मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: कोर्ट ने पूछा-रिहा हुई लड़कियों का क्या हुआ, 6 हफ्ते में मांगी रिपोर्ट

मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: कोर्ट ने पूछा-रिहा हुई लड़कियों का क्या हुआ, 6 हफ्ते में मांगी रिपोर्ट

DELHI: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के उद्भेदन के बाद वहां से रिहा करायी गयीं लड़कियों का क्या हुआ। कोर्ट ने कहा है कि ऐसी बातें सामने आयी हैं कि बालिका गृह से मुक्त हुई लडकियों की मुश्किलें और बढ़ गयी हैं। ऐसे में 6 हफ्ते में उन लड़कियों के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट दी जाये।


सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस यूयू ललित की बेंच में मंगलवार को मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले पर सुनवाई हुई। दरअसल कोर्ट को ये जानकारी मिली थी कि बालिका गृह से रिहा करायी गयीं 12 लड़कियां अभी भी सरकारी सुरक्षा गृह में रह रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन लड़कियों के साथ साथ वहां से छुड़ायी गयी दूसरी लड़कियों के बारे में जानकारी मांगी थी।


कोर्ट में मंगलवार को TISS यानि टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइसेंस ने रिपोर्ट सौंपी कि जो 12 लड़कियां अभी भी बालिका सुरक्षा गृह में रह रही हैं वे सब मानसिक या शारीरिक तौर पर सक्षम नहीं हैं. वे ये बताने में सक्षम नहीं हैं कि उनके परिवार के लोग कहां हैं और वे कैसे सुरक्षा गृह तक पहुंची. लिहाजा उन्हें सरकारी सुरक्षा गृह में ही रखा गया है. कोर्ट ने इन 12 लड़कियों को सारी सुविधायें देने का निर्देश दिया। 


रिहा हुई लड़कियों का क्या हुआ

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह से छुड़ायी गयीं लड़कियों की स्थिति को लेकर चिंता जतायी. चीफ जस्टिस यू.यू. ललित ने कहा कि जिन बच्चियों को मुजफ्फरपुर बालिका गृह से रिहा कराया गया , उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पायी है. वे कहां हैं और उनकी स्थिति कैसी है।


चीफ जस्टिस ने कहा कि एक लडकी को रिहा कर गुवाहाटी भेजा गया था लेकिन वह समस्या का समाधान करने की बजाय उसे और उलझा कर चली गई है. ऐसे में लडकियों के रिहा होने के बाद उनकी क्या स्थिति है ये जानना जरूरी हो गया है. चीफ जस्टिस ने कहा कि ये भी पता करना जरूरी है कि ऐसी लड़कियों की बेहतर जिंदगी तय करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।


सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने वैसे सभी राज्यों को नोटिस भेजा है जहां मुजफ्फरपुर बालिका गृह से छुडायी गयी लड़कियों को भेजा गया था. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, उत्तराखंड और पंजाब के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने उन राज्यों की बाल संरक्षण समितियों को लड़कियों की वर्तमान स्थिति और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का पूरा विवरण देते हुए उचित स्थिति रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने अगले 6 हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा है।