मेयर और डिप्टी मेयर बनने के लिए अब सेटिंग नहीं आएगी काम, सरकार जनता को सीधे चुनने का देगी अधिकार

मेयर और डिप्टी मेयर बनने के लिए अब सेटिंग नहीं आएगी काम, सरकार जनता को सीधे चुनने का देगी अधिकार

PATNA : नगर निकाय चुनाव को लेकर एक बड़ा किया जा रहा है. मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए अब कोई भी सेटिंग काम नहीं आएगी क्योंकि इनको चुनने के लिए सरकार अब सीधे जनता के हाथ में पावर देने जा रही है. महापौर और उप महापौर के चुनाव में हाॅर्स ट्रेडिंग पर लगाम कसने के लिए उनकी चयन प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है.


हाॅर्स ट्रेडिंग पर लगाम कसेगी जनता
नगर विकास एवं आवास विभाग की ओर से मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव प्रक्रिया में यह बड़ा बदलाव किया जा रहा है. इसके तहत नगर निकायों में मेयर और डिप्टी मेयर, सभापति और उपसभापति या मुख्य पार्षद का चुनाव सीधे जनता करेगी. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो अगले नगर निकाय चुनाव में इस नियम को लागू कर दिया जायेगा. नगर विकास एवं आवास मंत्री का कहना है कि विभाग पहले से ही मेयर और डिप्टी मेयर के सीधे चुनाव को लेकर ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. कई स्तरों पर इस प्रस्ताव की समीक्षा भी की गयी है. विकास एवं प्रबंधन संस्थान से भी इस प्रस्ताव को लेकर अध्ययन कराया गया है.

 

हाॅर्स ट्रेडिंग से नगर निकायों का विकास कार्य होता है बाधित
फिलहाल बिहार में निर्वाचित वार्ड पार्षद ही मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव करते हैं. इस प्रक्रिया में हाॅर्स ट्रेडिंग होती है और नगर निकायों का विकास कार्य बाधित होता है. राज्य के 143 नगर निकायों की जनता सीधे अपने-अपने  निकाय के मेयर व डिप्टी मेयर व मुख्य पार्षदों का चुनाव करेंगी. विभाग की ओर से इन पदों पर सीधे चुनाव कराने को लेकर अंतिम चरण की तैयारी हो चुकी है. उत्तरप्रदेश, झारखंड, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में ऐसी व्यवस्था पहले से है. जनता द्वारा चुनाव होने पर मेयर को वार्ड सदस्यों के बिना दबाव काम करने का मौका मिलेगा. हालांकि मंत्री सुरेश कुमार शर्मा का कहना है कि अभी इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय बाकी है.

 

पांच साल में एक बार ही लाया जा सकता है अविश्वास प्रस्ताव
नगर विकास विभाग में एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. जिससे अब निर्वाचित मेयर व डिप्टी मेयर के खिलाफ पांच साल में सिर्फ एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. वह भी उनके आधा कार्यकाल पूरा होने के बाद ही यह कदम उठाया जा सकता है. अभी मेयर के खिलाफ निर्वाचन के दो साल के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. उसके एक साल के बाद फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार पार्षदों को है.