मुकेश सहनी का नया दांव: MLC चुनाव में आरक्षण लागू करने की मांग की, नीतीश कुमार को पत्र लिखा

मुकेश सहनी का नया दांव: MLC चुनाव में आरक्षण लागू करने की मांग की, नीतीश कुमार को पत्र लिखा

PATNA: बिहार में एनडीए में अलग-थलग कर दिये गये मुकेश सहनी ने नया दांव खेला है. मुकेश सहनी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है. पत्र में मांग की गयी है कि बिहार विधान परिषद में आरक्षण लागू किया जाये. गौरतलब है कि बिहार विधान परिषद में अब तक विधानसभा या लोकसभा की तरह अनुसूचित जाति औऱ जनजाति के लिए आरक्षण लागू नहीं है.


मुकेश सहनी ने नीतीश को फंसाया?

वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष औऱ नीतीश सरकार में मंत्री मुकेश सहनी ने बिहार के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि बिहार विधान परिषद में जाने वाले जनप्रतिनिधियों में समाज के सभी वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है. MLC के चुनाव में आरक्षण की कोई व्यवस्था लागू नहीं है. मुकेश सहनी ने कहा है बिहार में सामाजिक न्याय के पितामह कर्पूरी ठाकुर का भी सपना था कि समाज के सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिले.


मुकेश सहनी ने नीतीश कुमार को लिखा है कि वे समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना अपनी जिम्मेवारी समझें औऱ बिना कोई देर किये बिहार विधान परिषद में आरक्षण लागू करायें. नीतीश कुमार अगर इसकी पहल करते हैं तो वे और उनकी पार्टी उनका हर कदम पर समर्थन करेगी.


क्या चाहते हैं मुकेश सहनी

हम आपको बता दें कि बिहार में विधान परिषद की 24 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है. इस चुनाव में बीजेपी औऱ जेडीयू ने मुकेश सहनी औऱ जीतन राम मांझी को भाव दिये बगैर सीटों का बंटवारा कर लिया है. इसके बाद मुकेश सहनी ये एलान कर चुके हैं कि वे सभी 24 सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा करने का एलान कर दिया है. मुकेश सहनी कह चुके हैं कि उन्हें एनडीए से बाहर कर दिया गया है. उन्होंने इसका दोष बीजेपी पर मढ़ा है.


सहनी ने बीजेपी पर जमकर हमला भी बोला है. अब उन्होंने नया दांव खेला है. दरअसल विधान परिषद चुनाव में बीजेपी, जेडीयू से लेकर राजद तक ने सामर्थ्यवान उम्मीदवारों को तलाशा है. इस होड़ में समाज के पिछड़े तबके के लोगों को इन दनों का टिकट नहीं मिल पाया है. जबकि पंचायत चुनाव में बड़ी तादाद में अनुसूचित जाति औऱ अति पिछडे वर्ग के प्रतिनिधि चुन कर आये हैं. मुकेश सहनी उन्हें आरक्षण देने का मुद्दा उठाकर उन्हें अपने पक्ष में करना चाहते हैं. लिहाजा विधान परिषद में आरक्षण का मामला उठा दिया गया है.