत्थान में सहायक सिद्ध हो रहा है. आज के समय में 35 अल्पसंख्यक बालक छात्रावास एवं 10 अल्पसंख्यक बालिका छात्रावास संचालित है, 8 निर्माणाधीन है.
बिहार राज्य वक्फ विकास योजना, बिहार राज्य मदरसा शुद्धिकरण योजना के साथ मैट्रिक से वंचित विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति योजना चल रही है. बिहार राज्य मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना द्वारा 110 मदरसों को संबद्धता दी गई तथा 80 मदरसों का अपग्रेडेशन किया गया है. ₹20 करोड़ रु० के व्यय से UNFPA द्वारा “तालीम नौ बालगान” की शुरुआत किए जाने की योजना पर काम जारी है. 318 करोड़ 37 लाख की लागत से 8 लाख महादलित एवं 4 लाख अल्पसंख्यक समुदाय की बालिकाओं के शिक्षा को ध्यान में रखते हुए "अक्षर आंचल योजना की शुरुआत की गई. इसके अलावा राज्य के मदरसों में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षकेत्तरकर्मियों को सातवां वेतनमान का लाभ दिया गया है. 17 फरवरी 2019 को पूर्णिया प्रमंडल में बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय खोला गया है.
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों का सर्वांगीण विकास वर्ष 2005 के पूर्व राजद शासनकाल में अल्प संख्यंक कल्याण विभाग का बजट नगण्यर हुआ करता था. 2004-05 में अल्पलसंख्य्क कल्यापण विभाग का कुल व्यणय केवल 3 करोड़ 45 लाख रुपये था. वित्त वर्ष 2019-20 में 253 करोड़ 16 लाख रुपये था. अल्पसंख्यक छात्र/छात्राओं के लिए छात्रावास निर्माण योजना के तहत अद्यतन 35 अल्प3संख्यनक बालक छात्रावास एवं 10 अल्प/संख्येक बालिका छात्रावास निर्मित व संचालित है. वहीं 8 अल्प3संख्यनक बालक एवं बालिका छात्रावास निर्माणधीन है. सरकारी नौकरियों में अल्पणसंख्यक समुदाय के छात्र/छात्राओं का प्रतिनिधित्वअ बढ़ाने के लिए मुफ्त कोचिंग योजना आरम्भो की गई जिसमें बिहार लोक-सेवा आयोग, अन्यच तकनीकी एवं व्यिवसायिक प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी हेतु प्रशिक्षित किया जाता है.
उन्होंने बताया कि मुस्लिम परित्यीक्ताय/तलाकशुदा महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने एवं आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्यत सेवित्तीय वर्ष 2006-07 में अल्पिसंख्यनक मुस्लिम परित्यतक्तान/तलाकशुदा महिला सहायता योजना शुरु किया गया. इस योजना के तहत प्रत्ये6क परित्यीक्ताल/तलाकशुदा महिला को एक बार एक मुश्तन 10,000/- (दस हजार रूपये) की आर्थिक सहायता दी जाती थी. जिसे वित्तीय वर्ष 2017-18 से सहायता राशि को बढ़ाकर 25,000/- (पच्चीीस हजार रूपये) कर दिये गए. इसके तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 में (31 दिसम्बार) तक कुल 13,230 परित्यूक्ता /तलाकशुदा महिलाओं को लाभान्वित किया गया.
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहहन योजना के तहत बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले अल्परसंख्याक छात्र/छात्राओं को 10,000 रुपये की प्रोत्सााहन राशि प्रदान की जाती है. वर्तमान में कुल 1,942 मदरसे अनुदानित श्रेणी के हैं.बिहार राज्य में मदरसों में अध्ययनरत् कुल छात्र-छात्राओं की संख्या 8,00,000 (आठ लाख) है. इस तरह के 2,459+1 कोटि के मदरसों में से 987 मदरसों को अनुदान की श्रेणी में शामिल करने की प्रक्रिया जारी है. इसके अलावा 339 मदरसों को भी अनुदान की श्रेणी में लाने हेतु कार्रवाई प्रक्रियाधीन है.
नीरज ने कहा कि 21 जून 2021 को अल्पसंख्यकों की शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किशनगंज के डेरामारी में 53 करोड़ 3 लाख 35 हजार रुपये की लागत से 560 बेड की क्षमता वाली अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय का ऑनलाइन शिलान्यास किया. इस स्कूल से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. इस अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय में वर्ग नौ से बारहवीं वर्ग के बच्चों को मुफ्त में रहने खाने और पढ़ाई की सुविधा प्राप्त होगी.
उधर बिहार दौरे पर निकले जनता दल यूनाइटेड संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी आज बेतिया में कहा कि 'बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समावेशी विकास करते हैं. नीतीश कुमार ने हर एक समाज के लिए सोचते हैं. बिहार में माइनॉरिटी समाज के लोगों को भी बरगलाने की कोशिश की गई है. बिहार चुनाव में भी यह साफ़ हो गया है. सीएम नीतीश बिहार में अल्संख्यकों के लिए हमेशा से खड़े रहे हैं. अल्पसंख्यकों के लिए जहां सरकार को खड़ा होना चाहिए था, उन्होंने अपने नेताओं की आलोचना झेल कर भी माइनॉरिटी समाज के लोगों की मदद की.'