MLC चुनाव में कांग्रेस को औकात दिखायेंगे तेजस्वी: अब तक एक सीट भी छोड़ने को राजी नहीं, लगभग सारी सीटों पर राजद के उम्मीदवार तय

MLC चुनाव में कांग्रेस को औकात दिखायेंगे तेजस्वी: अब तक एक सीट भी छोड़ने को राजी नहीं, लगभग सारी सीटों पर राजद के उम्मीदवार तय

PATNA: राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव एक बार फिर कांग्रेस को हैसियत बताने पर आमदा हैं। तेजस्वी यादव बिहार में स्थानीय निकाय कोटे से होने वाले विधान परिषद के 24 सीटों पर चुनाव में कांग्रेस के लिए एक भी सीट छोड़ने को राजी नहीं है। पिछले दो महीने से विधान परिषद चुनाव के लिए समीकरण बनाने में जुटे तेजस्वी यादव ने लगभग सभी सीटों पर राजद के उम्मीदवारों के नाम तय कर लिये हैं। कांग्रेस के नेता इंतजार कर रहे है लेकिन तेजस्वी बात करने तक को तैयार नहीं हैं।


हम आपको बता दें कि बिहार में स्थानीय निकाय कोटे से 24 एमएलसी को चुना जाता है. पंचायत औऱ नगर निकाय के निर्वाचित जनप्रतिनिधि वोट देकर एमएलसी चुनते हैं. पिछले साल जुलाई से ही ये चुनाव लंबित है. दरअसल कोरोना की दूसरी लहर के कारण बिहार में पंचायत चुनाव टाल दिया गया था।


 अब पंचायत चुनाव संपन्न हो गये हैं. राज्य निर्वाचन आय़ोग ने केंद्रीय चुनाव आयोग को सूचित कर दिया है कि पंचायत प्रतिनिधि चुन लिये गये हैं. लिहाजा एमएलसी चुनाव की घोषणा किसी भी वक्त होने की उम्मीद है. चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बैठक कर चुनाव की तैयारी की समीक्षा करना भी शुरू कर दिया है. 


कांग्रेस की सीटिंग सीट पर राजद का प्रत्याशी 

बिहार में 2015 में स्थानीय निकाय कोटे से विधान पार्षदों का चुनाव हुआ था. उस समय राजद-जदयू और कांग्रेस का गठबंधन था. तब भी राजद-जेडीयू ने कांग्रेस के लिए चार सीटें छोड़ी थी. कांग्रेस ने उनमें से एक सीट पश्चिम चंपारण जीता भी था. अब इस चुनाव का हाल ये है कि तेजस्वी यादव ने कांग्रेस की सीटिंग सीट पर अपना उम्मीदवार तय कर दिया है. पटना के एक प्रमुख फर्नीचर व्यवसायी को राजद के टिकट देने का भरोसा दिलाकर क्षेत्र में प्रचार करने के लिए भेज दिया गया है. कांग्रेस नेता हैरान हैं लेकिन राजद की ओऱ से कोई बात ही नहीं की जा रही है.


लगभग सभी सीटों पर राजद के उम्मीदवार तय

राजद के नेता बताते हैं कि विधान परिषद की लगभग सभी 24 सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवार तय कर लिया है. पार्टी ने जिन्हें उम्मीदवार बनाया है उन्हें कह दिया गया है कि वे क्षेत्र में जायें औऱ वोट का जुगाड़ करना शुरू कर दें. स्थानीय निकाय कोटे से होने वाले विधान परिषद के चुनाव में उम्मीदवारों के लिए कुछ अलग पैमाना होता है. तेजस्वी यादव ने खुद जांचा परखा है कि जो टिकट मांगने आ रहे हैं वे उस पैमाने पर खरे उतर रहे हैं या नहीं. वोट मैनेज करने की हैसियत रखने वाले सारे दावेदारों को टिकट का भरोसा देकर क्षेत्र में जाने को कह दिया गया है.


कांग्रेस से कोई बात तक नहीं

उधर कांग्रेस के नेता मीडिया में बयान दे रहे हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा का बयान आया है कि एमएलसी चुनाव में उन्हें 7 सीटें चाहिये. वे कह रहे है कि लालू प्रसाद यादव ने भी कहा था कि वे कांग्रेस के 6 सीट छोड़ेंगे. लेकिन कांग्रेस की बयानबाजी सिर्फ मीडिया तक ही सिमटी है. हकीकत ये है कि तेजस्वी या राजद के किसी नेता ने कांग्रेस से एमएलसी चुनाव में तालमेल के लिए कोई बातचीत नही की है. 


उपचुनाव से राजद को मिला सबक

दरअसल राजद को दो महीने पहले हुए विधानसभा सीटों के उप चुनाव से सबक मिला है. राजद ने उप चुनाव में कांग्रेस के लिए कोई सीट नहीं छोड़ी थी. इसके बाद कांग्रेस ने लालू-तेजस्वी के खिलाफ जेडीयू-बीजेपी से भी बढ कर बयानबाजी की थी. कांग्रेस ने राजद के उम्मीदवारों को हराने के लिए दोनों सीटों पर कैंडिडेट भी उतारे थे. लेकिन कांग्रेस के विरोध का राजद पर कोई असर नहीं हुआ. तेजस्वी ने इससे सबक सिखा है. वहीं, तेजस्वी कांग्रेसी नेताओँ की बयानबाजी भी नहीं भूले हैं. 


एक रास्ता निकल सकता है

वैसे राजद के नेता एक रास्ता निकालने पर राजी हो सकते हैं. कांग्रेस अगर इस बात पर राजी हो जाये कि वह तेजस्वी के उम्मीदवार को ही अपनी पार्टी का कैंडिडेट बनायेगी तो फिर राजद उसके लिए 3 या 4 सीट छोड़ सकती है. यानि सिर्फ नाम कांग्रेस का होगा, उम्मीदवार तो तेजस्वी के ही होंगे. लेकिन इसके लिए भी कांग्रेस को झुक कर तेजस्वी से बात करनी होगी. 


कांग्रेस से कौन करेगा बात

लेकिन मुश्किल ये भी है कांग्रेस की ओर से बात कौन करेगा. राजद से संबंध खराब कराने वाले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी भक्तचरण दास विधानसभा उप चुनाव के बाद से बिहार में नजर नहीं आ रहे हैं. कांग्रेस आलाकमान को पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को छोड़ कर बिहार के एमएलसी चुनाव पर फिक्र करने की फुर्सत नहीं है. प्रदेश प्रभारी भक्तचरण दास भी चुनावी राज्यों में बिजी है. ऐसे में राजद से बात कौन करेगा, कांग्रेस इस परेशानी से भी जूझ रही है.